सफ़र के महीने के अंतिम बुधवार की नफिल नमाज़ का आदेशप्रश्न: हमारे देश में कुछ विद्वानों का भ्रम यह है कि इस्लाम धर्म में एक नफिल नमाज़ है जो सफ़र महीने के अंत में बुध के दिन चाश्त के समय एक सलाम के साथ चार रकात पढ़ी जाती है, जिसमे हर रकात के अन्दर सूरतुल फातिहा- सत्तर बार, सूरतुल कौसर- पचास बार, सूरतुल इखलास एक एक बार, मुअव्विज़तैन(यानी सूरतुल फलख और सूरतुन नास) एक एक बार पढ़े, इसी तरह हर रकात में किया जाये और सलाम फेर दिया जाये| सलामफेरने के बाद तीन सौ साठ बार यह आयत पढ़े : ﴿وَاللَّهُ غَالِبٌ عَلَى أَمْرِهِ وَلَكِنَّ أَكْثَرَ النَّاسِ لاَ يَعْلَمُونَ﴾ तथा तीन बार जौहरतुल कलाम (तीजानी पध्धति का एक वज़ीफ़ा) पढ़े, तथा अंत मेंयह पढ़े – ﴿سبحان ربك رب العزة عما يصفون وسلام على المرسلين والحمد لله رب العالمين﴾ और गरीबो को कुछ रोटी दान करे|इस आयत की विशेषता उस आपदा को दूर करना है जो सफ़र के महीने के अंतिम बुध को अवतरितहोतीहै|तथा उनका कहना है कि : हर वर्ष तीन लाख बीस हज़ार आपदाएं अवतरित होती है और ये सब की सब सफ़र के महीने की अंतिम बुध को अवतरित होती है|इस तरह वह वर्ष का सबसे कठिन दिन होता है|अतः जो व्यक्ति इस नमाज़ को उक्त तरीके पर पढ़ेगा तो अल्लाह ताला उसे अपनी अनुकम्पा से उन सभी आपदाओं से सुरक्षित रखेगा जो उस दिन में अवतरित होती है| तो क्या इसका यही समाधान है या नहीं? उत्तर: प्रश्नमें उल्लेखित इस नफिल नमाज़ का आदेश का हम कुरआन तथा हदीस से कोई आधार नहीं जानते है|तथा हमारे निकट यह भी प्रमाणित नहीं है कि इस उम्मत के पूर्वजो और बाद के सदाचारियों में से किसी ने इस नफिल को पढ़ा है|बल्कि यह एक घृणित बिदअत (नवाचार) है|और अल्लाह के नबी ﷺसे प्रमाणित है कि आप ने फ़रमाया : जिस व्यक्ति ने कोई ऐसा काम किया जो हमारे आदेश के अनुसार नहीं है तो वह अस्वीकृत है|” तथा आप ﷺने एक दूसरी हदीस में फ़रमाया : “जिस व्यक्ति ने हमारे इस (शरियत के) मामले में कोई नयी चीज़ निकाली जो उसमे से नहीं है, तो वह अस्वीकृत है|” जिस व्यक्ति ने इस नमाज़ को और इसके साथ जो कुछ उल्लेख किया गया है, उसे नबी ﷺकीओर, या सहाबा रज़िअल्लाहुअन्हुम में से किसी की ओर मंसूब किया तो उसने बहुत बड़ा झूठ बाँधा|उसके ऊपर अल्लाह की ओर से झूठ बोलने वालो का दंड है, जिसका वह योग्य है| और अल्लाह ताला ही सदबुध्धि(तौफीक) प्रदान करने वाला है, तथा अल्लाह ताला हमारे नबी ﷺ, उनकी संतान और साथियों पर दया व शांति अवतरित करे|
इफ्ता और वैज्ञानिक अनुसन्धान की स्थायी समितिशेखअब्दुल अज़ीज़ बिन बाज़, शेख अब्दुर रज्ज़ाख अफीफी,शेख अब्दुल्लाह बिन गुदैयान,शेख अब्दुल्लाह बिन कऊद| “फतावा स्थायी समिति” (2/497, 498) आधार
|
.