पत्नी के साथ अच्छा व्यवहार करना (पारिवारिक जीवन में बहुत महत्व रखता है) 

दूसरे धर्म विवाह को ज्यादा महत्व नहीं देते, परन्तु इस्लाम विवाह को बहुत महत्व देता है| ईसायी धर्म में ब्रम्हचर्य है, लेकिन इस्लाम में इसके लिए कोई स्थान नहीं है|

यह एक सामाजिक ज़रुरत है| विवाह द्वारा परिवार बनता है और परिवार द्वारा समाज बनता है| विवाह द्वारा स्त्री पुरुष के संबंध हलाल (पवित्र) बनते है| इस्लाम शारीरिक संबंधों के विषय में संतूलित मार्ग दिखाता है| इस्लाम न तो शारीरिक संबंध पर पाबन्दी लगाता है, न ही उसे सार्वजनिक करने की अनुमति देता है| इस्लाम मानवजाति को अपने आकाँक्षाओं पर काबू रखते हुए उन्हें पूरा करने की शिक्षा देता है| मनुष्य को जानवर बनने से इस्लाम रोकता है|   

 

Table of Contents

खुरआन

खुरआन में ‘ज़वी’ शब्द का उपयोग किया गया है| इसका अर्थ जोड़ी या साथी होता है| साधारण तौर पर इसका उपयोग विवाह के संबंध मे किया जाता है| इसका मूल उद्देश यह है कि, एक दूसरे को साथ देना, प्रेम करना, बच्चे पैदा करना और अल्लाह के आज्ञानुसार जीवन बिताते हुए, शांति और ख़ुशी पाना|

 

 “तथा उसकी निशानियों (लक्षणों) मे से यह (भी) है कि उत्पन्न किया तुम्हारे लिए तुम्ही मे से जोड़े, ताकि तुम शांति प्राप्त करो उन के पास तथा उत्पन्न कर दिया तुम्हारे बीच प्रेम तथा दया, वास्तव मे इस मे कई निशानियाँ है उन लोगों के लिए जो सोच विचार करते है|” खुरआन सूरा रूम 30:21]

 

हदीस

अल्लाह के रसूल मुहम्मद ने कहा : विवाह करना मेरी सुन्नत (तरीखा) है, और जो कोई इस से दूर रहता है, वह मेरी उम्मत (अनुयायीयों) मे से नहीं|” [सही बुखारी vol 7:1]

 

पति पत्नी के संबंध

पत्नी के अधिकार – पति के कर्तव्य

(1) आर्थिक देखभाल

पत्नी के आर्थिक विषय की देखभाल पति की ज़िम्मेदारी है| यह बात खुरआन और हदीस से साबित होती है| पत्नी धनि हो, ग़रीब हो, स्वस्थ हो या बीमार हो- हर सूरत में उसके ऊपर धन खर्च करना पति की ज़िम्मेदारी है|

 

पत्नी की आर्थिक देखभाल में – उसका रहना, खाना पीना, कपडे और उस के बीमारी का खर्च भी आता है| पति जहाँ रहता है पत्नी को भी वहाँ रखे|  

 

अगर किसी की पत्नी को नौकर की आदत हो या वह अपने पति की सही तारीखे से देखभाल नहीं कर पा रही हो तो, पति के पास आर्थिक ताखत होने पर, वह एक काम करने वाली को रखन चाहिए| अल्लाह के रसूल मुहम्मद ने कहा : “अल्लाह पर विश्वास रखने वाले (मुसलिम) मे सबसे अच्छा वह है जिसका स्वभाव बेहतर हो| तुम में सबसे अच्छा वह है, जो अपनी पत्नी से अच्छा व्यवहार करे|” [जामी अततिरमिज़ी vol 1:1162]

 

(2) महर”

पत्नी को अपने पति से विवाह के समय उपहार (तोहफा) लेने का पूरा अधिकार है| यह उपहार विवाह के समय ही या बाद में भी दिया जा सकता है| यह आपस के समझौते का विषय है| ‘महर’ (तोहफा) के बिना विवाह जायज़ नहीं माना जाता| यह धन के रूप में या सोने के रूप में ही होना ज़रूरी नहीं है| पत्नी को खुरआन पढाकर भी इसे अदा किया जा सकता है| ‘महर’ दुल्हे की ओर से दुल्हन को दिए जाने वाला तोहफा है| यह इस्लामीय नियम है| दूसरे धर्मो में दुल्हन का पिता दुल्हे को धन देता है| यह आचरण इस्लाम के खिलाफ है और इस में स्त्री की मर्यादा का खिलवाड़ होता है| खुरआन में ‘महर’ के धन पर कोई पाबन्दी नहीं है| जिसकी जितनी हैसियत है, वह उतना अदा करना चाहिए|

 

(3) अभौतिक अधिकार

अल्लाह यह आदेश देता है कि, पति अपने पत्नी के साथ उच्च व्यवहार करे और उसकी भावनावों का आदर करे| अगर किसी की एक से बढ़कर पत्नी हो तो वह सब के साथ समान व्यवहार करे| अल्लाह के रसूल मुहम्मद ने अपनी आखरी ख़िताब (अंतिम प्रवचन) में इस विषय पर (स्त्री के साथ उच्च व्यवहार करने पर) बहुत महत्व दिया|

 

पत्नी की कर्तव्य – पति के अधिकार

 

पत्नी के प्रमुख कर्तव्य में, अपने विवाहिक बंधन को मज़बूत और सफल बनाना भी शामिल है| खुरआन में इस विषय पर ऐसा कहा गया है : “तथा जो प्रार्थना करते है कि हे हमारे पालनहार! हमें हमारी पत्नियों तथा संतानों से आँखों की ठंडक प्रदान कर और हमें आज्ञाकारियों का अग्रणी बना दे|” [खुरआन सूरा फुरखान 25:74]   

 

पत्नी अपने पति के प्रति विश्वसनीय और ईमानदार होनी चाहिए| वह अपने पति के साथ किसी भी विषय में धोका नहीं देना चाहिए और न किसी और मनुष्य के साथ यौन संबंध बनाना चाहिए| यौन संबंध सिर्फ अपने पति के लिए प्रत्येक करना चाहिए| किसी दूसरे मर्द को अपने पति की अनुमति के बिना घर में प्रवेश करने नहीं देना चाहिए| किसी और मर्द के साथ अकेले में मिलना या बात करना जायज़ नहीं| अपने पति के अनुमति के बिना दूसरे मर्द से कोई तोहफा स्वीकार नहीं करना चाहिए| इस से पति पत्नी के बीच संदेह, शंका उत्पन्न होने की संभावना होती है|   

 

साधारण तथ्य, मुद्दे

घर वापस होने पर कैसा स्वागत किया जाये

 

काम से या यात्रा से वापस होने पर :

•    मुस्कुराते हुए स्वागत कीजिये|

 

•  .अस्सलामु अलैकुम कहते हुए अथवा मुस्कुराते हुए स्वागत कीजिये| सलाम करना सुन्नत (अल्लाह के रसूल मुहम्मद का आचरण) है और दोनों के लिए दुआ भी है|

 

•    पत्नी से हाथ मिलाना और बुरी खबर को कुछ देर के लिए छोड़ देना|

 

•    मृदु और मीठी बातें करना|

 

•    सकारात्मक और सीधी बात करनी चाहिए, नकारात्मक संभाषण से बचना चाहिए|

 

•    पत्नी बात करते समय उस की बातों पर ध्यान देना चाहिए|

 

•    स्पष्टता से बात कीजिये और उसे समझ आने तक समझाईये|

 

•   उसे पसंद आने वाले नाम से बुलाईये| उदहारण के लिए- मेरी जान, प्रिय सखी इत्यादि|
 

 

मित्रता व मनोरंजन

 

•   आपस में बात चीत करते हुए समय बिताना|

 

•   खुश खबरी देते रहना|

 

•   आपस के अच्छे पल को याद करते रहना|

 

खेल व विनोद

 

•    आपस में मज़ाक कारन|

 

•    एक दूसरे के साथ खेलना और मुकाबला करना|

 

•    हलाल तारीखे के मनोरंजन कराना|

 

•     मनोरंजन में हराम विषयों से बचना|

 

घर के काम काज में साथ देना

•  घर के काम में आप जो कर सकते उसमे पत्नी की सहायता करना, खास तौर पर जब वह बीमार हो या थकी हुई हो|

 

•    मुख्य विषय यह है कि, पति अपने पत्नी की मेहनत की प्रशंसा करे|  

 

विचार विमर्ष

 

•   पारिवारिक विषय में आपस में विचार विमर्ष करना चाहिए|

 

•    पत्नी को यह अहसास दिलाना कि उसकी राय बहुत महत्व रखती है|

 

•   उस की राय को अच्छी तरह समझना|

 

•   पत्नी की राय अच्छी हो तो अपनी राय बदलने के लिए तैयार रहना|

 

•   उसकी अच्छी राय के लिए उसे अभिनन्दन करना| 
 

दूसरों से मिलते रहना

•    अच्छे लोगों से संबंध बनाये रखना| धार्मिक लोगों से और रिश्तेदारों से मिलने पर अच्छा प्रतिफल मिलता है|

 

•    जब भी मिलने जाते हो तो इस्लामीय मर्यादा का पालन करना|  

 

•    पत्नी जिन लोगों से मिलने में झिजक महसूस करती हो, उन लोगों से मिलने की ज़बरदस्ती मत करना|
 

यात्रा के समय व्यवहार कैसा रहना चाहिए

 

•   विदाई के समय अच्छा उपदेश देना|

 

•   उस से अपने लिए दुआ करने को कहना|

 

•   आप जब घर पर न हो तो, अपने धार्मिक रिश्तेदारों को, अपने घर वालो का खयाल रखने को कहना|  

 

•    पत्नी के ज़रुरत के लिए उसे पैसे देना|

 

•    जब सफ़र पर हो तो पत्नी से फोन, मेल या चिट्ठी के द्वारा उस से संपर्क में रहना|

 

•    जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी सफ़र से वापस आने की कोशिश करना|

 

•    उस के लिए सफ़र से आते समय कुछ तोहफा लाना|

 

•   अगर संभव हो तो पत्नी को भी अपने साथ ले जाना चाहिए|
 

आर्थिक सहायता

•   पति अपने पत्नी पर पैसे खर्च करने में कंजूसी न दिखाए|

 

•   पति को अपने पत्नी पर खर्च करने का अच्छा प्रतिफल मिलता है, चाहे वह अपने हाथ से उसे एक रोटी का टुकड़ा ही क्यों न खिलाये| (हदीस)

 

•    पत्नी पूछने से पहले पति को उस की ज़रुरत पूरी करनी चाहिए|

 

•    सुन्नत पर अमल करते हुए बगल के और गुप्तांग के बाल काटना चाहिए|

 

 सम्भोग

 

•    अगर आप बीमार न हो तो सम्भोग करना चाहिए|

 

•    ’बिस्मिल्लाह’ के साथ शुरू करना चाहिए और जो सही दुआ है उसे पढ़ना चाहिए|

 

•    सही तारीखे से ही सम्भोग करना चाहिए (पीछे से नहीं)|

 

•   सम्भोग के पूर्व की क्रीडा से शुरू करना चाहिए और प्रेम से भरी बातें करना चाहिए|

 

•    पत्नी पूरी तरह संतुष्ट होने तक सम्भोग करना चाहिए|

 

•   महावरी के समय सम्भोग नहीं करना चाहिए, उस समय सम्भोग करना हराम है|

 

•   सम्भोग के लिए सही और दोनों के लिए अनुकूल समय चयन करना चाहिए और पत्नी की तबीयत ख़राब हो तो ज़बरदस्ती नहीं करना चाहिए|
 

निजी तथा व्यक्तिगत विषयों को छुपाना चाहिए

 

निजी विषय, जैसे शयन कक्ष के या दूसरी व्यक्तिगत विषयों को दूसरों के सामने  नहीं बताना चाहिए|   
 

अल्लाह की विनयशीलता में सहायता करना 

 

•    रात के तीसरे हिस्से में पत्नी को उठाकर ‘नमाज़े तहज्जुद’ पढने को उभारना चाहिए|

 

•  खुरआन के बारे में जो कुछ भी तुम्हे मालूम हो, उसे अपने पत्नी को भी सिखाना चाहिए|

 

•    सुबह और शाम की दुआएं सिखाना चाहिए|

 

•    अल्लाह के राह में धन खर्च करने के लिए उभारना चाहिए|

 

•    आपके पास अगर हज या उमरा करने की सकत हो तो पत्नी को ज़रूर कराना चाहिए| पत्नी के परिवार के सदस्य और उस के सहेलियों की इज्ज़त करनी चाहिए

 

•    पत्नी के रिश्तेदारों से मिलाने के लिए उसे लेजाना, मुख्य तौर पर उस के माता पिता से मिलाना|

 

•   उन्हें अपने घर पर बुलाना और उनकी सेवा करना|

 

•   कुछ खास मौखे पर उन्हें तोहफे देना चाहिए|

 

•  .आवश्यकता पढने पर उन्हें पैसो से या समय से उनकी मदद करना चाहिए|

 

•    पत्नी की मृत्यू पहले हो जाये तो, सुन्नत के प्रकार उस के बंधुओं और दोस्तों के साथ अच्छे संबंध रखना चाहिए और वह जो चीज़े उनको दिया करती थी, उसे पति देने की कोशिश करना चाहिए|     
 

इस्लामी शिक्षा अथवा प्रबोधन

 

•   इस्लाम के मूल सूत्र

 

•   उस के कर्तव्य और अधिकार

 

•   लिखना और पढ़ना

 

•    स्त्रीओं के इस्लामी विधियाँ

 

•   वह घर से बाहर जाते समय सही हिजाब (पर्दा) करने का हुकुम देना|

 

•   जो महरम (शादी के खाबिल व्यक्ति) न हो उन से मिलने नहीं देना चाहिए|

 

•    अति ईर्ष्या से बचना चाहिए|

 

उदाहरण के लिए :

 

1-उस के बातों का ग़लत मतलब नहीं निकालना चाहिए|

 

2-अच्छे कारण होने पर भी उसे घर से बाहर जाने से रोकना|

 

सहनशीलता और उदारता

 

•   हर विवाहिक बंधन में कुछ न कुछ समस्या आती है, यह साधारण विषय है| परन्तु छोटी समस्या को बड़ी नहीं करना चाहिए|

 

•  .जब वह अल्लाह के नियमों का पालन नहीं करती उस समय उस पर गुस्सा होना चाहिए| जैसा कि, नमाज़ में देरी करना, चुगली करना, टीवी देखना इत्यादि|

 

•   आपको तकलीफ देने वाले विषय में उसे क्षमा करना चाहिए|

 

उसके ग़लतियों को सुधारना चाहिए

 

•   पहले अपने पत्नी को कईबार उपदेश कीजिये|

 

•    उसके बाद पत्नी को बिस्तर से दूर रखिये| इस से यह मतलब नहीं कि उस का कमरा छोड़ दे या घर से बाहर चले जाये या उस से बात न करे| केवल बिस्तर से दूर रखे( ताकि उस को आपकी एहसास समझ आये)|

 

•   अंतिम उपाय यह है कि, पत्नी को मारा जाये| परन्तु बहुत धीरे से| ऐसी सूरत में पति को कुछ विषयों पर ध्यान देना चाहिए :

 

1- उसे ध्यान रहना चाहिए कि, अल्लाह के रसूल मुहम्मद ने कभी भी किसी स्त्री या नौकर पर हाथ नहीं उठाया|

 

2- हाथ उठाना बिलकुल आखरी हतियार के तौर पर इस्तेमाल करना चाहिए| जब की वह आपको बिना किसी वजह के सम्भोग करने नहीं देती हो, नमाज़ पढने में लापरवाही करती हो, आपके अनुमति के बिना ही घर से बाहर जाती हो|  

 

3- उसे घाव आये जैसा बहुत जोर से नहीं मारना चाहिए, उसके चहरे पर या जिस्म के नाज़ुक हिस्से पर भी नहीं मारना चाहिए|

 

4- जूता, चप्पल जैसी चीज़ों से भी नहीं मारना चाहिए|

 

•   सिर्फ बड़े ग़लतियों को पकड़ना चाहिए|

 

•    जब भी वह गलती करती है उस के अच्छे काम को याद करना चाहिए| हर मनुष्य गलती करता है, वह (पत्नी) भी मनुष्य है, हो सकता है, थकन के कारण, किसी घम के कारण, महावरी के कारण वह गलती कर सकती है, इसलिए उसे क्षमा करना चाहिए|

 

    खाना पकाने में कुछ गलती हो तो क्षमा करना चाहिए| क्यों की अल्लाह के रसूल मुहम्मद भी इस विषय में अपने पत्नियों से कभी शिकायत नहीं किये| अगर अल्लाह के रसूल मुहम्मद को खाना पसंद आता तो खालेते और पसंद न आने पर छोड़ देते लेकिन शिकायत नहीं करते|

 

•    पत्नी को बुरा लगने या उसकी मनोभावना को ठेस पहुचाने वाले शब्द प्रयोग न करे|

 

•    अगर कुछ समस्या हो तो, सबके सामने उस बारे में बात न करे, बल्कि अकेले में बात करे|

 

•   आपका क्रोध ख़तम होने तक ठहर जाये तो अच्छा होगा| क्यों कि क्रोध में अपने शब्दों पर काबू पाना मुश्किल है|
 

आधार

From the book "How to make your wife happy by Sheikh Mohammed Abdel Haleem Hamed,

 

http://www.islamawareness.net/Marriage/marriage_article001.html(english)

 

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