अल्लाह के रसूल मुहम्मद ﷺ ने मानवता को क्या दिया


कई ग़ैर मुसलिम यह प्रश्न करते है कि, अल्लाह के रसूल मुहम्मद ने मानवता को  क्या दिया?प्रत्येक तौर पर पश्चिमी मीडिया आज के दौर में अल्लाह के रसूल मुहम्मद को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है| मानवजाति को जो  असम्मति हुई है, उसे शिक्षा के द्वारा दूर करना ही इस समस्या का सही समाधान है|

 

विषय सूची

 

एक अल्लाह की इबादत (पूजा) करना

अल्लाह के रसूल मुहम्मद ने अल्लाह की दैव वाणी (आकाशवाणी) के अनुसार मानवता को झूठे अथवा नखली चीज़ों की पूजा से मुक्ति दिलाकर, सच्चे और एक अल्लाह की पूजा करने की शिक्षा दी| अल्लाह के साथ किसी को साझी न बनाने का उपदेश दिया| इस तरह मानवता अल्लाह के सिवा दूसरों की पूजा करने से विमुक्त हो गयी| मानवता के लिए यह  बड़ी गौरव का विषय है| 

 

झूठे या नखली चीज़ों की इबादत (पूजा) से विमुक्ति

अल्लाह के रसूल मुहम्मद ने अल्लाह की दैव वाणी के अनुसार मानवता को अंधविश्वास, धोका और झूठे खुदाओं के सामने अर्पित होने से बचाया| अल्लाह का एक बेटा है, जो मानवजाति के गुनाहों के परिहार के लिए अपने आप को त्याग कर दिया – ऐसे झूठे विश्वासों, आचरण  से मानवता को विमुक्ति दिलाई|   

 

ग़ैर मुस्लिमों के अधिकार निर्धारित किये   

अल्लाह के रसूल मुहम्मद ने लोगों के बीच सहनशीलता की नीव डाली| अल्लाह ने खुरआन में इस तरह कहा : “धर्म में बल प्रयोग नहीं....|” [खुरआन सूरा बखरा 2:256] अल्लाह के रसूल मुहम्मद ग़ैर मुस्लिमों के लिए कुछ अधिकार भी निर्धारित किये, जैसा की – जो ग़ैर मुसलिम मुसलमानों से युध्ध नहीं करना चाहते, उनके जान की, संतान की, धन की और सम्मान की सुरक्षा मुसलमानों का फर्ज़ है| आज भी कई मुसलिम देशों में यहूदी और ईसाई सुरक्षित है और शांति के साथ ज़िन्दगी बिता रहे है|    

 

अल्लाह की दया

अल्लाह ने अल्लाह के रसूल मुहम्मद को कोई जाती या समूह के लिए नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए दयावान बनाकर भेजा| अल्लाह के रसूल मुहम्मद ने तो अपने उपदेशों में जानवर और पक्षी पर भी दया करने की सीख दी| उन्हें कोई कारण के बिना हानि न पहुचाने का उपदेश दिया| [सही बुखारी 3318]

 

नबियों के बीच कोई भेद भाव नहीं

 “और नहीं भेजा हम ने आप से पहले कोई भी रसूल परन्तु उस को और यही वही (प्रकाशना)

 

करते रहे की मेरे सिवा कोई पूज्य नही है| अतः मेरी ही इबादत (वंदना) करो|” [खुरआन सूरा अम्बिया 21:25]

 

मानव अधिकार निर्धारित किये

अल्लाह के रसूल मुहम्मद ने स्त्री, पुरुष, जवान, बूढ़े सबके लिए मानव अधिकार बनाये| उन्होंने एक उदाहरण स्थापित किया| अपने आखरी हज के उपदेश में, एक दूसरे पर अन्याय करने से रोका| [सही बुखारी 1623, 1626, 6361]

 

यह सब कुछ दुनिया के बड़े बड़े नियमों से बहुत पहले स्थापित किये गए| जैसा कि, magna charta 1215 में, thedeclaration of rights 1628 में, the personal freedom law 1679 में, the American declaration of independence 1776 में, the human and citizen rights charter 1789 में, the worldwide declaration of human rights 1948 में से बहुत पहले अल्लाह के रसूल मुहम्मद ने मानव अधिकार की स्थापना की|      

 

बुरे कर्मों से सावधान किया

अल्लाह के रसूल मुहम्मद नैतिकता की प्रामुख्यता पर ज्यादा ध्यान दिया| आप ने उच्च व्यवहार की सीख दी| ईमानदारी, निष्ठा, पवित्रता और माता पिता तथा सम्बन्धियों के प्रति आज्ञाकारी का उपदेश दिया| आपने जो भी कहा उसे करके दिखाया| आप ने हर बुरे कार्य से सावधान किया – जैसा की- झूट, दुश्मनी, धोका, व्यभिचार, माता पिता के साथ दुर व्यवहार इत्यादि विषयों से दूर रहने की सीख दी| [सही बुखारी 1623, 1626, 6361]   

 

लोगों को चिंतन, विचार करने की शिक्षा दी

अल्लाह के रसूल मुहम्मद ने अल्लाह की वही (प्रकाशना) पर लोगों को चिंतन तथा विचार करने की सीख दी| इस विश्व की रचना पर विचार करने से ज्ञान प्राप्त होता है|  

 

इस्लाम – मानव स्वाभाविक (फितरी) धर्म है

अल्लाह के रसूल मुहम्मद अल्लाह की वही (प्रकाशना) के ज़रिये से मानवता के सामने इस्लाम को पेश किया| इस्लाम एक स्वाभाविक धर्म है| यह धर्म ऐसा है जो, इन्सान की आत्मा और शारीरिक दोनों की आवश्यकताओं को पूरा करता है और प्रापंचिक तथा मरणोत्तर जीवन में संतुलन पैदा करता है| दूसरे धर्मों की तरह इस्लाम में इन्सान की शारीरिक इच्छाओं को दबाया नहीं जाता बल्कि उन्हें धार्मिक तारीखे से पूरा करने का अवसर दिया जाता है| उदाहरण के लिए विवाह वघैरा| ऐसे धर्मों का पालन करने वाले, कुछ समय बाद, धार्मिक विषयों को इंकार करते है और पूरे तौर पर दुनिया की ज़िन्दगी में मगन हो जाते है| अपने शारीरिक आवश्यकताओं को अहमियत देते है और रूह (आत्मा) की ज़रूरतों को भूल जाते है|    

 

भाईचारगी का उच्च उदाहरण, नमूना पेश किया

अल्लाह के रसूल मुहम्मद ने पूरी दुनिया के सामने भाईचारगी का ऊँचा नमूना पेश किया| आप ने कहा कि कोई इन्सान अपनी जाती या वर्ग से बड़ा नहीं होता| सब अपने जगह बराबर है| कोई अगर श्रेष्ट है तो वह सिर्फ अपने कर्म तथा धर्मपरायणता के आधार पर उत्तम या श्रेष्ट होता है| अल्लाह के रसूल मुहम्मद के अनुयायी (सहाबा) को दीन की सेवा करने का बराबर अवसर दिया गया था| उनमे baizantine के सुहैब रजिअल्लाहुअन्हु भी थे, अबिसीनिया के बिलाल रजिअल्लाहुअन्हु भी थे, पर्शिया के सलमान रजिअल्लाहुअन्हु भी थे| ऐसे कई ग़ैर अरब के लोग भी थे|

 

निष्कर्ष, परिणाम

नतीजा यह है की, अल्लाह के रसूल मुहम्मद के इन 10 पाठ को इस छोटे से लेख में पूरी तारीखे से समझाना कठिन है| आपकी जीवनी (सीरत) को पढ़ने के बाद कई पश्चिम और पूरब के अन्वेषक अल्लाह के रसूल मुहम्मद के बारे में बहुत कुछ लिखा है|

 

आधार, हवाला

 www.islamhouse.com (english)

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