94.सूरह अलम नश्रह 94:1 أَلَمْ نَشْرَحْ لَكَ صَدْرَكَ
क्या ऐसा नहीं कि हमने तुम्हारा सीना तुम्हारे लिए खोल दिया?
94:2 وَوَضَعْنَا عَنكَ وِزْرَكَ
और तुमपर से तुम्हारा बोझ उतार दिया,
94:3 الَّذِي أَنقَضَ ظَهْرَكَ
जो तुम्हारी कमर तोड़े डाल रहा था?
94:4 وَرَفَعْنَا لَكَ ذِكْرَكَ
और तुम्हारे लिए तुम्हारे ज़िक्र को ऊँचा कर दिया?
94:5 فَإِنَّ مَعَ الْعُسْرِ يُسْرًا
अतः निश्चय ही कठिनाई के साथ आसानी भी है।
94:6 إِنَّ مَعَ الْعُسْرِ يُسْرًا
निस्संदेह कठिनाई के साथ आसानी भी है।
94:7 فَإِذَا فَرَغْتَ فَانصَبْ
अतः जब निवृत्त हो तो परिश्रम में लग जाओ,
94:8 وَإِلَىٰ رَبِّكَ فَارْغَب
और अपने रब से लौ लगाओ।