54.सूरह अल खमर 54:1 اقْتَرَبَتِ السَّاعَةُ وَانشَقَّ الْقَمَرُ
वह घड़ी निकट आ लगी और चाँद फट गया;
54:2 وَإِن يَرَوْا آيَةً يُعْرِضُوا وَيَقُولُوا سِحْرٌ مُّسْتَمِرٌّ
किन्तु हाल यह है कि यदि वे कोई निशानी देख भी लें तो टाल जाएँगे और कहेंगे, "यह तो जादू है, पहले से चला आ रहा है!"
54:3 وَكَذَّبُوا وَاتَّبَعُوا أَهْوَاءَهُمْ ۚ وَكُلُّ أَمْرٍ مُّسْتَقِرٌّ
उन्होंने झुठलाया और अपनी इच्छाओं का अनुसरण किया; किन्तु हर मामले के लिए एक नियत अवधि है।
54:4 وَلَقَدْ جَاءَهُم مِّنَ الْأَنبَاءِ مَا فِيهِ مُزْدَجَرٌ
उनके पास अतीत की ऐसी ख़बरें आ चुकी हैं, जिनमें ताड़ना अर्थात पूर्णतः तत्वदर्शिता है।
54:5 حِكْمَةٌ بَالِغَةٌ ۖ فَمَا تُغْنِ النُّذُرُ
किन्तु चेतावनियाँ उनके कुछ काम नहीं आ रही हैं!
54:6 فَتَوَلَّ عَنْهُمْ ۘ يَوْمَ يَدْعُ الدَّاعِ إِلَىٰ شَيْءٍ نُّكُرٍ
अतः उनसे रुख़ फेर लो - जिस दिन पुकारनेवाला एक अत्यन्त अप्रिय चीज़ की ओर पुकारेगा;
54:7 خُشَّعًا أَبْصَارُهُمْ يَخْرُجُونَ مِنَ الْأَجْدَاثِ كَأَنَّهُمْ جَرَادٌ مُّنتَشِرٌ
वे अपनी झुकी हुई निगाहों के साथ अपनी क़ब्रों से निकल रहे होंगे, मानो वे बिखरी हुई टिड्डियाँ हैं
54:8 مُّهْطِعِينَ إِلَى الدَّاعِ ۖ يَقُولُ الْكَافِرُونَ هَٰذَا يَوْمٌ عَسِرٌ
दौड़ पड़ने को पुकारनेवाले की ओर। इनकार करनेवाले कहेंगे, "यह तो एक कठिन दिन है!"
54:9 كَذَّبَتْ قَبْلَهُمْ قَوْمُ نُوحٍ فَكَذَّبُوا عَبْدَنَا وَقَالُوا مَجْنُونٌ وَازْدُجِرَ
उनसे पहले नूह की क़ौम ने भी झुठलाया। उन्होंने हमारे बन्दे को झूठा ठहराया और कहा, "यह तो दीवाना है!" और वह बुरी तरह झिड़का गया।
54:10 فَدَعَا رَبَّهُ أَنِّي مَغْلُوبٌ فَانتَصِرْ
अन्त में उसने अपने रब को पुकारा कि "मैं दबा हुआ हूँ। अब तू बदला ले।"
54:11 فَفَتَحْنَا أَبْوَابَ السَّمَاءِ بِمَاءٍ مُّنْهَمِرٍ
तब हमने मूसलाधार बरसते हुए पानी से आकाश के द्वार खोल दिए;
54:12 وَفَجَّرْنَا الْأَرْضَ عُيُونًا فَالْتَقَى الْمَاءُ عَلَىٰ أَمْرٍ قَدْ قُدِرَ
और धरती को प्रवाहित स्रोतों में परिवर्तित कर दिया, और सारा पानी उस काम के लिए मिल गया जो नियत हो चुका था
54:13 وَحَمَلْنَاهُ عَلَىٰ ذَاتِ أَلْوَاحٍ وَدُسُرٍ
और हमने उसे एक तख़्तों और कीलोंवाली (नौका) पर सवार किया,
54:14 تَجْرِي بِأَعْيُنِنَا جَزَاءً لِّمَن كَانَ كُفِرَ
जो हमारी निगाहों के सामने चल रही थी - यह बदला था उस व्यक्ति के लिए जिसकी क़द्र नहीं की गई।
54:15 وَلَقَد تَّرَكْنَاهَا آيَةً فَهَلْ مِن مُّدَّكِرٍ
हमने उसे एक निशानी बनाकर छोड़ दिया; फिर क्या है कोई नसीहत हासिल करनेवाला?
54:16 فَكَيْفَ كَانَ عَذَابِي وَنُذُرِ
फिर कैसी रही मेरी यातना और मेरे डरावे?
54:17 وَلَقَدْ يَسَّرْنَا الْقُرْآنَ لِلذِّكْرِ فَهَلْ مِن مُّدَّكِرٍ
और हमने क़ुरआन को नसीहत के लिए अनुकूल और सहज बना दिया है। फिर क्या है कोई नसीहत हासिल करनेवाला
54:18 كَذَّبَتْ عَادٌ فَكَيْفَ كَانَ عَذَابِي وَنُذُرِ
आद ने भी झुठलाया, फिर कैसी रही मेरी यातना और मेरा डराना?
54:19 إِنَّا أَرْسَلْنَا عَلَيْهِمْ رِيحًا صَرْصَرًا فِي يَوْمِ نَحْسٍ مُّسْتَمِرٍّ
निश्चय ही हमने एक निरन्तर अशुभ दिन में तेज़ प्रचंड ठंडी हवा भेजी, उसे उनपर मुसल्लत कर दिया, तो वह लोगों को उखाड़ फेंक रही थी।
54:20 تَنزِعُ النَّاسَ كَأَنَّهُمْ أَعْجَازُ نَخْلٍ مُّنقَعِرٍ
मानो वे उखड़े खजूर के तने हों।
54:21 فَكَيْفَ كَانَ عَذَابِي وَنُذُرِ
फिर कैसी रही मेरी यातना और मेरे डरावे?
54:22 وَلَقَدْ يَسَّرْنَا الْقُرْآنَ لِلذِّكْرِ فَهَلْ مِن مُّدَّكِرٍ
और हमने क़ुरआन को नसीहत के लिए अनुकूल और सहज बना दिया है। फिर क्या है कोई नसीहत हासिल करनेवाला?
54:23 كَذَّبَتْ ثَمُودُ بِالنُّذُرِ
समूद ने चेतावनियों को झुठलाया;
54:24 فَقَالُوا أَبَشَرًا مِّنَّا وَاحِدًا نَّتَّبِعُهُ إِنَّا إِذًا لَّفِي ضَلَالٍ وَسُعُرٍ
और कहने लगे, "एक अकेला आदमी, जो हम ही में से है, क्या हम उसके पीछे चलेंगे? तब तो वास्तव में हम गुमराही और दीवानापन में पड़ गए!
54:25 أَأُلْقِيَ الذِّكْرُ عَلَيْهِ مِن بَيْنِنَا بَلْ هُوَ كَذَّابٌ أَشِرٌ
क्या हमारे बीच उसी पर अनुस्मृति उतारी है? नहीं, बल्कि वह तो परले दरजे का झूठा, बड़ा आत्मश्लाघी है।"
54:26 سَيَعْلَمُونَ غَدًا مَّنِ الْكَذَّابُ الْأَشِرُ
"कल को ही वे जान लेंगे कि कौन परले दरजे का झूठा, बड़ा आत्मश्लाघी है।
54:27 إِنَّا مُرْسِلُو النَّاقَةِ فِتْنَةً لَّهُمْ فَارْتَقِبْهُمْ وَاصْطَبِرْ
हम ऊँटनी को उनके लिए परीक्षा के रूप में भेज रहे हैं। अतः तुम उन्हें देखते जाओ और धैर्य से काम लो।
54:28 وَنَبِّئْهُمْ أَنَّ الْمَاءَ قِسْمَةٌ بَيْنَهُمْ ۖ كُلُّ شِرْبٍ مُّحْتَضَرٌ
"और उन्हें सूचित कर दो कि पानी उनके बीच बाँट दिया गया है। हर एक पीने की बारी पर बारीवाला उपस्थित होगा।
54:29 فَنَادَوْا صَاحِبَهُمْ فَتَعَاطَىٰ فَعَقَرَ
अन्ततः उन्होंने अपने साथी को पुकारा, तो उसने ज़िम्मा लिया फिर उसने उसकी कूचें काट दीं।
54:30 فَكَيْفَ كَانَ عَذَابِي وَنُذُرِ
फिर कैसी रही मेरी यातना और मेरे डरावे?
54:31 إِنَّا أَرْسَلْنَا عَلَيْهِمْ صَيْحَةً وَاحِدَةً فَكَانُوا كَهَشِيمِ الْمُحْتَظِرِ
हमने उनपर एक धमाका छोड़ा, फिर वे बाड़ लगानेवाले की रौंदी हुई बाड़ की तरह चूरा होकर रह गए।
54:32 وَلَقَدْ يَسَّرْنَا الْقُرْآنَ لِلذِّكْرِ فَهَلْ مِن مُّدَّكِرٍ
हमने क़ुरआन को नसीहत के लिए अनुकूल और सहज बना दिया है। फिर क्या कोई है नसीहत हासिल करनेवाला
54:33 كَذَّبَتْ قَوْمُ لُوطٍ بِالنُّذُرِ
लूत की क़ौम ने भी चेतावनियों को झुठलाया।
54:34 إِنَّا أَرْسَلْنَا عَلَيْهِمْ حَاصِبًا إِلَّا آلَ لُوطٍ ۖ نَّجَّيْنَاهُم بِسَحَرٍ
हमने लूत के घरवालों के सिवा उनपर पथराव करनेवाली तेज़ वायु भेजी।
54:35 نِّعْمَةً مِّنْ عِندِنَا ۚ كَذَٰلِكَ نَجْزِي مَن شَكَرَ
हमने अपनी विशेष अनुकम्पा से प्रातःकाल उन्हें बचा लिया। हम इसी तरह उस व्यक्ति को बदला देते हैं जो कृतज्ञता दिखाए।
54:36 وَلَقَدْ أَنذَرَهُم بَطْشَتَنَا فَتَمَارَوْا بِالنُّذُرِ
उसने जो उन्हें हमारी पकड़ से सावधान कर दिया था। किन्तु वे चेतावनियों के विषय में संदेह करते रहे।
54:37 وَلَقَدْ رَاوَدُوهُ عَن ضَيْفِهِ فَطَمَسْنَا أَعْيُنَهُمْ فَذُوقُوا عَذَابِي وَنُذُرِ
उन्होंने उसे फुसलाकर उसके पास से उसके अतिथियों को बुलाना चाहा। अन्ततः हमने उनकी आँखें मेट दीं, "लो, अब चखो मज़ा मेरी यातना और चेतावनियों का!"
54:38 وَلَقَدْ صَبَّحَهُم بُكْرَةً عَذَابٌ مُّسْتَقِرٌّ
सुबह सवेरे ही एक अटल यातना उनपर आ पहुँची,
54:39 فَذُوقُوا عَذَابِي وَنُذُرِ
"लो, अब चखो मज़ा मेरी यातना और चेतावनियों का!"
54:40 وَلَقَدْ يَسَّرْنَا الْقُرْآنَ لِلذِّكْرِ فَهَلْ مِن مُّدَّكِرٍ
और हमने क़ुरआन को नसीहत के लिए अनुकूल और सहज बना दिया है। फिर क्या है कोई नसीहत हासिल करनेवाला?
54:41 وَلَقَدْ جَاءَ آلَ فِرْعَوْنَ النُّذُرُ
और फ़िरऔनियों के पास चेतावनियाँ आईं;
54:42 كَذَّبُوا بِآيَاتِنَا كُلِّهَا فَأَخَذْنَاهُمْ أَخْذَ عَزِيزٍ مُّقْتَدِرٍ
उन्होंने हमारी सारी निशानियों को झुठला दिया। अन्ततः हमने उन्हें पकड़ लिया, जिस प्रकार एक ज़बरदस्त प्रभुत्वशाली पकड़ता है।
54:43 أَكُفَّارُكُمْ خَيْرٌ مِّنْ أُولَٰئِكُمْ أَمْ لَكُم بَرَاءَةٌ فِي الزُّبُرِ
क्या तुम्हारे काफ़िर कुछ उन लोगों से अच्छे हैं या किताबों में तुम्हारे लिए कोई छुटकारा लिखा हुआ है
54:44 أَمْ يَقُولُونَ نَحْنُ جَمِيعٌ مُّنتَصِرٌ
या वे कहते हैं, "और हम मुक़ाबले की शक्ति रखनेवाले एक जत्था हैं?"
54:45 سَيُهْزَمُ الْجَمْعُ وَيُوَلُّونَ الدُّبُرَ
शीघ्र ही वह जत्था पराजित होकर रहेगा और वे पीठ दिखा जाएँगे।
54:46 بَلِ السَّاعَةُ مَوْعِدُهُمْ وَالسَّاعَةُ أَدْهَىٰ وَأَمَرُّ
नहीं, बल्कि वह घड़ी है, जिसका समय उनके लिए नियत है और वह बड़ी आपदावाली और कटु घड़ी है!
54:47 إِنَّ الْمُجْرِمِينَ فِي ضَلَالٍ وَسُعُرٍ
निस्संदेह, अपराधी लोग गुमराही और दीवानेपन में पड़े हुए हैं।
54:48 يَوْمَ يُسْحَبُونَ فِي النَّارِ عَلَىٰ وُجُوهِهِمْ ذُوقُوا مَسَّ سَقَرَ
जिस दिन वे अपने मुँह के बल आग में घसीटे जाएँगे, "चखो मज़ा आग की लपट का!"
54:49 إِنَّا كُلَّ شَيْءٍ خَلَقْنَاهُ بِقَدَرٍ
निश्चय ही हमने हर चीज़ एक अंदाज़े के साथ पैदा की है।
54:50 وَمَا أَمْرُنَا إِلَّا وَاحِدَةٌ كَلَمْحٍ بِالْبَصَرِ
और हमारा आदेश (और काम) तो बस एक दम की बात होती है जैसे आँख का झपकना।
54:51 وَلَقَدْ أَهْلَكْنَا أَشْيَاعَكُمْ فَهَلْ مِن مُّدَّكِرٍ
और हम तुम्हारे जैसे लोगों को विनष्ट कर चुके हैं। फिर क्या है कोई नसीहत हासिल करनेवाला?
54:52 وَكُلُّ شَيْءٍ فَعَلُوهُ فِي الزُّبُرِ
जो कुछ उन्होंने किया है, वह पन्नों में अंकित है।
54:53 وَكُلُّ صَغِيرٍ وَكَبِيرٍ مُّسْتَطَرٌ
और हर छोटी और बड़ी चीज़ लिखित है।
54:54 إِنَّ الْمُتَّقِينَ فِي جَنَّاتٍ وَنَهَرٍ
निश्चय ही डर रखनेवाले बाग़ों और नहरों के बीच होंगे,
54:55 فِي مَقْعَدِ صِدْقٍ عِندَ مَلِيكٍ مُّقْتَدِرٍ
प्रतिष्ठित स्थान पर, प्रभुत्वशाली सम्राट के निकट।