21.सूरह अल अंबिया 21:1 اقْتَرَبَ لِلنَّاسِ حِسَابُهُمْ وَهُمْ فِي غَفْلَةٍ مُّعْرِضُونَ
निकट आ गया लोगों का हिसाब और वे हैं कि असावधान कतराते जा रहे हैं।
21:2 مَا يَأْتِيهِم مِّن ذِكْرٍ مِّن رَّبِّهِم مُّحْدَثٍ إِلَّا اسْتَمَعُوهُ وَهُمْ يَلْعَبُونَ
उनके पास जो ताज़ा अनुस्मृति भी उनके रब की ओर से आती है, उसे वे हँसी-खेल करते हुए ही सुनते हैं।
21:3 لَاهِيَةً قُلُوبُهُمْ ۗ وَأَسَرُّوا النَّجْوَى الَّذِينَ ظَلَمُوا هَلْ هَٰذَا إِلَّا بَشَرٌ مِّثْلُكُمْ ۖ أَفَتَأْتُونَ السِّحْرَ وَأَنتُمْ تُبْصِرُونَ
उनके दिल दिलचस्पियों में खोए हुए होते हैं। उन्होंने चुपके-चुपके कानाफूसी की - अर्थात अत्याचार की नीति अपनानेवालों ने कि "यह तो बस तुम जैसा ही एक मनुष्य है। फिर क्या तुम देखते-बूझते जादू में फँस जाओगे?"
21:4 قَالَ رَبِّي يَعْلَمُ الْقَوْلَ فِي السَّمَاءِ وَالْأَرْضِ ۖ وَهُوَ السَّمِيعُ الْعَلِيمُ
उसने कहा, "मेरा रब जानता है उस बात को जो आकाश और धरती में हो। और वह भली-भाँति सब कुछ सुनने, जाननेवाला है।"
21:5 بَلْ قَالُوا أَضْغَاثُ أَحْلَامٍ بَلِ افْتَرَاهُ بَلْ هُوَ شَاعِرٌ فَلْيَأْتِنَا بِآيَةٍ كَمَا أُرْسِلَ الْأَوَّلُونَ
नहीं, बल्कि वे कहते हैं, "ये तो संभ्रमित स्वप्न हैं, बल्कि उसने इसे स्वयं ही घड़ लिया है, बल्कि वह एक कवि है! उसे तो हमारे पास कोई निशानी लानी चाहिए, जैसे कि (निशानियाँ देकर) पहले के रसूल भेजे गए थे।"
21:6 مَا آمَنَتْ قَبْلَهُم مِّن قَرْيَةٍ أَهْلَكْنَاهَا ۖ أَفَهُمْ يُؤْمِنُونَ
इनसे पहले कोई बस्ती भी, जिसको हमने विनष्ट किया, ईमान न लाई। फिर क्या ये ईमान लाएँगे?
21:7 وَمَا أَرْسَلْنَا قَبْلَكَ إِلَّا رِجَالًا نُّوحِي إِلَيْهِمْ ۖ فَاسْأَلُوا أَهْلَ الذِّكْرِ إِن كُنتُمْ لَا تَعْلَمُونَ
और तुमसे पहले भी हमने पुरुषों ही को रसूल बनाकर भेजा, जिनकी ओर हम प्रकाशना करते थे। - यदि तुम्हें मालूम न हो तो ज़िक्रवालों (किताबवालों) से पूछ लो। -
21:8 وَمَا جَعَلْنَاهُمْ جَسَدًا لَّا يَأْكُلُونَ الطَّعَامَ وَمَا كَانُوا خَالِدِينَ
उनको हमने कोई ऐसा शरीर नहीं दिया था कि वे भोजन न करते हों और न वे सदैव रहनेवाले ही थे।
21:9 ثُمَّ صَدَقْنَاهُمُ الْوَعْدَ فَأَنجَيْنَاهُمْ وَمَن نَّشَاءُ وَأَهْلَكْنَا الْمُسْرِفِينَ
फिर हमने उनके साथ वादे को सच्चा कर दिखाया और उन्हें हमने छुटकारा दिया, और जिसे हम चाहें उसे छुटकारा मिलता है। और मर्यादाहीनों को हमने विनष्ट कर दिया।
21:10 لَقَدْ أَنزَلْنَا إِلَيْكُمْ كِتَابًا فِيهِ ذِكْرُكُمْ ۖ أَفَلَا تَعْقِلُونَ
लो, हमने तुम्हारी ओर एक किताब अवतरित कर दी है, जिसमें तुम्हारे लिए याददिहानी है। तो क्या तुम बुद्धि से काम नहीं लेते?
21:11 وَكَمْ قَصَمْنَا مِن قَرْيَةٍ كَانَتْ ظَالِمَةً وَأَنشَأْنَا بَعْدَهَا قَوْمًا آخَرِينَ
कितनी ही बस्तियों को, जो ज़ालिम थीं, हमने तोड़कर रख दिया और उनके बाद हमने दूसरे लोगों को उठाया
21:12 فَلَمَّا أَحَسُّوا بَأْسَنَا إِذَا هُم مِّنْهَا يَرْكُضُونَ
फिर जब उन्हें हमारी यातना का आभास हुआ तो लगे वहाँ से भागने।
21:13 لَا تَرْكُضُوا وَارْجِعُوا إِلَىٰ مَا أُتْرِفْتُمْ فِيهِ وَمَسَاكِنِكُمْ لَعَلَّكُمْ تُسْأَلُونَ
कहा गया, "भागो नहीं! लौट चलो, उसी भोग-विलास की ओर जो तुम्हें प्राप्त था और अपने घरों की ओर ताकि तुमसे पूछा जाए।"
21:14 قَالُوا يَا وَيْلَنَا إِنَّا كُنَّا ظَالِمِينَ
कहने लगे, "हाय हमारा दुर्भाग्य! निस्संदेह हम ज़ालिम थे।"
21:15 فَمَا زَالَت تِّلْكَ دَعْوَاهُمْ حَتَّىٰ جَعَلْنَاهُمْ حَصِيدًا خَامِدِينَ
फिर उनकी निरन्तर यही पुकार रही, यहाँ तक कि हमने उन्हें ऐसा कर दिया जैसे कटी हुई खेती, बुझी हुई आग हो।
21:16 وَمَا خَلَقْنَا السَّمَاءَ وَالْأَرْضَ وَمَا بَيْنَهُمَا لَاعِبِينَ
और हमने आकाश और धरती को और जो कुछ उनके मध्य में है कुछ इस प्रकार नहीं बनाया कि हम कोई खेल करने वाले हों।
21:17 لَوْ أَرَدْنَا أَن نَّتَّخِذَ لَهْوًا لَّاتَّخَذْنَاهُ مِن لَّدُنَّا إِن كُنَّا فَاعِلِينَ
यदि हम कोई खेल-तमाशा करना चाहते तो अपने ही पास से कर लेते, यदि हम ऐसा करने ही वाले होते।
21:18 بَلْ نَقْذِفُ بِالْحَقِّ عَلَى الْبَاطِلِ فَيَدْمَغُهُ فَإِذَا هُوَ زَاهِقٌ ۚ وَلَكُمُ الْوَيْلُ مِمَّا تَصِفُونَ
नहीं, बल्कि हम तो असत्य पर सत्य की चोट लगाते हैं, तो वह उसका सिर तोड़ देता है। फिर क्या देखते हैं कि वह मिटकर रह जाता है और तुम्हारे लिए तबाही है उन बातों के कारण जो तुम बनाते हो!
21:19 وَلَهُ مَن فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۚ وَمَنْ عِندَهُ لَا يَسْتَكْبِرُونَ عَنْ عِبَادَتِهِ وَلَا يَسْتَحْسِرُونَ
और आकाशों और धरती में जो कोई है उसी का है। और जो (फ़रिश्ते) उसके पास हैं वे न तो अपने को बड़ा समझकर उसकी बन्दगी से मुँह मोड़ते हैं औऱ न वे थकते हैं।
21:20 يُسَبِّحُونَ اللَّيْلَ وَالنَّهَارَ لَا يَفْتُرُونَ
रात और दिन तसबीह करते रहते हैं, दम नहीं लेते।
21:21 أَمِ اتَّخَذُوا آلِهَةً مِّنَ الْأَرْضِ هُمْ يُنشِرُونَ
(क्या उन्होंने आकाश से कुछ पूज्य बना लिए हैं)... या उन्होंने धरती से ऐसे इष्ट -पूज्य बना लिए हैं, जो पुनर्जीवित करते हों?
21:22 لَوْ كَانَ فِيهِمَا آلِهَةٌ إِلَّا اللَّهُ لَفَسَدَتَا ۚ فَسُبْحَانَ اللَّهِ رَبِّ الْعَرْشِ عَمَّا يَصِفُونَ
यदि इन दोनों (आकाश और धरती) में अल्लाह के सिवा दूसरे इष्ट-पूज्य भी होते तो दोनों की व्यवस्था बिगड़ जाती। अतः महान और उच्च है अल्लाह, राजासन का स्वामी, उन बातों से जो ये बयान करते हैं।
21:23 لَا يُسْأَلُ عَمَّا يَفْعَلُ وَهُمْ يُسْأَلُونَ
जो कुछ वह करता है उससे उसकी कोई पूछ नहीं हो सकती, किन्तु इनसे पूछ होगी।
21:24 أَمِ اتَّخَذُوا مِن دُونِهِ آلِهَةً ۖ قُلْ هَاتُوا بُرْهَانَكُمْ ۖ هَٰذَا ذِكْرُ مَن مَّعِيَ وَذِكْرُ مَن قَبْلِي ۗ بَلْ أَكْثَرُهُمْ لَا يَعْلَمُونَ الْحَقَّ ۖ فَهُم مُّعْرِضُونَ
(क्या ये अल्लाह के हक़ को नहीं पहचानते) या उसे छोड़कर इन्होंने दूसरे इष्ट-पूज्य बना लिए हैं (जिसके लिए इनके पास कुछ प्रमाण हैं)? कह दो, "लाओ, अपना प्रमाण! यह अनुस्मृति है उनकी जो मेरे साथ है और अनुस्मृति है उनकी जो मुझसे पहले हुए हैं, किन्तु बात यह है कि इनमें अधिकतर सत्य को जानते नहीं, इसलिए कतरा रहे हैं।
21:25 وَمَا أَرْسَلْنَا مِن قَبْلِكَ مِن رَّسُولٍ إِلَّا نُوحِي إِلَيْهِ أَنَّهُ لَا إِلَٰهَ إِلَّا أَنَا فَاعْبُدُونِ
हमने तुमसे पहले जो रसूल भी भेजा, उसकी ओर यही प्रकाशना की कि "मेरे सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं। अतः तुम मेरी ही बन्दगी करो।" (
21:26 وَقَالُوا اتَّخَذَ الرَّحْمَٰنُ وَلَدًا ۗ سُبْحَانَهُ ۚ بَلْ عِبَادٌ مُّكْرَمُونَ
और वे कहते हैं कि "रहमान सन्तान रखता है।" महान है वह! बल्कि वे तो प्रतिष्ठित बन्दे हैं।
21:27 لَا يَسْبِقُونَهُ بِالْقَوْلِ وَهُم بِأَمْرِهِ يَعْمَلُونَ
उससे आगे बढ़कर नहीं बोलते और उनके आदेश का पालन करते हैं।
21:28 يَعْلَمُ مَا بَيْنَ أَيْدِيهِمْ وَمَا خَلْفَهُمْ وَلَا يَشْفَعُونَ إِلَّا لِمَنِ ارْتَضَىٰ وَهُم مِّنْ خَشْيَتِهِ مُشْفِقُونَ
वह जानता है जो कुछ उनके आगे है और जो कुछ उनके पीछे है, और वे किसी की सिफ़ारिश नहीं करते सिवाय उसके जिसके लिए अल्लाह पसन्द करे। और वे उसके भय से डरते रहते हैं।
21:29 وَمَن يَقُلْ مِنْهُمْ إِنِّي إِلَٰهٌ مِّن دُونِهِ فَذَٰلِكَ نَجْزِيهِ جَهَنَّمَ ۚ كَذَٰلِكَ نَجْزِي الظَّالِمِينَ
और जो उनमें से यह कहे कि "उसके सिवा मैं भी एक इष्ट -पूज्य हूँ।" तो हम उसे बदले में जहन्नम देंगे। ज़ालिमों को हम ऐसा ही बदला दिया करते हैं।
21:30 أَوَلَمْ يَرَ الَّذِينَ كَفَرُوا أَنَّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ كَانَتَا رَتْقًا فَفَتَقْنَاهُمَا ۖ وَجَعَلْنَا مِنَ الْمَاءِ كُلَّ شَيْءٍ حَيٍّ ۖ أَفَلَا يُؤْمِنُونَ
क्या उन लोगों ने जिन्होंने इनकार किया, देखा नहीं कि ये आकाश और धरती बन्द थे। फिर हमने उन्हें खोल दिया। और हमने पानी से हर जीवित चीज़ बनाई, तो क्या वे मानते नहीं?
21:31 وَجَعَلْنَا فِي الْأَرْضِ رَوَاسِيَ أَن تَمِيدَ بِهِمْ وَجَعَلْنَا فِيهَا فِجَاجًا سُبُلًا لَّعَلَّهُمْ يَهْتَدُونَ
और हमने धरती में अटल पहाड़ रख दिए, ताकि कहीं ऐसा न हो कि वह उन्हें लेकर ढुलक जाए और हमने उसमें ऐसे दर्रे बनाए कि रास्तों का काम देते हैं, ताकि वे मार्ग पाएँ।
21:32 وَجَعَلْنَا السَّمَاءَ سَقْفًا مَّحْفُوظًا ۖ وَهُمْ عَنْ آيَاتِهَا مُعْرِضُونَ
और हमने आकाश को एक सुरक्षित छत बनाया, किन्तु वे हैं कि उसकी निशानियों से कतरा जाते हैं।
21:33 وَهُوَ الَّذِي خَلَقَ اللَّيْلَ وَالنَّهَارَ وَالشَّمْسَ وَالْقَمَرَ ۖ كُلٌّ فِي فَلَكٍ يَسْبَحُونَ
वही है जिसने रात और दिन बनाए और सूर्य और चन्द्र भी। प्रत्येक अपने-अपने कक्ष में तैर रहा है।
21:34 وَمَا جَعَلْنَا لِبَشَرٍ مِّن قَبْلِكَ الْخُلْدَ ۖ أَفَإِن مِّتَّ فَهُمُ الْخَالِدُونَ
हमने तुमसे पहले भी किसी आदमी के लिए अमरता नहीं रखी। फिर क्या यदि तुम मर गए तो वे सदैव रहनेवाले हैं?
21:35 كُلُّ نَفْسٍ ذَائِقَةُ الْمَوْتِ ۗ وَنَبْلُوكُم بِالشَّرِّ وَالْخَيْرِ فِتْنَةً ۖ وَإِلَيْنَا تُرْجَعُونَ
हर जीव को मौत का मज़ा चखना है और हम अच्छी और बुरी परिस्थितियों में डालकर तुम सबकी परीक्षा करते हैं। अन्ततः तुम्हें हमारी ही ओर पलटकर आना है।
21:36 وَإِذَا رَآكَ الَّذِينَ كَفَرُوا إِن يَتَّخِذُونَكَ إِلَّا هُزُوًا أَهَٰذَا الَّذِي يَذْكُرُ آلِهَتَكُمْ وَهُم بِذِكْرِ الرَّحْمَٰنِ هُمْ كَافِرُونَ
जिन लोगों ने इनकार किया वे जब तुम्हें देखते हैं तो तुम्हारा उपहास ही करते हैं। (कहते हैं,) "क्या यही वह व्यक्ति है, जो तुम्हारे इष्ट -पूज्यों की बुराई के साथ चर्चा करता है?" और उनका अपना हाल यह है कि वे रहमान के ज़िक्र (स्मरण) से इनकार करते हैं।
21:37 خُلِقَ الْإِنسَانُ مِنْ عَجَلٍ ۚ سَأُرِيكُمْ آيَاتِي فَلَا تَسْتَعْجِلُونِ
मनुष्य उतावला पैदा किया गया है। मैं तुम्हें शीघ्र ही अपनी निशानियाँ दिखाए देता हूँ। अतः तुम मुझसे जल्दी मत मचाओ।
21:38 وَيَقُولُونَ مَتَىٰ هَٰذَا الْوَعْدُ إِن كُنتُمْ صَادِقِينَ
वे कहते हैं कि "यह वादा कब पूरा होगा, यदि तुम सच्चे हो?"
21:39 لَوْ يَعْلَمُ الَّذِينَ كَفَرُوا حِينَ لَا يَكُفُّونَ عَن وُجُوهِهِمُ النَّارَ وَلَا عَن ظُهُورِهِمْ وَلَا هُمْ يُنصَرُونَ
अगर इनकार करनेवाले उस समय को जानते, जबकि वे न तो अपने चहरों की ओर आग को रोक सकेंगे और न अपनी पीठों की ओर से और न उन्हें कोई सहायता ही पहुँच सकेगी तो (यातना की जल्दी न मचाते)
21:40 بَلْ تَأْتِيهِم بَغْتَةً فَتَبْهَتُهُمْ فَلَا يَسْتَطِيعُونَ رَدَّهَا وَلَا هُمْ يُنظَرُونَ
बल्कि वह अचानक उनपर आएगी और उन्हें स्तब्ध कर देगी। फिर न उसे वे फेर सकेंगे और न उन्हें मुहलत ही मिलेगी।
21:41 وَلَقَدِ اسْتُهْزِئَ بِرُسُلٍ مِّن قَبْلِكَ فَحَاقَ بِالَّذِينَ سَخِرُوا مِنْهُم مَّا كَانُوا بِهِ يَسْتَهْزِئُونَ
तुमसे पहले भी रसूलों की हँसी उड़ाई जा चुकी है, किन्तु उनमें से जिन लोगों ने उनकी हँसी उड़ाई थी उन्हें उसी चीज़ ने आ घेरा, जिसकी वे हँसी उड़ाते थे।
21:42 قُلْ مَن يَكْلَؤُكُم بِاللَّيْلِ وَالنَّهَارِ مِنَ الرَّحْمَٰنِ ۗ بَلْ هُمْ عَن ذِكْرِ رَبِّهِم مُّعْرِضُونَ
कहो कि "कौन रहमान के मुक़ाबले में रात-दिन तुम्हारी रक्षा करेगा? बल्कि बात यह है कि वे अपने रब की याददिहानी से कतरा रहे हैं।
21:43 أَمْ لَهُمْ آلِهَةٌ تَمْنَعُهُم مِّن دُونِنَا ۚ لَا يَسْتَطِيعُونَ نَصْرَ أَنفُسِهِمْ وَلَا هُم مِّنَّا يُصْحَبُونَ
(क्या वे हमें नहीं जानते) या हमसे हटकर उनके और भी इष्ट-पूज्य हैं, जो उन्हें बचा लें? वे तो स्वयं अपनी ही सहायता नहीं कर सकते हैं और न हमारे मुक़ाबले में उनका कोई साथ ही दे सकता है।
21:44 بَلْ مَتَّعْنَا هَٰؤُلَاءِ وَآبَاءَهُمْ حَتَّىٰ طَالَ عَلَيْهِمُ الْعُمُرُ ۗ أَفَلَا يَرَوْنَ أَنَّا نَأْتِي الْأَرْضَ نَنقُصُهَا مِنْ أَطْرَافِهَا ۚ أَفَهُمُ الْغَالِبُونَ
बल्कि बात यह है कि हमने उन्हें और उनके बाप-दादा को सुख-सुविधा की सामग्री प्रदान की, यहाँ तक कि इसी दशा में एक लम्बी मुद्दत उनपर गुज़र गई, तो क्या वे देखते नहीं कि हम इस भूभाग को उसके चतुर्दिक से घटाते हुए बढ़ रहे हैं? फिर क्या वे अभिमानी रहेंगे?
21:45 قُلْ إِنَّمَا أُنذِرُكُم بِالْوَحْيِ ۚ وَلَا يَسْمَعُ الصُّمُّ الدُّعَاءَ إِذَا مَا يُنذَرُونَ
कह दो, "मैं तो बस प्रकाशना के आधार पर तुम्हें सावधान करता हूँ।" किन्तु बहरे पुकार को नहीं सुनते, जबकि उन्हें सावधान किया जाए।
21:46 وَلَئِن مَّسَّتْهُمْ نَفْحَةٌ مِّنْ عَذَابِ رَبِّكَ لَيَقُولُنَّ يَا وَيْلَنَا إِنَّا كُنَّا ظَالِمِينَ
और यदि तुम्हारे रब की यातना का कोई झोंका भी उन्हें छू जाए तो वे कहने लगें, "हाय, हमारा दुर्भाग्य! निस्संदेह हम ज़ालिम थे।
21:47 وَنَضَعُ الْمَوَازِينَ الْقِسْطَ لِيَوْمِ الْقِيَامَةِ فَلَا تُظْلَمُ نَفْسٌ شَيْئًا ۖ وَإِن كَانَ مِثْقَالَ حَبَّةٍ مِّنْ خَرْدَلٍ أَتَيْنَا بِهَا ۗ وَكَفَىٰ بِنَا حَاسِبِينَ
और हम वज़नी, अच्छे न्यायपूर्ण कामों को क़ियामत के दिन के लिए रख रहे हैं। फिर किसी व्यक्ति पर कुछ भी ज़ुल्म न होगा, यद्यपि वह (कर्म) राई के दाने के बराबर हो, हम उसे ला उपस्थित करेंगे। और हिसाब करने के लिए हम काफ़ी हैं।
21:48 وَلَقَدْ آتَيْنَا مُوسَىٰ وَهَارُونَ الْفُرْقَانَ وَضِيَاءً وَذِكْرًا لِّلْمُتَّقِينَ
और हम मूसा और हारून को कसौटी और रौशनी और याददिहानी प्रदान कर चुके हैं, उन डर रखनेवालों के लिए,
21:49 الَّذِينَ يَخْشَوْنَ رَبَّهُم بِالْغَيْبِ وَهُم مِّنَ السَّاعَةِ مُشْفِقُونَ
जो परोक्ष में रहते हुए अपने रब से डरते हैं और उन्हें क़ियामत की घड़ी का भय लगा रहता है।
21:50 وَهَٰذَا ذِكْرٌ مُّبَارَكٌ أَنزَلْنَاهُ ۚ أَفَأَنتُمْ لَهُ مُنكِرُونَ
और यह बरकतवाली अनुस्मृति है, जिसको हमने अवतरित किया है। तो क्या तुम्हें इससे इनकार है
21:51 وَلَقَدْ آتَيْنَا إِبْرَاهِيمَ رُشْدَهُ مِن قَبْلُ وَكُنَّا بِهِ عَالِمِينَ
और इससे पहले हमने इबराहीम को उसकी हिदायत और समझ दी थी - और हम उसे भली-भाँति जानते थे। -
21:52 إِذْ قَالَ لِأَبِيهِ وَقَوْمِهِ مَا هَٰذِهِ التَّمَاثِيلُ الَّتِي أَنتُمْ لَهَا عَاكِفُونَ
जब उसने अपने बाप और अपनी क़ौम से कहा, "ये मूर्तियाँ क्या हैं, जिनसे तुम लगे बैठे हो?"
21:53 قَالُوا وَجَدْنَا آبَاءَنَا لَهَا عَابِدِينَ
वे बोले, "हमने अपने बाप-दादा को इन्हीं की पूजा करते पाया है।"
21:54 قَالَ لَقَدْ كُنتُمْ أَنتُمْ وَآبَاؤُكُمْ فِي ضَلَالٍ مُّبِينٍ
उसने कहा, "तुम भी और तुम्हारे बाप-दादा भी खुली गुमराही में हो।"
21:55 قَالُوا أَجِئْتَنَا بِالْحَقِّ أَمْ أَنتَ مِنَ اللَّاعِبِينَ
उन्होंने कहा, "क्या तू हमारे पास सत्य लेकर आया है या यूँ ही खेल कर रहा है?"
21:56 قَالَ بَل رَّبُّكُمْ رَبُّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ الَّذِي فَطَرَهُنَّ وَأَنَا عَلَىٰ ذَٰلِكُم مِّنَ الشَّاهِدِينَ
उसने कहा, "नहीं, बल्कि बात यह है कि तुम्हारा रब आकाशों और धरती का रब है, जिसने उनको पैदा किया है और मैं इसपर तुम्हारे सामने गवाही देता हूँ।
21:57 وَتَاللَّهِ لَأَكِيدَنَّ أَصْنَامَكُم بَعْدَ أَن تُوَلُّوا مُدْبِرِينَ
और अल्लाह की क़सम! इसके पश्चात कि तुम पीठ फेरकर लौटो, मैं तुम्हारी मूर्तियों के साथ अवश्य् एक चाल चलूँगा।"
21:58 فَجَعَلَهُمْ جُذَاذًا إِلَّا كَبِيرًا لَّهُمْ لَعَلَّهُمْ إِلَيْهِ يَرْجِعُونَ
अतएव उसने उन्हें खंड-खंड कर दिया सिवाय उनकी एक बड़ी के, कदाचित वे उसकी ओर रुजू करें।
21:59 قَالُوا مَن فَعَلَ هَٰذَا بِآلِهَتِنَا إِنَّهُ لَمِنَ الظَّالِمِينَ
वे कहने लगे, "किसने हमारे देवताओं के साथ यह हरकत की है? निश्चय ही वह कोई ज़ालिम है।"
21:60 قَالُوا سَمِعْنَا فَتًى يَذْكُرُهُمْ يُقَالُ لَهُ إِبْرَاهِيمُ
(कुछ लोग) बोले, "हमने एक नवयुवक को, जिसे इबराहीम कहते हैं, उसके विषय में कुछ कहते सुना है।"
21:61 قَالُوا فَأْتُوا بِهِ عَلَىٰ أَعْيُنِ النَّاسِ لَعَلَّهُمْ يَشْهَدُونَ
उन्होंने कहा, "तो उसे ले आओ लोगों की आँखों के सामने कि वे भी गवाह रहें।"
21:62 قَالُوا أَأَنتَ فَعَلْتَ هَٰذَا بِآلِهَتِنَا يَا إِبْرَاهِيمُ
उन्होंने कहा, "क्या तूने हमारे देवों के साथ यह हरकत की है, ऐ इबराहीम!"
21:63 قَالَ بَلْ فَعَلَهُ كَبِيرُهُمْ هَٰذَا فَاسْأَلُوهُمْ إِن كَانُوا يَنطِقُونَ
उसने कहा, "नहीं, बल्कि उनके इस बड़े ने की होगी, उन्हीं से पूछ लो, यदि वे बोलते हों।"
21:64 فَرَجَعُوا إِلَىٰ أَنفُسِهِمْ فَقَالُوا إِنَّكُمْ أَنتُمُ الظَّالِمُونَ
तब वे उसकी ओर पलटे और कहने लगे, "वास्तव में, ज़ालिम तो तुम्हीं लोग हो।"
21:65 ثُمَّ نُكِسُوا عَلَىٰ رُءُوسِهِمْ لَقَدْ عَلِمْتَ مَا هَٰؤُلَاءِ يَنطِقُونَ
किन्तु फिर वे बिल्कुल औंधे हो रहे। (फिर बोले,) "तुझे तो मालूम है कि ये बोलते नहीं।"
21:66 قَالَ أَفَتَعْبُدُونَ مِن دُونِ اللَّهِ مَا لَا يَنفَعُكُمْ شَيْئًا وَلَا يَضُرُّكُمْ
उसने कहा, "फिर क्या तुम अल्लाह से इतर उसे पूजते हो, जो न तुम्हें कुछ लाभ पहुँचा सके और न तुम्हें कोई हानि पहुँचा सके?
21:67 أُفٍّ لَّكُمْ وَلِمَا تَعْبُدُونَ مِن دُونِ اللَّهِ ۖ أَفَلَا تَعْقِلُونَ
धिक्कार है तुमपर, और उनपर भी, जिनको तुम अल्लाह को छोड़कर पूजते हो! तो क्या तुम बुद्धि से काम नहीं लेते?"
21:68 قَالُوا حَرِّقُوهُ وَانصُرُوا آلِهَتَكُمْ إِن كُنتُمْ فَاعِلِينَ
उन्होंने कहा, "जला दो उसे, और सहायक हो अपने देवताओं के, यदि तुम्हें कुछ करना है।"
21:69 قُلْنَا يَا نَارُ كُونِي بَرْدًا وَسَلَامًا عَلَىٰ إِبْرَاهِيمَ
हमने कहा, "ऐ आग! ठंडी हो जा और सलामती बन जा इबराहीम पर!"
21:70 وَأَرَادُوا بِهِ كَيْدًا فَجَعَلْنَاهُمُ الْأَخْسَرِينَ
उन्होंने उसके साथ एक चाल चलनी चाही, किन्तु हमने उन्हीं को घाटे में डाल दिया।
21:71 وَنَجَّيْنَاهُ وَلُوطًا إِلَى الْأَرْضِ الَّتِي بَارَكْنَا فِيهَا لِلْعَالَمِينَ
और हम उसे और लूत को बचाकर उस भूभाग की ओर निकाल ले गए, जिसमें हमने दुनियावालों के लिए बरकतें रखी थीं।
21:72 وَوَهَبْنَا لَهُ إِسْحَاقَ وَيَعْقُوبَ نَافِلَةً ۖ وَكُلًّا جَعَلْنَا صَالِحِينَ
और हमने उसे इसहाक़ प्रदान किया और तदधिक याक़ूब भी। और प्रत्येक को हमने नेक बनाया।
21:73 وَجَعَلْنَاهُمْ أَئِمَّةً يَهْدُونَ بِأَمْرِنَا وَأَوْحَيْنَا إِلَيْهِمْ فِعْلَ الْخَيْرَاتِ وَإِقَامَ الصَّلَاةِ وَإِيتَاءَ الزَّكَاةِ ۖ وَكَانُوا لَنَا عَابِدِينَ
और हमने उन्हें नायक बनाया कि वे हमारे आदेश से मार्ग दिखाते थे और हमने उनकी ओर नेक कामों के करने और नमाज़ की पाबन्दी करने और ज़कात देने की प्रकाशना की, और वे हमारी बन्दगी में लगे हुए थे।
21:74 وَلُوطًا آتَيْنَاهُ حُكْمًا وَعِلْمًا وَنَجَّيْنَاهُ مِنَ الْقَرْيَةِ الَّتِي كَانَت تَّعْمَلُ الْخَبَائِثَ ۗ إِنَّهُمْ كَانُوا قَوْمَ سَوْءٍ فَاسِقِينَ
और रहा लूत तो उसे हमने निर्णय-शक्ति और ज्ञान प्रदान किया और उसे उस बस्ती से छुटकारा दिया जो गन्दे कर्म करती थी। वास्तव में वह बहुत ही बुरी और अवज्ञाकारी क़ौम थी।
21:75 وَأَدْخَلْنَاهُ فِي رَحْمَتِنَا ۖ إِنَّهُ مِنَ الصَّالِحِينَ
और उसको हमने अपनी दयालुता में प्रवेश कराया। निस्संदेह वह अच्छे लोगों में से था।
21:76 وَنُوحًا إِذْ نَادَىٰ مِن قَبْلُ فَاسْتَجَبْنَا لَهُ فَنَجَّيْنَاهُ وَأَهْلَهُ مِنَ الْكَرْبِ الْعَظِيمِ
और नूह की भी चर्चा करो, जबकि उसने इससे पहले हमें पुकारा था, तो हमने उसकी सुन ली और हमने उसे और उसके लोगों को बड़े क्लेश से छुटकारा दिया।
21:77 وَنَصَرْنَاهُ مِنَ الْقَوْمِ الَّذِينَ كَذَّبُوا بِآيَاتِنَا ۚ إِنَّهُمْ كَانُوا قَوْمَ سَوْءٍ فَأَغْرَقْنَاهُمْ أَجْمَعِينَ
और उस क़ौम के मुक़ाबले में जिसने हमारी आयतों को झुठला दिया था, हमने उसकी सहायता की। वास्तव में वे बुरे लोग थे। अतः हमने उन सबको डूबो दिया।
21:78 وَدَاوُودَ وَسُلَيْمَانَ إِذْ يَحْكُمَانِ فِي الْحَرْثِ إِذْ نَفَشَتْ فِيهِ غَنَمُ الْقَوْمِ وَكُنَّا لِحُكْمِهِمْ شَاهِدِينَ
और दाऊद और सुलैमान पर भी हमने कृपा-दृष्टि की। याद करो जबकि वे दोनों खेती के एक झगड़े का निबटारा कर रहे थे, जब रात को कुछ लोगों की बकरियाँ उसे रौंद गई थीं। और उनका (क़ौम के लोगों का) फ़ैसला हमारे सामने था।
21:79 فَفَهَّمْنَاهَا سُلَيْمَانَ ۚ وَكُلًّا آتَيْنَا حُكْمًا وَعِلْمًا ۚ وَسَخَّرْنَا مَعَ دَاوُودَ الْجِبَالَ يُسَبِّحْنَ وَالطَّيْرَ ۚ وَكُنَّا فَاعِلِينَ
तब हमने उसे सुलैमान को समझा दिया और यूँ तो हरेक को हमने निर्णय-शक्ति और ज्ञान प्रदान किया था। और दाऊद के साथ हमने पहाड़ों को वशीभूत कर दिया था, जो तसबीह करते थे, और पक्षियों को भी। और ऐसा करनेवाले हम ही थे।
21:80 وَعَلَّمْنَاهُ صَنْعَةَ لَبُوسٍ لَّكُمْ لِتُحْصِنَكُم مِّن بَأْسِكُمْ ۖ فَهَلْ أَنتُمْ شَاكِرُونَ
और हमने उसे तुम्हारे लिए एक परिधान (बनाने) की शिल्प-कला भी सिखाई थी, ताकि युद्ध में वह तुम्हारी रक्षा करे। फिर क्या तुम आभार मानते हो?
21:81 وَلِسُلَيْمَانَ الرِّيحَ عَاصِفَةً تَجْرِي بِأَمْرِهِ إِلَى الْأَرْضِ الَّتِي بَارَكْنَا فِيهَا ۚ وَكُنَّا بِكُلِّ شَيْءٍ عَالِمِينَ
और सुलैमान के लिए हमने तेज़ वायु को वशीभूत कर दिया था, जो उसके आदेश से उस भूभाग की ओर चलती थी जिसे हमने बरकत दी थी। हम तो हर चीज़ का ज्ञान रखते हैं।
21:82 وَمِنَ الشَّيَاطِينِ مَن يَغُوصُونَ لَهُ وَيَعْمَلُونَ عَمَلًا دُونَ ذَٰلِكَ ۖ وَكُنَّا لَهُمْ حَافِظِينَ
और कितने ही शैतानों को भी अधीन किया था, जो उसके लिए ग़ोते लगाते और इसके अतिरिक्त दूसरा काम भी करते थे। और हम ही उनको संभालनेवाले थे।
21:83 وَأَيُّوبَ إِذْ نَادَىٰ رَبَّهُ أَنِّي مَسَّنِيَ الضُّرُّ وَأَنتَ أَرْحَمُ الرَّاحِمِينَ
और अय्यूब पर भी दया दर्शाई। याद करो जबकि उसने अपने रब को पुकारा कि "मुझे बहुत तकलीफ़ पहुँची है, और तू सबसे बढ़कर दयावान है।"
21:84 فَاسْتَجَبْنَا لَهُ فَكَشَفْنَا مَا بِهِ مِن ضُرٍّ ۖ وَآتَيْنَاهُ أَهْلَهُ وَمِثْلَهُم مَّعَهُمْ رَحْمَةً مِّنْ عِندِنَا وَذِكْرَىٰ لِلْعَابِدِينَ
अतः हमने उसकी सुन ली और जिस तकलीफ़ में वह पड़ा था उसको दूर कर दिया, और हमने उसे उसके परिवार के लोग दिए और उनके साथ उनके जैसे और भी दिए अपने यहाँ से दयालुता के रूप में और एक याददिहानी के रूप में बन्दगी करनेवालों के लिए।
21:85 وَإِسْمَاعِيلَ وَإِدْرِيسَ وَذَا الْكِفْلِ ۖ كُلٌّ مِّنَ الصَّابِرِينَ
और इसमाईल और इदरीस और ज़ुलकिफ़्ल पर भी कृपा-दृष्टि की। इनमें से प्रत्येक धैर्यवानों में से था।
21:86 وَأَدْخَلْنَاهُمْ فِي رَحْمَتِنَا ۖ إِنَّهُم مِّنَ الصَّالِحِينَ
औऱ उन्हें हमने अपनी दयालुता में प्रवेश कराया। निस्संदेह वे सब अच्छे लोगों में से थे।
21:87 وَذَا النُّونِ إِذ ذَّهَبَ مُغَاضِبًا فَظَنَّ أَن لَّن نَّقْدِرَ عَلَيْهِ فَنَادَىٰ فِي الظُّلُمَاتِ أَن لَّا إِلَٰهَ إِلَّا أَنتَ سُبْحَانَكَ إِنِّي كُنتُ مِنَ الظَّالِمِينَ
और ज़ुन्नून (मछलीवाले) पर भी दया दर्शाई। याद करो जबकि वह अत्यन्त क्रुद्ध होकर चल दिया और समझा कि हम उसे तंगी में न डालेंगे। अन्त में उसने अँधेरों में पुकारा, "तेरे सिवा कोई इष्ट-पूज्य नहीं, महिमावान है तू! निस्संदेह मैं दोषी हूँ।"
21:88 فَاسْتَجَبْنَا لَهُ وَنَجَّيْنَاهُ مِنَ الْغَمِّ ۚ وَكَذَٰلِكَ نُنجِي الْمُؤْمِنِينَ
तब हमने उसकी प्रार्थना स्वीकार की और उसे ग़म से छुटकारा दिया। इसी प्रकार तो हम मोमिनों को छुटकारा दिया करते हैं।
21:89 وَزَكَرِيَّا إِذْ نَادَىٰ رَبَّهُ رَبِّ لَا تَذَرْنِي فَرْدًا وَأَنتَ خَيْرُ الْوَارِثِينَ
और ज़करिया पर भी कृपा की। याद करो जबकि उसने अपने रब को पुकारा, "ऐ मेरे रब! मुझे अकेला न छोड़ यूँ, सबसे अच्छा वारिस तो तू ही है।"
21:90 فَاسْتَجَبْنَا لَهُ وَوَهَبْنَا لَهُ يَحْيَىٰ وَأَصْلَحْنَا لَهُ زَوْجَهُ ۚ إِنَّهُمْ كَانُوا يُسَارِعُونَ فِي الْخَيْرَاتِ وَيَدْعُونَنَا رَغَبًا وَرَهَبًا ۖ وَكَانُوا لَنَا خَاشِعِينَ
अतः हमने उसकी प्रार्थना स्वीकार कर ली और उसे याह्या् प्रदान किया और उसके लिए उसकी पत्नी को स्वस्थ कर दिया। निश्चय ही वे नेकी के कामों में एक-दूसरे के मुक़ाबले में जल्दी करते थे। और हमें ईप्सा (चाह) और भय के साथ पुकारते थे और हमारे आगे दबे रहते थे।
21:91 وَالَّتِي أَحْصَنَتْ فَرْجَهَا فَنَفَخْنَا فِيهَا مِن رُّوحِنَا وَجَعَلْنَاهَا وَابْنَهَا آيَةً لِّلْعَالَمِينَ
और वह नारी जिसने अपने सतीत्व की रक्षा की थी, हमने उसके भीतर अपनी रूह फूँकी और उसे और उसके बेटे को सारे संसार के लिए एक निशानी बना दिया।
21:92 إِنَّ هَٰذِهِ أُمَّتُكُمْ أُمَّةً وَاحِدَةً وَأَنَا رَبُّكُمْ فَاعْبُدُونِ
"निश्चय ही यह तुम्हारा समुदाय एक ही समुदाय है और मैं तुम्हारा रब हूँ। अतः तुम मेरी बन्दगी करो।"
21:93 وَتَقَطَّعُوا أَمْرَهُم بَيْنَهُمْ ۖ كُلٌّ إِلَيْنَا رَاجِعُونَ
किन्तु उन्होंने आपस में अपने मामलों को टुकड़े-टुकड़े कर डाला। - प्रत्येक को हमारी ओर पलटना है। -
21:94 فَمَن يَعْمَلْ مِنَ الصَّالِحَاتِ وَهُوَ مُؤْمِنٌ فَلَا كُفْرَانَ لِسَعْيِهِ وَإِنَّا لَهُ كَاتِبُونَ
फिर जो अच्छे कर्म करेगा, शर्त यह कि वह मोमिन हो, तो उसके प्रयास की उपेक्षा न होगी। हम तो उसके लिए उसे लिख रहे हैं।
21:95 وَحَرَامٌ عَلَىٰ قَرْيَةٍ أَهْلَكْنَاهَا أَنَّهُمْ لَا يَرْجِعُونَ
और किसी बस्ती के लिए असम्भव है जिसे हमने विनष्ट कर दिया कि उसके लोग (क़ियामत के दिन दंड पाने हेतु) न लौटें ।
21:96 حَتَّىٰ إِذَا فُتِحَتْ يَأْجُوجُ وَمَأْجُوجُ وَهُم مِّن كُلِّ حَدَبٍ يَنسِلُونَ
यहाँ तक कि वह समय आ जाए जब याजूज और माजूज खोल दिए जाएँगे। और वे हर ऊँची जगह से निकल पड़ेंगे।
21:97 وَاقْتَرَبَ الْوَعْدُ الْحَقُّ فَإِذَا هِيَ شَاخِصَةٌ أَبْصَارُ الَّذِينَ كَفَرُوا يَا وَيْلَنَا قَدْ كُنَّا فِي غَفْلَةٍ مِّنْ هَٰذَا بَلْ كُنَّا ظَالِمِينَ
और सच्चा वादा निकट आ लगेगा, तो क्या देखेंगे कि उन लोगों की आँखें फटी की फटी रह गई हैं, जिन्होंने इनकार किया था, "हाय, हमारा दुर्भाग्य! हम इसकी ओर से असावधान रहे, बल्कि हम ही अत्याचारी थे।"
21:98 إِنَّكُمْ وَمَا تَعْبُدُونَ مِن دُونِ اللَّهِ حَصَبُ جَهَنَّمَ أَنتُمْ لَهَا وَارِدُونَ
"निश्चय ही तुम और वह कुछ जिनको तुम अल्लाह को छोड़कर पूजते हो सब जहन्नम के ईधन हो। तुम उसके घाट उतरोगे।"
21:99 لَوْ كَانَ هَٰؤُلَاءِ آلِهَةً مَّا وَرَدُوهَا ۖ وَكُلٌّ فِيهَا خَالِدُونَ
यदि ये पूज्य होते, तो उसमें न उतरते। और वे सब उसमें सदैव रहेंगे भी ।
21:100 لَهُمْ فِيهَا زَفِيرٌ وَهُمْ فِيهَا لَا يَسْمَعُونَ
उनके लिए वहाँ शोर गुल होगा और वे वहाँ कुछ भी नहीं सुन सकेंगे।
21:101 إِنَّ الَّذِينَ سَبَقَتْ لَهُم مِّنَّا الْحُسْنَىٰ أُولَٰئِكَ عَنْهَا مُبْعَدُونَ
रहे वे लोग जिनके लिए पहले ही हमारी ओर से अच्छे इनाम का वादा हो चुका है, वे उससे दूर रहेंगे।
21:102 لَا يَسْمَعُونَ حَسِيسَهَا ۖ وَهُمْ فِي مَا اشْتَهَتْ أَنفُسُهُمْ خَالِدُونَ
वे उसकी आहट भी नहीं सुनेंगे और अपनी मनचाही चीज़ों के मध्य सदैव रहेंगे।
21:103 لَا يَحْزُنُهُمُ الْفَزَعُ الْأَكْبَرُ وَتَتَلَقَّاهُمُ الْمَلَائِكَةُ هَٰذَا يَوْمُكُمُ الَّذِي كُنتُمْ تُوعَدُونَ
वह सबसे बड़ी घबराहट उन्हें ग़म में न डालेगी। फ़रिश्ते उनका स्वागत करेंगे, "यह तुम्हारा वही दिन है, जिसका तुमसे वादा किया जाता रहा है।"
21:104 يَوْمَ نَطْوِي السَّمَاءَ كَطَيِّ السِّجِلِّ لِلْكُتُبِ ۚ كَمَا بَدَأْنَا أَوَّلَ خَلْقٍ نُّعِيدُهُ ۚ وَعْدًا عَلَيْنَا ۚ إِنَّا كُنَّا فَاعِلِينَ
जिस दिन हम आकाश को लपेट लेंगे, जैसे पंजी में पन्ने लपेटे जाते हैं, जिस प्रकार पहले हमने सृष्टि का आरम्भ किया था उसी प्रकार हम उसकी पुनरावृत्ति करेंगे। यह हमारे ज़िम्मे एक वादा है। निश्चय ही हमें यह करना है।
21:105 وَلَقَدْ كَتَبْنَا فِي الزَّبُورِ مِن بَعْدِ الذِّكْرِ أَنَّ الْأَرْضَ يَرِثُهَا عِبَادِيَ الصَّالِحُونَ
और हम ज़बूर में याददिहानी के पश्चात लिख चुके हैं कि "धरती के वारिस मेरे अच्छे बन्दें होंगे।"
21:106 إِنَّ فِي هَٰذَا لَبَلَاغًا لِّقَوْمٍ عَابِدِينَ
इसमें बन्दगी करनेवाले लोगों के लिए एक संदेश है।
21:107 وَمَا أَرْسَلْنَاكَ إِلَّا رَحْمَةً لِّلْعَالَمِينَ
हमने तुम्हें सारे संसार के लिए बस सर्वथा दयालुता बनाकर भेजा है।
21:108 قُلْ إِنَّمَا يُوحَىٰ إِلَيَّ أَنَّمَا إِلَٰهُكُمْ إِلَٰهٌ وَاحِدٌ ۖ فَهَلْ أَنتُم مُّسْلِمُونَ
कहो, "मेरे पास तो बस यह प्रकाशना की जाती है कि तुम्हारा पूज्य-प्रभु अकेला पूज्य-प्रभु है। फिर क्या तुम आज्ञाकारी होते हो?"
21:109 فَإِن تَوَلَّوْا فَقُلْ آذَنتُكُمْ عَلَىٰ سَوَاءٍ ۖ وَإِنْ أَدْرِي أَقَرِيبٌ أَم بَعِيدٌ مَّا تُوعَدُونَ
फिर यदि वे मुँह फेरें तो कह दो, "मैंने तुम्हें सामान्य रूप से सावधान कर दिया है। अब मैं यह नहीं जानता कि जिसका तुमसे वादा किया जा रहा है वह निकट है या दूर।"
21:110 إِنَّهُ يَعْلَمُ الْجَهْرَ مِنَ الْقَوْلِ وَيَعْلَمُ مَا تَكْتُمُونَ
निश्चय ही वह ऊँची आवाज़ में कही हुई बात को जानता है और उसे भी जानता है जो तुम छिपाते हो।
21:111 وَإِنْ أَدْرِي لَعَلَّهُ فِتْنَةٌ لَّكُمْ وَمَتَاعٌ إِلَىٰ حِينٍ
मुझे नहीं मालूम कि कदाचित यह तुम्हारे लिए एक परीक्षा हो और एक नियत समय तक के लिए जीवन-सुख।
21:112 قَالَ رَبِّ احْكُم بِالْحَقِّ ۗ وَرَبُّنَا الرَّحْمَٰنُ الْمُسْتَعَانُ عَلَىٰ مَا تَصِفُونَ
उसने कहा, "ऐ मेरे रब, सत्य का फ़ैसला कर दे! और हमारा रब रहमान है। उसी से सहायता की प्रार्थना है, उन बातों के मुक़ाबले में जो तुम लोग बयान करते हो।