111.सूरह अल लहब 111:1 تَبَّتْ يَدَا أَبِي لَهَبٍ وَتَبَّ
टूट गए अबू लहब के दोनों हाथ और वह स्वयं भी विनष्ट हो गया!
111:2 مَا أَغْنَىٰ عَنْهُ مَالُهُ وَمَا كَسَبَ
न उसका माल उसके काम आया और न वह कुछ जो उसने कमाया।
111:3 سَيَصْلَىٰ نَارًا ذَاتَ لَهَبٍ
वह शीघ्र ही प्रज्वलित भड़कती आग में पड़ेगा,
111:4 وَامْرَأَتُهُ حَمَّالَةَ الْحَطَبِ
और उसकी स्त्री भी ईंधन लादनेवाली,
111:5 فِي جِيدِهَا حَبْلٌ مِّن مَّسَدٍ
उसकी गरदन में खजूर के रेशों की बटी हुई रस्सी पड़ी है।