101.सूरह अल खारिअह 101:1 الْقَارِعَةُ
वह खड़खड़ानेवाली!
101:2 مَا الْقَارِعَةُ
क्या है वह खड़खड़ानेवाली?
101:3 وَمَا أَدْرَاكَ مَا الْقَارِعَةُ
और तुम्हें क्या मालूम कि क्या है वह खड़खड़ानेवाली?
101:4 يَوْمَ يَكُونُ النَّاسُ كَالْفَرَاشِ الْمَبْثُوثِ
जिस दिन लोग बिखरे हुए पतंगों के सदृश हो जाएँगे,
101:5 وَتَكُونُ الْجِبَالُ كَالْعِهْنِ الْمَنفُوشِ
और पहाड़ धुनके हुए रंग-बिरंग के ऊन जैसे हो जाएँगे।
101:6 فَأَمَّا مَن ثَقُلَتْ مَوَازِينُهُ
फिर जिस किसी के वज़न भारी होंगे,
101:7 فَهُوَ فِي عِيشَةٍ رَّاضِيَةٍ
वह मनभाते जीवन में रहेगा।
101:8 وَأَمَّا مَنْ خَفَّتْ مَوَازِينُهُ
और रहा वह व्यक्ति जिसके वज़न हलके होंगे,
101:9 فَأُمُّهُ هَاوِيَةٌ
उसकी माँ होगी गहरा खड्ड।
101:10 وَمَا أَدْرَاكَ مَا هِيَهْ
और तुम्हें क्या मालूम कि वह क्या है?
101:11 نَارٌ حَامِيَةٌ
आग है दहकती हुई।