हिजरतअल्लाह के रसूल मुहम्मद ﷺतथा आपके सहाबा (अनुयायी) मक्का से मदीना प्रवास करने को हिजरत कहते है| यह घटना नबुव्वत (अल्लाह के रसूल मुहम्मद ﷺनबी बनाये जाने) के बारहवाँ (twelth) वर्ष (622 CE) हुई| इस्लामी कालेंडर का आरम्भ यही से होता है| एक मुसलिम जिस प्रदेश में रहता है, वहाँ इस्लाम पर अमल करने में अगर उसको कठिनाई हो रही हो, तो वह उस जगह से दूसरी जगह प्रवास करने को ‘हिजरत’ कहते है| [1]
लिसान में कहा गया : “हजर (هجر) (प्रवास), वसी (पहुँचना, जमना) का विपरीत शब्द है| ‘हिजरा’ या ‘हुजरा’ का अर्थ होता है, एक जगह से दूसरी जगह जाना| अल्लाह के लिए प्रवास (हिजरत) करने वालों को ‘मुहाजिरीन’ कहते है| [2]
अल्लाह के रसूल मुहम्मद ﷺ लोगों को इस्लाम के बारे में 10 साल से ज्यादा बताते रहे, लेकिन आपके दुश्मन, आपके अनुयायी को सताने और जान से मारने की कोशिश करने लगे| तब अल्लाह के रसूल मुहम्मद ﷺने कुछ साथियों को हबशा (इथियोपिया, Ethiopia) भेजा| वहां का राजा ईसाई था और वह अपने राज्य में किसी पर अन्याय नहीं होने देता|| परन्तु मक्का में हालात बहुत बिगड़ने लगे| अल्लाह के रसूल मुहम्मद ﷺऔर आपके सहाबा को मक्का के वासी बहुत ज्यादा तकलीफ देने लगे| आखिर में अल्लाह के रसूल मुहम्मद ﷺसत्तर सहाबा को यस्रिब शहर भेजे| जिसका नाम बाद में मदीना हो गया| बाद में 622 CE में अल्लाह के रसूल मुहम्मद ﷺको पता चला कि, आपके दुश्मन आपकी हत्या करने की साज़िश रच रहे है| तब आप अपने करीबी मित्र अबू बकर सिद्दीख रजिअल्लाहुअन्हु के साथ मदीना के लिए प्रवास (हिजरत) किये|
मक्का में अल्लाह के रसूल मुहम्मद ﷺके घर पर जब दुश्मन पहुंचे तो उन लोगों ने देखा कि, अल्लाह के रसूल मुहम्मद ﷺके स्थान पर अली रजिअल्लाहुअन्हु थे| इस पर वह लोग बहुत क्रोधित हुए और अल्लाह के रसूल मुहम्मद ﷺको पकड़ कर लाने वाले को इनाम घोषित किया| सब लोग आप को पकड़ने के लिए निकल गए| अल्लाह के रसूल मुहम्मद ﷺ और अबू बकर रजिअल्लाहुअन्हु एक गुफा में छुप गए| उसके बाद अल्लाह के रसूल मुहम्मद ﷺऔर अबू बकर रजिअल्लाहुअन्हु मदीना पहुंचे| वहां पर मदीना के लोग और मक्का से पहले ही मदीना पहुँचे हुए लोग, सब मिलकर अल्लाह के रसूल मुहम्मद ﷺका शानदार स्वागत किया|
वास्तव में यही हिजरत है| यह कोई युध्ध नहीं, परन्तु यह तो एक सोचा समझा प्रवास था, जहाँ से इस्लामी युग का आरम्भ होता है| हिजरत के समय मदीना के लोगों ने मक्का वालों के साथ जो व्यवहार किया, वह भाइचारगी (सोदरभावना) का एक अटूट उदहारण बन गया| मक्का के वासी जो प्रवास करके मदीना गए उन को ‘मुहाजिर’ (प्रवास (हिजरत) करने वाले) और मदीना वासी जो उन को मदद किये उन लोगों को ‘अंसार’ (मदद करने वाले) कहते है| [3]
अल्लाह का आदेश : 622 CE में अल्लाह के रसूल मुहम्मद ﷺ
सौर गुफा में टहरना : मक्का के लोगों से छुपकर रहने के लिए अल्लाह के रसूल मुहम्मद ﷺ ‘सौर’ गुफा में तीन दिन रहे| अबू बकर रजिअल्लाहुअन्हु की बेटी अस्मा रजिअल्लाहुअन्हा उन लोगों के लिए तीन दिन तक खाना लेकर आती थी| वह अपने साथ पशुओं का झुंड लेकर आती थी और उन्हें वहां पर चराया करती थी| उस के बाद अल्लाह के रसूल मुहम्मद ﷺ अपने साथी के साथ मदीना के लिए निकल गए|
मदीना में उन का स्वागत : अंसार लोग अल्लाह के रसूल मुहम्मद ﷺ का स्वागत बहुत धूम धाम से किये| वह लोग आपको बहुत सम्मान दिए और आप को शहर में प्रवेश करने के लिए विनती करने लगे| और यह कहने लगे कि, आप दोनों यहाँ पर सुरक्षित है और हम आप की आज्ञा का पालन करेंगे| [4]
दूसरे खलीफा उमर रजिअल्लाहुअन्हु के ज़माने में इस्लामी कालेंडर का आरम्भ हुआ| सहाबा के सर्वसम्मति से इस्लामी कालेंडर का आरम्भ हिजरत के वर्ष से शरू हुआ| [5]
[1] http://www.idealmuslimah.com/component/glossary/Definition-of-Arabic-Terms-1/H/Hijrah-37/ (english) [2] http://abdurrahman.org/jihad/defHijrah.html (english) [3] http://www.islamicity.com/mosque/ihame/sec2.htm (english) [4] http://www.pbuh.us/prophetMuhammad.php?f=Md_ProphetInMedina (english) [5] http://snahle.tripod.com/higri.htm (english) |
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