महिलायें इस्लाम की ओर क्यों आ रही है ?

ऐसे समय जब इस्लाम को मीडिया हर तरफ से बदनाम करने का प्रयास कर रहा है और विशेष तौर पर स्त्री के विषय में इस्लाम को बदनाम करने की चाल चल रहा है, ऐसे समय में लोग यह सुनकर आश्चर्य चकित हो जायेंगे कि, इस समय पूरे विश्व में सबसे तेज़ व्यापित होने वाला धर्म इस्लाम है| और हैरानी की बात यह है कि जो लोग इस्लाम स्वीकार कर रहे है, उनमे अधिकतर महिलायें है|

विषय सूची

खुरआन1

इस्लाम में अल्लाह से सम्बन्ध के विषय में स्त्री पुरुष का कोई भेद नहीं होता| चाहे स्त्री हो या पुरुष, सुकर्म के लिए दोनों को समान प्रतिफल मिलता है और कुकर्म के लिए भी दोनों को समान दंड दिया जाता है| खुरआन में कहा गया : “तथा सामान्य नियमानुसार स्त्रीओं के लिए वैसे ही अधिकार है जैसे पुरुषों का उनके ऊपर है|” [खुरआन सूरा बकरह 2:228]     

 

हदीस

अल्लाह के रसूल ने कहा : “निस्संदेह स्त्री पुरुषों की जोड़ है|” [सुनन अबी दावूद 236 ; मुस्नद अहमद 25663, शेक अल्बानी रहिमहुल्लाह ने इसे सहीह कहा]

 

समाज में महिला का स्थान  

समाज में महिला का स्थान न कोई नया विषय है, न ही इसका कोई हाल पाया गया है| और जब भी महिला का विषय इस्लाम से जोड़ दिया जाता है तो, महिला को बहुत दुर्भर स्थिति में दिखाया जाता है| कुछ लोग तो हद पार करके यह कहते है कि, परदा (हिजाब) महिला की उन्नति में बाधा डालता है आदि| ऐसे आरोपों का उत्तर देना चाहिए और उन लोगो से प्रश्न किया जाये कि, यदि ऐसा है तो फिर इन ‘स्वतन्त्र विचारो’ तथा नागरिक माने जाने वाले देश (यूरोप, अमेरिका) में जन्म लेने वाली महिलायें इस्लाम क्यों स्वीकार कर रही है? वह धर्म जो महिला की स्वतंत्रता, उन्नति में बाधा डालता है?

 

पश्चिमी देशों की ‘स्वतंत्रता’ को नकारना

पश्चिमी देशों की महिला, इन देशो की ‘स्वतंत्रता’ को नकारने का क्या कारण हो सकता है? इसका कारण यह है कि, इस्लाम के अलावा सारे धर्म महिला को स्वतंत्रत के नाम पर आदर नहीं बल्कि निरादर तथा अपमान किया| केवल इस्लाम ही ऐसा धर्म है जो महिला को पूर्ण रूप से सम्मान करता है और उसके अधिकारों की रक्षा करता है| अल्लाह ताला ने खुरआन में कहा : “प्रवेश कर जाओ स्वर्ग में तुम तथा तुम्हारी पत्नियाँ| तुम्हे प्रसन्न रखा जायेगा|” [खुरआन सूरा ज़ुखरुफ 43:70]

इस्लाम का इतना विरोध करने के बाद भी, स्वयं महिलायें समाज में अपनी स्थिति पर प्रसन्न नहीं है| गैर इस्लामी धर्मो में महिलाओं को स्वतंत्रता का जो वादा किया गया, वह उन्हें कभी मिला ही नहीं|  

 

मुस्लिम महिला4

इस्लाम ने महिला को हर विषय में स्वतंत्रता दी, जिस तरह पुरुष को दिया| दोनों में किसी के साथ भी कोई अन्याय नहीं किया गया| अल्लाह ताला ने खुरआन में कहा : “तथा जो सत्कर्म करेगा, वह नर हो अथवा नारी, और ईमान भी रखता होगा, तो वही लोग स्वर्ग में प्रवेश पाएंगे, और तनिक भी अत्याचार नहीं किये जायेंगे|” [खुरआन सूरा निसा 4:124]

 

निष्कर्ष

इस्लाम यह बताता है कि, जो पुरुष स्त्री की मर्यादा करता है, वह सदाचारी तथा धार्मिक है| और जो स्त्री की मर्यादा नहीं करता, वह दुराचारी है|

अल्लाह के रसूल ने कहा : “सच्चा विश्वासी वह है जिसका व्यवहार उत्तम हो, तुम में उत्तम वह है जो अपने पत्नियों से उच्च व्यवहार करे|” [तिरमिज़ी 1162]

 

आधार

http://www.beconvinced.com/archive/en/article.php?articleid=0073&catid=09&subcatname=Conversion%20To%20Islam

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