आशुरा‘आशुरा’ का शाब्दिक अर्थ “दसवा” होता है| इस्लाम में आशुरा, यानी इस्लामी तालिका (कैलेंडर) के प्रकार पहला माह ‘मुहर्रम’ का दसवा दिन है| इस्लामी तालिका (कैलेंडर) चन्द्रमा के हिसाब से चलती है| [1]
इब्ने अब्बास (रजि) ने कहा : “अल्लाह के रसूल मुहम्मद ﷺमदीना आने के बाद देखा कि, यहूदी ‘आशुरा’ के दिन उपवास रख रहे थे| उन्होंने पूछा, “यह क्या है?” लोगों ने जवाब दिया, “यह एक अच्छा दिन है| इसी दिन इस्राईल के लोगों को अल्लाह ने दुश्मनों से बचाया| इसलिए मूसा अलैहिस्सलाम ने इस दिन उपवास रखा|” अल्लाह के रसूल मुहम्मद ﷺने कहा, “मूसा अलैहिस्सलाम पर हमारा ज्यादा अधिकार है|” इसलिए अल्लाह के रसूल मुहम्मद ﷺने उस दिन उपवास रखा और लोगों (मुसलिमो) को आदेश दिया कि, वह भी उस दिन उपवास रखे| [बुखारी 1865]
आयिशा रजि अल्लाहु अन्हा ने उल्लेख किया : रमजान के उपवास फर्ज़ (अनिवार्य) होने से पहले लोग आशुरा के दिन उपवास रखा करते थे| रमजान के उपवास फर्ज़ (अनिवार्य) होने के बाद चाहे तो आशुरा का उपवास रख सकते या छोड़ सकते है| [सही बुखारी vol 3:116, 117 & vol 6:29]
अब्दुल्लाह बिन अब्बास रजिअल्लाहुअन्हुमा ने उल्लेख किया, जब अल्लाह के रसूल मुहम्मद ﷺने आशुरा के दिन का उपवास रखा और दूसरों को भी रखने का आदेश दिया तो सहाबा कहने लगे कि, यहूदी और ईसाई तो इस दिन को महत्व देते है| तब अल्लाह के रसूल मुहम्मद ﷺने कहा, आने वाले साल हम इन शा अल्लाह नौ (9) मुहर्रम के दिन भी उपवास रखेंगे| इब्ने अब्बास रजिअल्लाहुअन्हु ने कहा कि, अगले साल से पहले अल्लाह के रसूल मुहम्मद ﷺकी मृत्यू हो गयी| [सही मुसलिम 1916]
जाबिर बिन समुरा ने उल्लेख किया कि, अल्लाह के रसूल मुहम्मद ﷺने हमें ‘आशुरा’ के दिन उपवास रखने को कहा और इस विषय में बहुत विशेष ध्यान देते थे| परन्तु रमजान के उपवास (रोज़े) फर्ज़ (अनिवार्य) होने के बाद, आशुरा के उपवास के विषय में उन्होंने न रहने का हुकुम दिया, न छोड़ने को कहा, न इस उपवास को ज्यादा विशेषता दी| [सही मुसलिम 1128, 1125a] [2]
नववी रहिमहुल्लाह ने कहा : “सहाबा ने कहा : ‘आशुरा’ मुहर्रम माह का दसवा दिन है और ‘तासुआ’ इस माह का नवाँ दिन होता है| अधिकतर विद्वामसों का यही विचार है| [अल मज्मू] ‘आशुरा’ एक इस्लामी शब्द है, जो ‘जाहिलिय्यत’ के ज़माने में किसी को मालूम न था| [कश्फ़ अल खिना, भाग 2, सौम मुहर्रम]
इब्ने खुदामा रहिमहुल्लाह ने कहा : “ ’आशुरा’ माहे मुहर्रम का दसवा दिन है| सईद इब्न मुसय्यिब और हसन बसरी का भी यही अभिप्राय है| इब्ने अब्बास (रजि) ने ऐसा कहा : ‘अल्लाह के रसूल मुहम्मद ﷺने हमें ‘आशुरा’ के दिन, जो की माहे मुहर्रम का दसवा दिन है, उपवास रखने को कहा| [तिरमिज़ी]
इब्ने अब्बास रजि अल्लाहु अन्हु ने कहा : “अल्लाह के रसूल मुहम्मद ﷺजितना इस दिन (आशुरा) के उपवास को महत्व देते थे उतना किसी और दिन को नहीं देते थे और माहे रमज़ान के उपवास को जितना महत्व देते थे, उतना किसी और माह के उपवास को नहीं|” [सही बुखारी 1867]
उस दिन के उपवास का प्रतिफल पाने के लिए अल्लाह के रसूल मुहम्मद ﷺउस दिन के उपवास को बहुत महत्व देते थे| अल्लाह के रसूल मुहम्मद ﷺने ऐसा कहा : “मैं आशा करता हूँ कि, ’आशुरा’ के उपवास का प्रतिफल मुझे अल्लाह बीते हुए एक साल के गुनाह के पारिहार के रूप में देगा|” [सही मुसलिम 1976]
शेक उल इस्लाम इब्ने तैमिया रहिमहुल्लाह ने कहा : “माहे रमजान में, अराफा के दिन और आशुरा के दिन की तहारत, नमाज़ (सलाह) और उपवास (रोज़ा) का प्रतिफल यह है कि, सिर्फ कम दर्जे के गुनाह माफ़ किये जाते है|” [अल फतावा अल कुब्रा, भाग 5] [3]
[1] http://www.islam21c.com/islamic-law/3852-when-to-fast-ashoura (english) [2] http://www.sunnah.com/search/commanded-us-to-fast--sq-Ashura-sq- (english) [3] http://sunnahonline.com/library/hajj-umrah-and-the-islamic-calendar/324-virtues-of-muharram-and-fasting-on-ashura-the (english) |
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