अल्लाह के फ़रिश्तों(देवदूत) पर ईमान(पूर्ण विश्वास)


ملائكة(मलाईका) यह अराबी बाषा का शब्द है जिसका अर्थ है फ़रिश्ते(angels), [ملك(मलक) का बहुवचन ملائكةआता है, मलक अर्थात एक फ़रिश्ता और मलाईका दो से अधिक फ़रिशतों को कहते हैं,] "फ़रिश्तों पर ईमान रखना" ईमान के अरकान(स्तम्भों) में से तीसरे रुक्न(स्तम्भ) है, फ़रिश्तों पर ईमान रखना अर्थात इनके अस्तित्व पर एवं उनके होने पर पूर्ण विश्वास रखना है, जिसको मानना हर मुस्लमान के लिये अतिआवश्यक है, अल्लाह सुब्हानहु तआला कहते हैं "रसूल सललेल्लाहु अलैही वसल्लम ईमान लाए (उस चीज़ पर) जो उनकी ओर अल्लाह सुब्हानहु की ओर से उतरी और ईमान वाले भी ईमान लाए- ये सभी अल्लाह सुब्हानहु पर एवं उसके फ़रिश्तों पर एवं उसकी किताबों पर एवं उसके रसूलों पर ईमान लाए"। (खुरआन, अल बखंरा :२८५ ) यदि कोई इनको ना मानता हो तो अल्लाह सुब्हानहु तआला ने उसे काफ़िर(नास्तिक) बताया है क्यूंकि इनको मानना ईमान का स्तम्भ है एवं यही कारण है कि इनके बिना माने हमारा ईमान अधूरा रहता है, अल्लाह सुब्हानहु तआला कहते हैं " जो व्यक्ति अल्लाह सुब्हानहु और उसके फ़रिश्तों और उसकी किताबों और उसके रसूलों और खंयामत के दिन(Day of resurrection) से इंकार करे तो वह बहुत बड़ी गुमराही(Mislead) में जा पड़ा"। (खुरआन, सूरा निसा : १३६)

 

फंरिशतों की कुछ विशेषताए:फंरिश्ते अल्लाह सुब्हानहु तआला की एक छिपी हुई सृष्टि(creature) है, अल्लाह सुब्हानहु तआला ने इन्हें नूर (light) से बनाया है एवं उनको अपने सभी आदेशों का पालन करने तथा उसको लागू करने की शक्ति एवं क्षमता भी प्रदान की है, ये आकाश में रहते हैं, विशाल आकार में होते हैं, सृष्टि बनाने एवं पूज्ये जाने जैसी इनमें कोई बात नहीं होती, इनका भोजन केवल तस्बीह और तहलील(अल्लाह का गुणगान) होता है, इनमें पुरुष स्त्री जैसा कुछ नहीं होता और ना ही ये विवाह करते हैं, सुंदरता, लज्जा एवं स्वच्छता इनकी विशेषता होती है।

 

सामग्री या अनुक्रमणिका

 

(१).खुरआन

अल्लाह सुब्हानहु तआला कहते हैं "और जो कोई आसमानों तथा धरती में हैं उसी की हैं और जो कोई उसके पास हैं(फंरिशते) उसकी इबादत से तकब्बुर(घमंड) नहीं करते और ना थकते हैं तथा रात और दिन तस्बीह(अल्लाह सुब्हानहु के गुणगान) करते हैं सुस्ती(आलस्य) नहीं करते" (खुरआन, सुरा अंम्बिया :१९-२०)  और कहते हैं " परंतु यदि वे घमंड करें तो वे जो आपके रब के पास हैं(फ़रिशते ) वे तो दिन रात उसकी तस्बीह(गुणगान) कर रहे है एवं(किसी समय भी) ऊबते नहीं"। ((खुरआन, सूरा फुंस्सिलत :३८)

 

(२):फंरिशतों की संख्या

फंरिशते बहुत बड़ी संख्या में हैं परंतु अल्लाह सुब्हानहु तआला के सिवा उनकी उचित संख्या कोई नहीं जनता, अल्लाह सुब्हानहु तआला कहते हैं: "तुम्हारे रब के लशकर(सेना) को स्वयं उसके सिवा कोई नहीं जानता" । (खुरआन, सूरा मुदस्सिर :३१)

 

हदीस:अनस (रज़ियल्लाहु अन्हु, (अल्लाह इन से प्रसन्न हो)) की मेअराज की घटना वाली हदीस में है कि "प्यारे नबी मुहम्मद सललेल्लाहु अलैही वसल्लम जब आकाश में बैतुल माअमूर(वह घर जो ७वीं आसमान में सीधे काबा के ऊपर स्थापित है, जिस प्रकार पृथ्वी पर काबा का हज किया जाता है उसी प्रकार आकाश में फ़रिश्ते बैतुल माअमूर का हज करते हैं) पर पहुंचे तो देखा कि प्रतिदिन ७० हज़ार फ़रिश्ते उसमें तवाफ़ (चक्कर) करते हैं और जो उसमें एक बार तवाफ़ करता है दुबारा लौट कर नहीं जा पाता अर्थात उनके अधिक संख्या में होने के कारण दुबारा बारी नहीं आती" (सही बुख़ारी :३२०७, सही मुस्लिम :164)

 

(३).फंरिशतों पर ईमान लाने की ४ बातें

१.फ़रिशतों के अस्तित्व पर ईमान,

 

२.जिन फ़रिशतों के नामों का हम ग्यान रखते हैं उनपर ईमाने मुफ़स्सल और जिनके नाम हम नहीं जानते उनपर इजमालन ईमान लाना है,

 

३.फ़रिशतों के जिन गुणवात्तों का हमें ग्यान है उनपर ईमान लाना जैसा कि हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम के बारे में मुहमम्द सललेल्लाहु अलैही वसल्लम ने बताया "मैं ने जिब्राईल अलैहिस्सलाम को उनकी वास्तविक रूप में देखा, उनके ६०० पर थे तथा उन्हुं ने क्षितिज(horizon) को भर रखा था अर्थात वह पूरे आकाश पर छाए हुए थे" (मुस्नदे अहमद : ४०७,४१२ ,४६०)

 

४. फंरिश्ते अल्लाह सुब्हानहु तआला के आदेश से मनुष्य के रूप में भी प्रकट होते हैं : कभी कभी फ़रिश्ते अल्लाह सुब्हानहु तआला के आदेश से मनुष्य के रूप में भी प्रकट होते हैं जैसे कि जिब्राईल अलैहिस्सलाम के विषय में मशहूर है कि जब अल्लाह सुब्हानहु तआला ने उन्हें मरयम अलैहास्सलाम के पास भेजा तो वह उनके पास एक साधारण व्यक्ति के रूप में आए, इसि प्रकार जब एक बार जिब्राईल अलैहिस्सलाम मुहमम्द सललेल्लाहु अलैही वसल्लम की सेवा में ऐसे व्यक्ति के रूप में आए जिसके  कपड़े बहुत उज्जवल(सफ़ेद) और बाल असाधारण रूप से काले थे एवं वह यात्री भी नहीं लग रहे थे, उस समय मुहमम्द सललेल्लाहु अलैही वसल्लम अपने साथियों के बीच बैठे हुए थे ,उनमें से उन्हें कोई नहीं जानता था, वह आए और अपने घुटने मुहमम्द सललेल्लाहु अलैही वसल्लम के घुटनों से मिलाकर बैठ गए और अपने हाथ अपने जंघों(thighs) पर रख लिये फ़िर उन्हुं ने मुहमम्द सललेल्लाहु अलैही वसल्लम से इस्लाम, ईमान, एह्सान एवं खंयामत के क्षण तथा उसकी निशानियों(signs) के संबंधित पूछा मुहमम्द सललेल्लाहु अलैही वसल्लम ने सभी प्रशनों के उत्तर दिये फ़िर वह चले गए तभी मुहमम्द सललेल्लाहु अलैही वसल्लम ने सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम से कहा "यह जिब्राईल थे जो तुम्हें तुम्हारा दीन सिखाने आए थे" (सही मुस्लिम : ९,१०) इसी प्रकार अल्लाह सुब्हानहु तआला ने हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम तथा हज़रत लूत अलैहिस्सलाम के पास जो फ़रिश्ते भेजे थे वे भी मनुष्य के रूप में ही आए थे।

 

जिन फ़रिशतों के कार्यों का हम ग्यान रखते हैं उनपर ईमाने लाना

खुरआन एवं हदीस से फ़रिश्तों को दिये गए कार्यों का भी पता चलता है जैसे बताया गया कि फ़रिशते अल्लाह सुब्हानहु तआला की तस्बीह(गुणगान) करते हैं, उसके आदेशों का पालन करते हैं, दिन रात निरंतर बिना थकावट और बिना ऊबे हुए उसकी आराधना(इबादत) में व्यस्त रहते हैं तथा कुछ फ़रिश्ते विशिष्ट कार्यों के लिये नियुक्त होते हैं इसका विवरण नीचे बताया जारहा है ।

 

(१).जिब्राईल अलैहिस्सलाम:

यह अल्लाह सुब्हानहु तआला की वही(Revelation)  पहुंचाने पर नियुक्त थे, यह अल्लाह सुब्हानहु तआला द्वारा दी गई वही लेकर नबियों एवं रसूलों(messengers)  के पास जाया  करते थे, अल्लाह सुब्हानहु तआला कहते हैं "इसको रुहुल अमीन(Trustworthy Spirit) जैसा बहुत बड़ी शान वाला फ़रिश्ता(angel) लेकर उतरा है, आपके दिल पर अए पैग़म्बर ताकि अप सचेत करने वालों में से होजाए फ़साहत एवं बलाग़त से सम्पूर्ण स्पष्ट एवं रौशन(प्रकाश) अराबी भाषा में" (अश-शुअरा: १९३-१९५)

 

(२).मीकाईल अलैहिस्सलाम:

यह बरसात(वर्षा) तथा भोजन पहुंचाने के कार्य पर नियुक्त हैं, अल्लाह सुब्हानहु तआला कहते हैं "जो व्यक्ति अल्लाह सुब्हानहु तआला का तथा उसके फंरिशतों एवं उसके रसूलों एवं जिब्राईल एवं मीकाईल का शत्रु हो तो स्वयं अल्लाह (भी) ऐसे काफ़िरों का शत्रु हैं", (खुरआन , सूरा बखंरा :९८ )

 

(३).इस्राफींल:

खंयामत के क्षण तथा सृष्टि को दुबारा जीवित करने के समय सूर(trumpet) फूंकने पर नियुक्त हैं,

 

(४).मृत्यु का फंरिशता:

मृत्यु के समय रूह(आत्मा) ख़ब्ज़ करने के कार्य पर निर्धारित हैं, अल्लाह सुब्हानहु तआला कहते हैं "कहदो की मृत्यु का फंरिशता तुम्हें मौत देगा जो तुमपर नयुक्त किया गया है फ़िर तुम सब अपने रब की ओर वापस किये जाओगे,

 

(९). मालिक:

यह फ़रिश्ता नरक का दारोग़ा है, अल्लाह सुब्हानहु तआला कहते हैं "और पुकार पुकार कर कहे गें कि अए मालिक तुम्हारा रब हमारा काम ही तमाम करदे, वह कहेगा तुम्हें तो (सदा इसी दशा) रहना है।

 

(१०).भ्रूण(fetus) की रक्षा करने वाला फंरिशता:

अर्थात वे फंरिशते जो माँ की कोख में पलने वाले बच्चे की सुरक्षा करते हैं, हदीस: अनस इब्ने मालिक रज़ियल्लाहु अन्हु सूचित करते हैं कि मुहम्मद सललेल्लाहु अलैही वसल्लम ने कहा "माँ की कोख में अल्लाह सुब्हानहु तआला ने एक फंरिशता नियुक्त कर रखा है वह कहता है अए रब(Lord) अब यह नुत्फ़ा(sperm) है,अए रब अब यह जमा हुआ रक्त(blood) बन गया है,अए रब अब यह मांस का एक लोथड़ा बन गया है फ़िर जब अल्लाह सुब्हानहु तआला उसकी बनावट पूरा करना चाहता है तो वह कहता है यह पुत्र है या पुत्री, भला है या दुष्ट, रोज़ी(परन्तुक) कितनी मिलेगी,आयु कितनी होगी फ़िर माँ की कोख में ही फंरिशता चार बातें लिख देता है (सही बुख़ारी: ३१८, सही मुस्लिम: २६४७)

 

(११).मनुष्य के सभी कामों और कार्यों का हिसाब रखने वाला फंरिशता:

हर व्यक्ति के कामों और कार्यों का हिसाब रखने तथा उसकी देख भाल के लिये दो फंरिशते नियुक्त हैं जो मनुष्य के दोनों ओर (दाहिने एवं बायें) रहते हैं, अल्लाह सुब्हानहु तआला कहते हैं "निसंदेह तुम पर रक्षक,प्रतिष्ठित,लिखने वाले नियुक्त हैं"। (अल इंफ़ितार :१०,११)

 

(१३).मृतक से पूछ ताछ करने वाले फंरिशते:

जब मृतक को समाधि में रखा जाता है तो उसके पास दो फंरिशते आते हैं जो उससे उसके रब उसके धर्म एवं उसके नबी के संबंधित प्रशन करते हैं,

हदीस: अबु हुरैराह रज़ियल्लाहु अन्हु सूचित करते हैं कि मुहम्मद सललेल्लाहु अलैही वसल्लम ने कहा : जब मृतक को समाधि में रखा जाता है तो उसके पास दो काले रंग एवं नीले नेत्र वाले फंरिशते आते हैं उनमें से एक को मुन्कर दूसरे को नकीर कहा जाता है"।(सही अत-तिरमिज़ी :१०७१)

 

(१४).जुमा की नमाज़ में उपस्थित होने वालों के नाम लिख लने वाला फ़रिश्ता:

कुछ फंरिशते जुमा की नमाज़ में उपस्थित होने वालों के नामों का लिपिबद्ध करते हैं,  हदीस: अबु हुरैराह रज़ियल्लाहु अन्हु  सूचित करते हैं कि मुहम्मद सललेल्लाहु अलैही वसल्लम ने कहा :जब जुमा का दिन आता है तो फंरिशते मस्जिद में प्रवेश करने वालों के नाम लिख लेते हैं, सबसे पहले आने वाले का पुण्य उष्ट्र की  बलि देने वाले के प्रकार लिखा जाता है, उसके बाद आने वाला का पुण्य गाय की बलि देने वाले के प्रकार, उसके बाद बकरे की बलि देने वाले के प्रकार एवं उसके बाद मुर्गी की बलि देने वाले के प्रकार लिखा जाता है और उसके बाद आने वाले को अंडा दान करने के प्रकार पुण्य मिलता है, फ़िर जब इमाम ख़ुत्बा(वक्तृता) देने के लिये बाहर आता है तो ये फंरिशते अपना लेख्य बंद करके ख़ुत्बा(वक्तृता) सुनने में व्यस्त हो जाते हैं" (सही बुख़ारी :९२९, सही मुस्लिम :८५०)

 

(१४) फंरिशतों पर ईमान लाने के लाभ

(१). अल्लाह सुब्हानहु तआला की श्रेष्ठता एवं बड़ाई और उसकी शक्ति तथा उसकी बादिशाही का ग्यान होता है क्यूंकि सृष्टि की श्रेष्ठता ही सृष्टा की श्रेष्ठता का प्रतीक होती है,

 

(२). इस बात का ग्यान कि अल्लाह सुब्हानहु तआला ने फंरिशतों को मनुष्य की सुरक्षा करने तथा उनके सभी कार्यों को लिखने और उनकी सहायता करने एवं उनके अनेक कार्यों पर नियुक्त किया है मनुष्य के मन में धन्यवाद की भावना को जनम देती है,

 

(३). फंरिशतों से स्नेह इस कारण से कि वे अल्लाह सुब्हानहु तआला की आराधना तथा उनको सोंपे हुए सभी कार्यों को पूरा करने में व्यस्त रहते हैं

 

(१५). और देखये

इमान, इस्लाम, जिब्राईल अलैहिस्सलाम,मुन्कर नकीर और अन्य;

 

(१६). संदर्भ

शरह उसूलुल ईमान: शेख़ मुहम्मद बिन सालेह अलउस्मैन

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