क्रम संख्या | नाम | आधार | अर्थ |
1. | अर रहमान | “जो अत्यंत कृपाशील और दयावान है|” [सूरा फातिहा : 2] | अत्यंत कृपाशील |
2. | अर रहीम | “अवतरित है अत्यंत कृपाशील दयावान की ओर से|” [सूरा फुस्सिलत : 2] | दयावान |
3. | अल मलिकु | “वह अल्लाह ही है जिसके अतिरिक्त नहीं है कोई सच्चा वन्दनीय| वह सब का स्वामी, अत्यंत पवित्र, सर्वथा शांति प्रदान करने वाला, रक्षक, प्रभावशाली, शक्तिशाली, बल पूर्वक आदेश लागू करने वाला, बडाई वाला है| पवित्र है अल्लाह उस से जिसे वे (उस का) साझी बनाते है|” [सूरा हश्र : 23] | स्वामी |
4. | अल खुद्दूस | “अल्लाह की पवित्रता का वर्णन करती है वह सब चीज़ें जो आकाशो तथा धरती में है| जो अधिपति, अति पवित्र, प्रभावशाली गुणी (दक्ष) है|” [सूरा जुमा : 1] | अति पवित्र |
5. | अस सलाम | “वह अल्लाह ही है जिसके अतिरिक्त नहीं है कोई सच्चा वन्दनीय| वह सब का स्वामी, अत्यंत पवित्र, बिना खोट वाला, सर्वथा शांति प्रदान करने वाला, रक्षक, प्रभावशाली, शक्तिशाली, बल पूर्वक आदेश लागू करने वाला, बडाई वाला है| पवित्र है अल्लाह उस से जिसे वे (उस का) साझी बनाते है|” [सूरा हश्र : 23] | बिना खोट वाला |
6. | अल मूमिन | “वह अल्लाह ही है जिसके अतिरिक्त नहीं है कोई सच्चा वन्दनीय| वह सब का स्वामी, अत्यंत पवित्र, बिना खोट वाला, सर्वथा शांति प्रदान करने वाला, रक्षक, प्रभावशाली, शक्तिशाली, बल पूर्वक आदेश लागू करने वाला, बडाई वाला है| पवित्र है अल्लाह उस से जिसे वे (उस का) साझी बनाते है|” [सूरा हश्र : 23] | सर्वथा शांति प्रदान करने वाला, रक्षक |
7. | अल मुहैमिन | “वह अल्लाह ही है जिसके अतिरिक्त नहीं है कोई सच्चा वन्दनीय| वह सब का स्वामी, अत्यंत पवित्र, बिना खोट वाला, सर्वथा शांति प्रदान करने वाला, रक्षक, प्रभावशाली, शक्तिशाली, बल पूर्वक आदेश लागू करने वाला, बडाई वाला है| पवित्र है अल्लाह उस से जिसे वे (उस का) साझी बनाते है|” [सूरा हश्र : 23] | प्रभावशाली |
8. | अल अजीजु | “वही तुम्हारा रूप आकार गर्भाशयो में जैसे चाहता है, बनता है, कोई पूज्य नहीं, परन्तु वही प्रभुत्वशाली तत्वज्ञ है|” | प्रभुत्वशाली |
9. | अल जब्बार | “वह अल्लाह ही है जिसके अतिरिक्त नहीं है कोई सच्चा वन्दनीय| वह सब का स्वामी, अत्यंत पवित्र, बिना खोट वाला, सर्वथा शांति प्रदान करने वाला, रक्षक, प्रभावशाली, शक्तिशाली, बल पूर्वक आदेश लागू करने वाला, बडाई वाला है| पवित्र है अल्लाह उस से जिसे वे (उस का) साझी बनाते है|” [सूरा हश्र : 23] | शक्तिशाली |
10. | अल मुतकब्बिर | “वह अल्लाह ही है जिसके अतिरिक्त नहीं है कोई सच्चा वन्दनीय| वह सब का स्वामी, अत्यंत पवित्र, बिना खोट वाला, सर्वथा शांति प्रदान करने वाला, रक्षक, प्रभावशाली, शक्तिशाली, बल पूर्वक आदेश लागू करने वाला, बडाई वाला है| पवित्र है अल्लाह उस से जिसे वे (उस का) साझी बनाते है|” [सूरा हश्र : 23] | बडाई वाला |
11. | अल खालिख | “वही अल्लाह है पैदा करने वाला, बनाने वाला, रूप देने वाला| उसी के लिए शुभनाम है, उस की पवित्रता का वर्णन करता है जो (भी) आकाशो तथा धरती में है, और वह प्रभावशाली हिक्मत वाला है|” [सूरा हश्र : 24] | पैदा करने वाला |
12. | अल बारी | “वही अल्लाह है पैदा करने वाला, बनाने वाला, रूप देने वाला| उसी के लिए शुभनाम है, उस की पवित्रता का वर्णन करता है जो (भी) आकाशो तथा धरती में है, और वह प्रभावशाली हिक्मत वाला है|” [सूरा हश्र : 24] | बनाने वाला |
13. | अल मुसव्विर | “वही अल्लाह है पैदा करने वाला, बनाने वाला, रूप देने वाला| उसी के लिए शुभनाम है, उस की पवित्रता का वर्णन करता है जो (भी) आकाशो तथा धरती में है, और वह प्रभावशाली हिक्मत वाला है|” [सूरा हश्र : 24] | रूप देने वाला |
14. | अल अव्वलु | “वही प्रथम तथा वही अंतिम और प्रत्यक्ष तथा गुप्त है| और वह प्रत्येक वस्तु का जानने वाला है|” [सूरा हदीद : 3] | प्रथम |
15. | अल आखिरु | “वही प्रथमतथा वही अंतिम और प्रत्यक्ष तथा गुप्त है| और वह प्रत्येक वस्तु का जानने वाला है|” [सूरा हदीद : 3] | अंतिम |
16. | अज़ जाहिरु | “वही प्रथमतथा वही अंतिम और प्रत्यक्ष तथा गुप्त है| और वह प्रत्येक वस्तु का जानने वाला है|” [सूरा हदीद : 3] | प्रत्यक्ष |
17. | अल बातिनु | “वही प्रथमतथा वही अंतिम और प्रत्यक्ष तथा गुप्त है| और वह प्रत्येक वस्तु का जानने वाला है|” [सूरा हदीद : 3] | गुप्त |
18. | अस समीउ | “उस की कोई प्रतिमा नहीं| और वह सब कुछ सुनने-जानने वाला है|” [सूरा शूरा : 11] | सब कुछ सुनने वाला |
19. | अल बसीरु | “पवित्र है वह जिस ने रात्रि के कुछ क्षण में अपने भक्त को मस्जिदे हराम (मक्का) से मस्जिदे अक्सा तक यात्रा करायी| जिस के चतुर्दिग हम ने संपन्नता रखी है, ताकि उसे अपनी कुछ निशानियो का दर्शन कराये| वास्तव में वह सब कुछ सुनने जानने (देखने) वाला है|” [सूरा बनी इस्राईल : 1] | सब कुछ देखने वाला |
20. | अल मौला | “और यदि वह मुँह फेरे तो जान लो कि अल्लाह तुम्हारा रक्षक है| और वह क्या ही अच्छा संरक्षक तथा क्या ही अच्छा सहायक है ?” [सूरा अन्फाल : 40] | रक्षक |
21. | अन नसीरू | “और यदि वह मुँह फेरे तो जान लो कि अल्लाह तुम्हारा रक्षक है| और वह क्या ही अच्छा संरक्षक तथा क्या ही अच्छा सहायक है ?” [सूरा अन्फाल : 40] | अच्छा सहायक |
22. | अल अफुव्वु | “यदि तुम कोई भली बात खुल कर करो अथवा उसे गुप्त करो या किसी बुराई को क्षमा कर दो, तो निस्संदेह अल्लाह अति क्षमी सर्व शक्तिमान है|” [सूरा निसा : 149] | अति क्षमी |
23. | अल खदीरु | “अल्लाह ही है जिसने उत्पन्न किया तुम्हे निर्बल दशा से फिर प्रदान किया निर्बलता के पश्चात बल फिर कर दिया बल के पश्चात निर्बल तथा बूढ़ा, वह उत्पन्न करता है जो चाहता है और सर्वज्ञ सब सामर्थ्य रखने वाला है|” [सूरा रूम : 54] | सब सामर्थ्य रखने वाला |
24. | अल लतीफु | “क्या वह नहीं जानेगा जिस ने उत्पन्न किया ? और वह सूक्ष्मदर्शक सर्व सूचित है ?” [सूरा मुल्क : 14] | सूक्ष्मदर्शक सर्व सूचित |
25. | अल खबीरु | “तथा वही है जो अपने सेवकों पर पूरा अधिकार रखता है तथा वह बड़ा ज्ञानी सर्वसूचित है|” [सूरा अनाम : 18] | बड़ा ज्ञानी सर्वसूचित |
26. | अल वित्रु | यह नाम खुरआन में प्रस्तावित नहीं है| किन्तु अल्लाह के रसूल ﷺने यह नाम लिया है| इसे अल बुखारी ने सहीह प्रमाणित किया है| जिसे अबू हुरैरह रजिअल्लाहुअन्हु ने उल्लेख किया है| अल्लाह के रसूल ﷺने कहा : “अल्लाह के 99 नाम है| एक सौ में एक कम| जो कोई इन्हें याद करेगा (उनके अर्थ में विश्वास रखना और उस प्रकार कर्म करना) वह स्वर्ग में प्रवेश करेगा| अल्लाह वित्र (एक) है और ‘वित्र’ को पसंद करता है (विषम, ताक़ संख्या)|” [सहीह बुखारी : 6047] | अल वित्र (एक) |
27. | अल जमीलु | यह नाम सहीह मुस्लिम में वर्णित है| इब्न मसूद रजिअल्लाहुअन्हु के उल्लेखित हदीस में है कि, अल्लाह के रसूल ﷺने कहा : “जिसके दिल में एक कण बराबर भी अहंकार हो, वह स्वर्ग में प्रवेश नहीं करेगा| एक व्यक्ति जो वहाँ पर था उसने कहा : ‘हर व्यक्ति की चाहत होती है की, उसके वस्त्र और जूते अच्छे हो|’ आप ﷺने कहा : ‘निस्संदेह अल्लाह सुन्दर, आकर्षित है और वह सुन्दरता, आकर्षण को पसंद करता है|’ किन्तु अहंकार नहीं होना चाहिए और लोगो का अपमान नहीं करना चाहिए|” [सहीह मुस्लिम : 91] | सुन्दर, आकर्षित |
28. | अल हय्यियु | यह नाम खुरआन में प्रस्तावित नहीं है| किन्तु अल्लाह के रसूल ﷺने इसका प्रस्ताव किया है| अबू दावूद में यह हदीस है, जिसे शेख अल्बानी ने सहीह (प्रमाणित) कहा है| याला रजिअल्लाहुअन्हु से उल्लेखित है : अल्लाह के रसूल ﷺने देखा कि एक व्यक्ति सार्वजनिक प्रदेश में बिना नीचे पहनने वाले वस्त्र से अपने आप को धो (साफ कर) रहा है| तब अल्लाह के रसूल ﷺने मंच पर चढ़ कर अल्लाह की प्रशंसा की और कहा : “अल्लाह ताला (अल हय्यियु) जो लज्जा तथा सुशीलतावाला है| इसलिए जो भी धोता है, छिपकर धोना चाहिए|” [सहीह अबू दावूद : 3387] | लज्जा वाला |
29. | अस सित्तीर | सुन्नत (हदीस) में यह नाम (अल हय्यियु) के बाद आया है| अनेक लोग उलझन में पड कर अस सत्तार को अस सित्तीर से मिला देते है| यह गलत है, क्यों कि अस सत्तर नाम का वर्णन न तो खुरआन में है और न हदीस में| अबू दावूद में यह हदीस है, जिसे शेख अल्बानी ने सहीह (प्रमाणित) कहा है| याला रजिअल्लाहुअन्हु से उल्लेखित है : अल्लाह के रसूल ﷺने देखा कि एक व्यक्ति सार्वजनिक प्रदेश में बिना नीचे पहनने वाले वस्त्र से अपने आप को धो (साफ कर) रहा है| तब अल्लाह के रसूल ﷺने मंच पर चढ़ कर अल्लाह की प्रशंसा की और कहा : “अल्लाह ताला (अल हय्यियु) जो लज्जा तथा सुशीलता वाला है| इसलिए जो भी धोता है, छिपकर धोना चाहिए|” [सहीह अबू दावूद : 3387] | सुशीलता वाला |
30. | अल कबीरु | “वह सब छुपे और खुले प्रत्यक्ष को जानने वाला बड़ा महान सर्वोच्च है|” [सूरा राद : 9] | बड़ा महान |
31. | अल मुतआल | “वह सब छुपे और खुले प्रत्यक्ष को जानने वाला बड़ा महान सर्वोच्च है|” [सूरा राद : 9] | बड़ा सर्वोच्च |
32. | अल वाहिद | “अल्लाह ही प्रत्येक चीज़ का उत्पत्ति करने वाला है, और वही अकेला प्रभुत्वशाली है|” [सूरा राद : 16] | अकेला |
33. | अल खह्हार | “अल्लाह ही प्रत्येक चीज़ का उत्पत्ति करने वाला है, और वही अकेला प्रभुत्वशाली है|” [सूरा राद : 16] | प्रभुत्वशाली |
34. | अल हख्खु | “यह इस लिए है कि अल्लाह ही सत्य है तथा वही जीवित करता है मुर्दों को, तथा वास्तव में वह जो चाहे कर सकता है|” [सूरा हज : 6] | सत्य है |
35. | अल मुबीनु | “उस दिन अल्लाह उन को उन का पूरा न्यायपूर्वक बदला देगा, तथा वह जान लेंगे कि अल्लाह ही सत्य है, (सच्च को) उजागर करने वाला|” [सूरा नूर : 25] | अल्लाह ही सत्य है, (सच्च को) उजागर करने वाला |
36. | अल खविय्यु | “वास्तव में आप का पालनहार ही शक्तिशाली प्रभुत्वशाली है|” [सूरा हूद : 66] | शक्तिशाली |
37. | अल मतीनु | “...अवश्य अल्लाह ही जीविका दाता शक्तिशाली बलवान है|” [सूरा ज़ारियात : 58] | बलवान है |
38. | अल हय्यु | “तथा आप भरोसा कीजिये उस नित्य जीवी पर जो मरेगा नहीं..” [सूरा फुरखान : 58] | नित्य जीवी |
39. | अल खय्युमु | “तथा सभी के सिर झुक जायेंगे जीवित नित्य स्थायी (अल्लाह) के लिए| और निश्चय वह निष्फल हो गया जिस ने अत्याचार लाड लिया|” [सूरा ताहा : 111] | जीवित नित्य स्थायी (अल्लाह) |
40. | अल अलिय्यु | “उसी का है जो आकाशो तथा धरती में है और वह बड़ा उच्च-महान है|” [सूरा अश शूरा : 4] | उच्च-महान |
41. | अल अज़ीमु | “वह ईमान नहीं रखता था महिमाशाली अल्लाह पर|” [सूरा हाख्खह : 33] | महिमाशाली |
42. | अश शकूरु | “ताकि अल्लाह प्रदान करे उन्हें भरपूर उनका प्रतिफल| तथा उन्हें अधिक दे अपने अनुग्रह से| वास्तव में वह अति क्षमीआदर करने वाला है|” [सूरा फातिर : 30] | आदर करने वाला |
43. | अल हलीमु | “अल्लाह अति क्षमाशील सहनशील है|” [सूरा बखरा : 225] | अति सहनशील |
44. | अल वासिउ | “तथा पूर्व और पश्चिम अल्लाह ही के है, तुम जिधर भी मुख करो, उधर ही अल्लाह का मुख है| और अल्लाह विशाल अति ज्ञानी है|” [सूरा बखरा : 115] | विशाल अति ज्ञानी |
45. | अल अलीमु | “उनके विरुध्ध तुम्हारे लिए अल्लाह काफी है| और वह सब सुनने वाला और जानने वाला है|” [सूरा बखरा : 137] | सब जानने वाला |
46. | अत तव्वाबु | “फिर आदम ने अपने पालनहार से कुछ शब्द सीखे, तो उस ने उसे क्षमा कर दिया, वह बड़ा क्षमी दयावान है|” [सूरा बखरा : 37] | बड़ा क्षमी दयावान |
47. | अल हकीमु | “हे हमारे पालनहार! उनके बीच इन्ही में से एक रसूल भेज, जो उन्हें तेरी आयतें सुनाये, और उन्हें पुस्तक (खुरआन) तथा हिकमत (सुन्नत) की शिक्षा दे| और उन्हें शुध्ध तथा आज्ञाकारी बना दे| वास्तव में तू ही प्रभुत्वशाली तत्वज्ञ है|” [सूरा बखरा : 129] | प्रभुत्वशाली तत्वज्ञ |
48. | अल गनिय्यु | “तथा आप का पालनहार निस्पृह दयाशील है|” [सूरा अनाम : 133] | निस्पृह दयाशील |
49. | अल करीमु | “ऐ इंसान ! तुझे किस वस्तु ने तेरे उदार पालनहार से बहका दिया| जिस ने तेरी रचना की फिर तुझे संतुलित बनाया|” [सूरा इन्फितार : 6,7] | उदार पालनहार |
50. | अल अहद | “(ऐ ईश दूत !) कह दो अल्लाह अकेला है|” [सूरा इख्लास : 1] | अकेला |
51. | अस समद | “(ऐ ईश दूत !) कह दो अल्लाह अकेला है| अल्लाह निःछिद्र है|” [सूरा इख्लास : 1,2] | निःछिद्र |
52. | अल खरीबु | “अतः उस से क्षमा मांगो और उसी की ओर ध्यानमग्न हो जाओ, वास्तव में मेरा पालनहार समीप है (और दुआएं) स्वीकार करने वाला है|” [सूरा हूद : 61] | समीप (अपने ज्ञान से) |
53. | अल मुजीबु | “अतः उस से क्षमा मांगो और उसी की ओर ध्यानमग्न हो जाओ, वास्तव में मेरा पालनहार समीप है (और दुआएं) स्वीकार करने वाला है|” [सूरा हूद : 61] | (दुआयें) स्वीकार करने वाला |
54. | अल गफूरु | “(ऐ नबी !) आप मेरे भक्तो को सूचित कर दे कि वास्तव में, मैं बड़ा क्षमाशील दयावान हूँ|” | बड़ा क्षमाशील |
55. | अल वदूदु | “और वह अति क्षमा तथा प्रेम करने वाला है| वह सिंहासन का महान स्वामी है|” | अति प्रेम करने वाला |
56. | अल वलिय्यु | “तथा वही है जो वर्षा करता है इस के पश्चात कि लोग निराश हो जाये| तथा फैला देता है अपनी दया| और वही संरक्षक सराहनीय है|” [सूरा अश शूरा : 28] | संरक्षक |
57. | अल हमीदु | “तथा वही है जो वर्षा करता है इस के पश्चात कि लोग निराश हो जाये| तथा फैला देता है अपनी दया| और वही संरक्षक सराहनीय है|” [सूरा अश शूरा : 28] | सराहनीय |
58. | अल हफीजु | “तथा आप का पालनहार प्रत्येक चीज़ का निरीक्षक है|” [सूरा सबा : 21] | निरीक्षक |
59. | अल मजीदु | “फरिश्तों ने कहा : क्या तू अल्लाह के आदेश से आश्चर्य करती है? ऐ घर वालो ! तुम सब पर अल्लाह की दया तथा सम्पन्नता है, निस्संदेह वह अति प्रशंसित श्रेष्ठ है|” [सूरा हूद : 73] | अति श्रेष्ठ |
60. | अल फत्ताह | “आप कह दे कि एकत्रित कर देगा हमें हमारा पालनहार| फिर निर्णय कर देगा हमारे बीच सत्य के साथ| तथा वही अति निर्णय कारी सर्वज्ञ है|” [सूरा सबा : 26] | अति निर्णय कारी |
61. | अश शहीदु | “आप कह दे मैंने तुमसे कोई बदला माँगा है तो वह तुम्हारे ही लिए है| मेरा बदला तो बस अल्लाह पर है| और वह प्रत्येक वस्तु पर साक्षी है|” [सूरा सबा : 47] | साक्षी |
62. | अल मुखद्दमु | यह नाम खुरआन में प्रस्तावित नहीं है| यह नाम सहीह हदीस से प्रमाणित है| इस हदीस को बुखारी और मुस्लिम ने उल्लेख किया है| इब्न अब्बास रजिअल्लाहुअन्हु से उल्लेखित हदीस में है : जब अल्लाह के रसूल ﷺतहज्जुद की नमाज़ पढने के लिए उठे, तो कहते थे : “ऐ अल्लाह ! सारी प्रशंसा आप के लिए है, आप आकाश और धरती को थामे (संभाले) हुए है...., कृपया आप मेरे पहले के और बाद के पाप क्षमा कर दीजिये ; मैंने जो भी छिपाया या ज़ाहिर (सार्वजनिक) किया, आप आगे लाने वाले और पीछे करने वाले है, आप के सिवा कोई उपासक नहीं या सच्चा उपासक है|” [सहीह बुखारी : 1069] | आगे लाने वाले |
63. | अल मुअख्खिर | यह नाम खुरआन में प्रस्तावित नहीं है| यह नाम सहीह हदीस से प्रमाणित है| इस हदीस को बुखारी और मुस्लिम ने उल्लेख किया है| इब्न अब्बास रजिअल्लाहुअन्हु से उल्लेखित हदीस में है : जब अल्लाह के रसूल ﷺतहज्जुद की नमाज़ पढने के लिए उठे, तो कहते थे : “ऐ अल्लाह ! सारी प्रशंसा आप के लिए है, आप आकाश और धरती को थामे (संभाले) हुए है...., कृपया आप मेरे पहले के और बाद के पाप क्षमा कर दीजिये ; मैंने जो भी छिपाया या ज़ाहिर (सार्वजनिक) किया, आप आगे लाने वाले और पीछे करने वाले है, आप के सिवा कोई उपासक नहीं या सच्चा उपासक है|” [सहीह बुखारी : 1069] | पीछे करने वाले |
64. | अल मलिकु | “सत्य के स्थान में अति सामर्थ्यवान स्वामी के पास|” [सूरा खमर : 55] | अति सामर्थ्यवान |
65. | अल मुखतदिर | “और अल्लाह हर चीज़ पर सामर्थ्य रखने वाला है|” [सूरा कहफ़ : 45] | हर चीज़ पर सामर्थ्य रखने वाला |
66. | अल मुसय्यिर | यह नाम खुरआन में प्रस्तावित नहीं है| किन्तु अल्लाह के रसूल ﷺने इस नाम का वर्णन किया है| यह हदीस सुनन तिरमिज़ी,अबू दावूद, इब्ने माजह और अहमद में उल्लेखित है| अनस रजिअल्लाहुअन्हु इस हदीस के उल्लेखकर्ता है| “लोगो ने कहा : ‘ऐ अल्लाह के रसूल, कीमते बढ़ गयी है, इसलिए कीमत निर्धारित कीजिये|’ इस पर अल्लाह के रसूल ﷺने कहा : ‘अल्लाह ही है जो बढ़ाता और घटाता है (उसके इच्छा अनुसार, उदाहरण : कीमत, सामग्री, जीवन काल)| वही रोक लेता है, वही विस्तार से देता है और पोषण करता है, मैं आशा करता हूँ कि जब मै अल्लाह से मिलूंगा, तुम में से कोई मुझ पर खून और संपत्ति के विषय में मेरी शिकायत नहीं करेगा|”’ [अबू दावूद : 3451, तिरमिज़ी : 1314, इब्न माजह : 2200] | जो बढ़ाता और घटाता है (अपने इच्छानुसार) |
67. | अल खाबिजु | यह नाम खुरआन में प्रस्तावित नहीं है| किन्तु अल्लाह के रसूल ﷺने इस नाम का वर्णन किया है| यह हदीस सुनन तिरमिज़ी,अबू दावूद, इब्ने माजह और अहमद में उल्लेखित है| अनस रजिअल्लाहुअन्हु इस हदीस के उल्लेखकर्ता है| “लोगो ने कहा : ‘ऐ अल्लाह के रसूल, कीमते बढ़ गयी है, इसलिए कीमत निर्धारित कीजिये|’ इस पर अल्लाह के रसूल ﷺने कहा : ‘अल्लाह ही है जो बढ़ाता और घटाता है (उसके इच्छा अनुसार, उदाहरण : कीमत, सामग्री, जीवन काल)| वही रोक लेता है, वही विस्तार से देता है और पोषण करता है, मैं आशा करता हूँ कि जब मै अल्लाह से मिलूंगा, तुम में से कोई मुझ पर खून और संपत्ति के विषय में मेरी शिकायत नहीं करेगा|”’ [अबू दावूद : 3451, तिरमिज़ी : 1314, इब्न माजह : 2200] | वही रोक लेता है (जीवन और सामग्री) |
68. | अल बासितु | यह नाम खुरआन में प्रस्तावित नहीं है| किन्तु अल्लाह के रसूल ﷺने इस नाम का वर्णन किया है| यह हदीस सुनन तिरमिज़ी,अबू दावूद, इब्ने माजह और अहमद में उल्लेखित है| अनस रजिअल्लाहुअन्हु इस हदीस के उल्लेखकर्ता है| “लोगो ने कहा : ‘ऐ अल्लाह के रसूल, कीमते बढ़ गयी है, इसलिए कीमत निर्धारित कीजिये|’ इस पर अल्लाह के रसूल ﷺने कहा : ‘अल्लाह ही है जो बढ़ाता और घटाता है (उसके इच्छा अनुसार, उदाहरण : कीमत, सामग्री, जीवन काल)| वही रोक लेता है, वही विस्तार से देता है और पोषण करता है, मैं आशा करता हूँ कि जब मै अल्लाह से मिलूंगा, तुम में से कोई मुझ पर खून और संपत्ति के विषय में मेरी शिकायत नहीं करेगा|”’ [अबू दावूद : 3451, तिरमिज़ी : 1314, इब्न माजह : 2200] | वही विस्तार से देता है |
69. | अर राज़िखु | “मरयम के पुत्र ईसा ने प्रार्थना की : ऐ अल्लाह हमारे पालनहार ! हम पर आकाश से एक थाल उतार दे, जो हमारे तथा हमारे पश्चात के लोगो के लिए उत्सव (का दिन) बन जाये, तथा तेरी ओर से एक चिन्ह (निशानी)| तथा हमें जीविका प्रदान कर, तू उत्तम जीविका प्रदाता है|” [सूरा मायिदा : 114] | उत्तम जीविका प्रदाता |
70. | अल खाहिरु | “तथा वही है जो अपने सेवकों पर पूरा अधिकार रखता है तथा वह बड़ा ज्ञानी सर्वसूचित है|” [सूरा अनाम : 18] | पूरा अधिकार रखना |
71. | अद दय्यान | यह नाम खुरआन में प्रस्तावित नहीं है| इसे अल्लाह के रसूल ﷺने वर्णित किया है| यह बुखारी में उल्लेखित है| जबीर ने अब्दुल्लाह इब्न उनैस रजिअल्लाहुअन्हु से इस हदीस को उल्लेखित किया : मैंने अल्लाह के रसूल ﷺको ऐसा कहते हुए सुना : “अल्लाह सब को एक आवाज़ से एकत्रित करेगा| वह आवाज़ सब को, जो दूर है और जो करीब है, सुनाई देगी| अल्लाह यह कहेगा : ‘मैं अल मालिक (प्रभु) हूँ, मैं अद दय्यान (हिसाब के लिए इकठ्ठा करने के बाद, उनके कर्मो के अनुसार न्याय करने वाला)|”’ [सहीह बुखारी : 6/2719] | हिसाब के लिए इकठ्ठा करने के बाद, उनके कर्मो के अनुसार न्याय करने वाला |
72. | अंश शाकिरु | “निस्संदेह सफा तथा मरवा पहाड़ी अल्लाह (के धर्म) की निशानियों में से है| अतः जो अल्लाह के घर का हज्ज या उमरह करे तो उस पर कोई दोष नहीं कि उन दोनों का फेरा लगाये| और जो स्वेच्छा से भलाई करे, तो निस्संदेह अल्लाह उसका गुणग्राही अति ज्ञानी है|” [सूरा बखरा : 158] | अल्लाह गुणग्राही है |
73. | अल मन्नानु | यह नाम खुरआन में प्रस्तावित नहीं है| किन्तु यह हदीस में वर्णित है| यह अबू दावूद में उल्लेखित है और शेख अल्बानी रहिमहुल्लाह ने इसे सहीह (प्रमाणित) कहा है| इसे अनस रजिअल्लाहुअन्हु ने उल्लेख किया है : हम अल्लाह के रसूल ﷺके साथ बैठे हुए थे, एक व्यक्ति नमाज़ पढा और दुआ करने लगा : “ऐ अल्लाह ! मैं तुझ से मांगता हूँ, यह जानते हुए कि सारी प्रशंसायें तेरे लिए है ; तेरे सिवा कोई सच्चा उपासक नहीं है (तू अकेला है, तेरा कोई साझी नहीं); ऐ कृपा बरसाने वाले, आकाश और धरती को बनाने वाले, गौरव तथा सम्मान वाले, हमेशा जीवित रहने वाले, (मैं तुझ से मांगता हूँ) [स्वर्ग, और अग्नि (नरक की आग) से शरण चाहता हूँ]|” तब अल्लाह के रसूल ﷺने अपने साथियों से कहा : ‘वह किससे माँगा है, तुम जानते हो?’ उन्होंने कहा : ‘अल्लाह और उसके रसूल बेहतर जानते है|’ आप ﷺने कहा : ‘उसकी (अल्लाह) कसम, जिसके हाथ में मेरी जान है, उसने अल्लाह की शक्ति, महानता से माँगा है| (दूसरे उल्लेख में) शक्तिशाली – वह (अल्लाह का) नाम जिस से पूछा जाये तो वह अवश्य सुनता है और जिस से उसे माँगा जाये तो वह देता है|” [सहीह अबू दावूद : 1325] | कृपा बरसाने वाला |
74. | अल खादिरु | “तो हम ने सामर्थ्य रखा, अतः हम अच्छा सामर्थ्य रखने वाले है|” [सूरा मुरसलात : 23] | अच्छा सामर्थ्य रखने वाला |
75. | अल खल्लाखु | “तथा क्या जिसने आकाशों तथा धरती को पैदा किया है वह सामर्थ्य नहीं रखता इस पर कि पैदा करे उस के समान? क्यों नहीं? और वह रचयिता अति ज्ञाता है|” [सूरा यासीन : 81] | रचयिता |
76. | अल मालिकु | ऐ (नबी) ! कहो, ऐ अल्लाह ! राज्य के अधिपति (स्वामी)!” [सूरा आले इमरान : 26] | राज्य के अधिपति |
77. | अर रज्जाखु | “अवश्य अल्लाह ही जीविका दाता शक्तिशाली बलवान है|” [सूरा जारियत : 58] | जीविका दाता |
78. | अल वकीलु | “यह वह लोग है, जिन से लोगो ने कहा कि तुम्हारे लिए लोगो (शत्रु) ने (वापिस आने का) संकल्प लिया है| अतः उन से डरो, तो इस ने उन के ईमान को और अधिक कर दिया, और उन्हों ने कहा : हमें अल्लाह बस है, और वह अच्छा काम बनाने वाला है|” [सूरा आले इमरान : 173] | अच्छा काम बनाने वाला |
79. | अर रखीबु | “निस्संदेह अल्लाह तुम्हारा निरीक्षक है|” [सूरा निसा : 1] | निरीक्षक |
80. | अल मुहसिनु | “तबरानी ने उल्लेख किया है, शेख अल्बानी ने इसे प्रमाणित किया है| अनस रजिअल्लाहुअन्हु उल्लेख करते है कि : “जब तुम कोई निर्णय करो तो न्याय के साथ करो, और जब ज़ुबह (जंतु बलि) करो तो अच्छे तरीके से करो| निस्संदेह अल्लाह अच्छाई में सम्पूर्ण है और अच्छाई को पसंद करता है|” [मजमु कबीर तबरानी में : 7114 से 7123 & मुसन्नफ़ अब्दुल रज्ज़ाख 4/492] | अच्छाई में सम्पूर्ण |
81. | अल हसीबु | “और जब तुम से सलाम किया जाये तो उस से अच्छा उत्तर दो, अथवा उसी को दोहरा दो| निस्संदेह अल्लाह प्रत्येक विषय का हिसाब लेने वाला है|” [सूरा निसा : 86] | प्रत्येक विषय का हिसाब लेने वाला |
82. | अश शाफी | “आइशा रजिअल्लाहुअन्हा उल्लेख करते है कि, कोई व्याधि ग्रस्त आप के पास लाया जाता या आप स्वयं व्याधि ग्रस्त होते तो आप ऐसा कहते : “ऐ अल्लाह ! सारे लोगो का पालनहार ! पीड़ा समाप्त कर दो, (और) व्याधि से रोगी को मुक्त कर दो| आप (व्याधि समाप्त करने वाले) चिकित्सक है| आप की चिकित्सा से अच्छी चिकित्सा कोई नहीं, आप की चिकित्सा कोई घाव नहीं छोडती|” [सहीह बुखारी : 5/2147] | चिकित्सक (व्याधि समाप्त करने वाले) |
83. | अर रफीखु | “यह नाम अल्लाह के रसूल ﷺने वर्णन किया|इसे आइशा रजिअल्लाहुअन्हा ने उल्लेख किया : अल्लाह के रसूल ﷺने ऐसा कहा : “ऐ आइशा ! अल्लाह बहुत करुणामय है, और करुणा (कृपा, दया) को पसंद करता है| वह करुणा का प्रतिफल दूसरे भलायिओं के प्रतिफल के मुकाबले बहुत बढ़ कर देता है|” [सहीह मुस्लिम : 4/2003] | अति करुणामय |
84. | अल मूतीअ | मुआवियह बिन अबी सुफ्यान रजिअल्लाहुअन्हु ने उल्लेख किया कि, अल्लाह के रसूल ﷺने कहा : “यदि अल्लाह किसी को भलाई करना चाहता हो तो, वह उसे इस्लाम धर्म की ओर लाता है| और अल्लाह देने वाला है और मैं अल-खासिम (बांटने वाला) हूँ, और यह (मुस्लिम) देश अपने प्रत्यर्धियो पर विजयी होगा, अल्लाह की आज्ञा से (अंतिम दिन तक), और वह हमेशा विजयी रहेंगे|” [सहीह बुखारी : 3/1143] | देने वाला |
85. | अल मुखीतु | “जो अच्छी अनुशंसा (सिफारिश) करेगा उसे उस का भाग (प्रतिफल) मिलेगा| तथा जो बुरी अनुशंसा (सिफारिश) करेगा तो उसे भी उस का भाग (कुफल) मिलेगा| और अल्लाह प्रत्येक चीज़ का निरीक्षक है|” [सूरा निसा : 85] | प्रत्येक चीज़ का निरीक्षक |
86. | अस सैदु | यह अल्लाह का नाम सुन्नत से प्रमाणित है| अब्दुल्लाह इब्न शिख्खीर रजिअल्लाहुअन्हु ने उल्लेख किया : “मैं बनू अमीर के एक प्रतिनिधि मंडल के साथ अल्लाह के रसूल ﷺके पास गया और हम ने कहा : “आप हमारे सय्यिद (सरदार) हो|” आप ﷺने कहा : “अस सय्यिद (सरदार) तो अल्लाह है|” हम (आप से) बोले : “आप हम सब में श्रेष्ठ तथा उत्तम है|” आप ने उत्तर दिया : “तुम जो कहना चाहते हो कहो या उसका कुछ भाग कहो, शैतान को अपने ऊपर हावी मत होने दो|” [सहीह अबू दावूद : 4021, शेख अल्बानी रहिमहुल्लाह ने इसे प्रमाणित (सहीह) कहा] | सरदार |
87. | अत तय्यिबु | अबू हुरैरह रजिअल्लाहुअन्हु से उल्लेखित हदीस में है : “ऐ लोगो ! अल्लाह पवित्र है और वह पवित्रता को ही स्वीकार करता है|” [सहीह मुस्लिम : 2/703, 1015] | पवित्र |
88. | अल हकमु | यह हदीस सुनन अबू दावूद में उल्लेखित है| शेख अल्बानी रहिमहुल्लाह ने इसे प्रमाणित (सहीह) कहा है| इसे शुरैह ने अपने पिता हनी इब्न यजीद रजिअल्लाहुअन्हु से उल्लेख किया है : जब हनी अपने साथियों के साथ अल्लाह के रसूल ﷺके पास गए तो, कोई उन्हें उनके उपनाम अबुल हकम कह कर बुलाया| तब अल्लाह के रसूल ﷺने मुझे अपने पास बुलाया और कहा : “अल्लाह न्यायाधीश (अल -हकम) है, और निर्णय अधिकार उसी का है| तुमने अबुल हकम का उपनाम क्यों रखा?” मैंने जवाब दिया : “जब मेरे साथियों में कुछ बात पर तकरार होती है तो फैसले के लिए मेरे पास आते है| मैं फैसला करता हूँ और दोनों पक्ष के लोग मेरे फैसले से संतृप्त होते है|” तो अल्लाह के रसूल ﷺने कहा : “यह अच्छी बात है ! तुम्हारे कितने बच्चे है ?” मैंने उत्तर दिया : “शुरैह, मुस्लिम, अब्दुल्लाह मेरे लड़के है|” आप ﷺने पूछा : “उनमे बड़ा कौन है?” मैं ने कहा : “शुरैह|” आप ﷺने कहा : “तो तुम अबू शुरैह हो|” [सहीह अबू दावूद : 4145] | न्यायाधीश |
89. | अल अकरमु | “पढ़ और तेरा पालनहार बड़ा दया वाला है|” [सूरा अलख : 3] | बड़ा दया वाला |
90. | अल बर्रु | “इस से पूर्व हम वंदना किया करते थे उस की| निश्चय वह अति परोपकारी दयावान है|” [सूरा तूर : 28] | अति परोपकारी |
91. | अल गफ्फारु | “वह आकशो तथा धरती का और जो कुछ उन दोनों के मध्य है सब का पालनहार अति प्रभावशाली क्षमी है|” [सूरा साद : 66] | अति प्रभावशाली क्षमी |
92. | अर रऊफु | “और यदि तुम पर अल्लाह का अनुग्रह तथा उस की दया न होती (तो तुम पर यातना आ जाती)| और वास्तव में अल्लाह अति करुणामय दयावान है|” [सूरा नूर : 20] | अति करुणामय |
93. | अल वह्हाब | “(तथा कहते है) : ऐ हमारे पालनहार ! हमारे दिलो को हमें मार्गदर्शन देने के पश्चात कुटिल न कर, तथा हमें अपनी दया प्रदान कर| वास्तव में तू बहुत बड़ा दाता है|” [सूरा आले इमरान : 8] | बहुत बड़ा दाता |
94. | अल जवादु | “इब्न अब्बास और साद बिन अबी वख्खास रजिअल्लाहुअन्हुम ने उल्लेख किया कि अल्लाह के रसूल ﷺने कहा : “निस्संदेह अल्लाह भलाई प्रदान करने वाला (अति दयालु) और वह दया तथा उच्च व्यवहार को पसंद करने वाला और तुच्छ व्यवहार (बद अख्लाखी) को द्वेश करने वाला है|” [सिलसिला अस सहीहा : 1378] | भलाई प्रदान करने वाला |
95. | अस सुबूहु | “आइशा रजिअल्लाहुअन्हा द्वारा उल्लेखित हदीस में है कि, अल्लाह के रसूल ﷺरुकू और सज्दे में यह कहा करते थे : “परिपूर्ण तथा समृध्ध है अल्लाह, जो फरिश्तों और विशेषकर जिब्रईल अलैहिस्सलाम का रब है|” [सहीह मुस्लिम : 1/353:487] | परिपूर्ण |
96. | अल वारिसु | “तथा हम ही जीवन देते तथा मारते है, और हम ही सब के उत्तराधिकारी है|” [सूरा हिज्र : 23] | सब के उत्तराधिकारी |
97. | अर रब्बु | “(उन को) सलाम कहा गया है अति दयावान पालनहार की ओर से|” [सूरा यासीन : 58] | पालनहार |
98. | अल आला | “अपने सर्वोचय प्रभु के नाम की पवित्रता का सुमरिण करो|” [सूरा आला : 1] | सर्वोचय प्रभु |
99. | अल इलाहु | “और तुम्हारा पूज्य एक ही पूज्य है, उस अत्यंत दयालु, दयावान के सिवा कोई पूज्य नहीं|” [सूरा बखरा : 163] | पूज्य |