अल्लाह की किताबों पर ईमान


हर मुसलमान को इस बात पर ईमान(पूर्ण विश्वास) रखना चाहिये कि अल्लाह सुब्हानहु तआला ने अपना संदेश हम तक पहुंचाने के लिए रसूलों पर किताबें उतारी जो अपने अपने दौर(युग) में उचित एवं सच्ची बातें लेकर आईं तथा ये सभी किताबें मनुष्य को अल्लाह सुब्हानहु तआला की विशुद्ध इबादत(आराधना) की ओर बुलाती हैं जो कि पूरे संसार का विधाता(creator), मालिक(lord) तथा मुदब्बिर(पूरी संसृति की योजना करने वाला) है। 

 

सामग्री या अनुक्रमणिका

 

(१).क़ुरआन

अल्लाह सुब्हानहु तआला कहते हैं: "निसंदेह हम ने अपने पैग़म्बरों(messengers) को स्पष्ट प्रमाणों के साथ भेजा और उनके साथ किताब एवं तुला उतारी ताकि लोक न्याय बनाए रखे(न्यायता का आयोजन करें) और हम ने लोहे को उतारा जिसमें कड़ी हैबत एवं शक्ति है तथा लोगों के प्रति और भी बहुत सारे लाभ हैं और  इसलिये भी कि अल्लाह सुब्हानहु तआला जान लें कि कौन बिना देखे उसकी एवं उसके रसूलों की सहायता करता है निसंदेह अल्लाह सुब्हानहु तआला शक्तिमान एवं ज़बरदस्त है"।(अलहदीद :२५)

 

और कहा "अए मुसलमानों! तुम सब कहो कि हम अल्लाह सुब्हानहु तआला पर ईमान लाए तथा उस वस्तु(किताब) पर भी जो हमारी ओर उतारी गई एवं जो इब्राहीम इस्माईल इसहाखं याअखूंब अलैहिमुसस्सलाम तथा उनकी संतान पार उतारी गई और जो कुछ मूसा एवं ईसा अलैहिमास्सलाम पर  उतारी गई तथा जो  कुछ  अल्लाह सुब्हानहु तआला की ओर से दूसरे अंबिया अलैहिमुसस्सलाम को प्रदाण किया गया  हम उनमें से किसी के बीच अंतर नहीं करते एवं हम अल्लाह सुब्हानहु तआला के आज्ञाकारी हैं"। (अल्बखंरा :१३६)

 

और कहा "तथा कहदें मैं उन सभी किताबों पर ईमान लाया जो अल्लाह सुब्हानहु द्वारा उतरी हैं।   (अश-शुराः १५) 

 

(२). अल्लाह सुब्हानहु तआला द्वारा उतारी गईं सभी किताबें:

अल्लाह सुब्हानहु तआला द्वारा उतारी गईं सभी किताबें जिनका उल्लेख क़ुरआन मजीद में है- सोह्फ़े इब्राहीम, तौरात, ज़बूर, इंजील, क़ुरआन।

 

(अ). सोह्फ़े इब्राहीम:

वह किताब जो अल्लाह सुब्हानहु तआला द्वारा इब्राहीम अलैहिस्सलाम को दी गई थी, अल्लाह सुब्हानहु तआला कहते हैं "अर्थात इब्राहीम एवं मूसा अलैहिमास्सलाम के सहीफ़ों(किताबों) में"। (सुरतुल आ-अला : १९)

 

(आ). तौरात:

वह पवित्र किताब जो अल्लाह सुब्हानहु तआला द्वारा मूसा अलैहिस्सलाम पर उतरी थी, अल्लाह सुब्हानहु तआला कहते हैं ""निसंदेह हम ने तौरात उतारी जिसमें मार्गदर्शन(guidance) एवं नूर(प्रकाश) है यहूदियों(jews) में,इसी तौरात के साथ अल्लाह सुब्हानहु के मानने वाले(अंबिया अलैहिमुसस्सलाम) एवं अल्लाह वाले और विद्वान फ़ैसले किया करते थे क्यूंकि उन्हें अल्लाह सुब्हानहु की ईस किताब की रक्षा करने का आदेश दिया गया था और वे इस पर आस्तिक साक्ष्य थे अब तुम्हे चाहिये कि लोगों से ना डरो केवल मुझसे डरो और मेरी आयतों को थोड़े से दाम(के लिये) ना बेचो तथा

 

जो लोक अल्लाह सुब्हानहु तआला द्वारा उतारी हुई वही(Revelation) के अनुसार फैसलें ना करे वे [पूरेएवंडटे हुएकाफ़िर हैं"। (अल्माएदा :४४)

 

(इ). ज़बूर:

वह किताब जो अल्लाह सुब्हानहु तआला द्वारा दावूद अलैहिस्सलाम पर उतरी थी, अल्लाह सुब्हानहु तआला कहते हैं "हम ने दावूद अलैहिस्सलाम को ज़बूर प्रदान की" (सूरह निसा: १६३)

 

(ई).  इंजील:

वह किताब जो अल्लाह सुब्हानहु तआला द्वारा ईसा अलैहिस्सलाम पर उतरी थी, अल्लाह सुब्हानहु तआला कहते हैं "और हम ने उनके पीछे ईसा इब्ने मरयम(Jesus, son of Marry) को भेजा जो अपने से पह्ले की किताब अर्थात तौरात की सत्यापन करने वाले थे एवं हम ने उन्हें इंजील प्रदान की जिसमें नूर(प्रकाश) एवं मार्गदर्शन(guidance) है तथा अपने से पह्ले की किताब तौरात की सत्यापन करती थी दूसरा उसमें पारसा लोगों के प्रति मार्गदर्शन तथा उपदेश थी"। (अल्माएदा :४६)

 

(उ). क़ुरआन:

हर मुस्लमान के लिए आवश्यक है कि वह क़ुरआन के संबंधित नीचे बताई गई पांच बातों पर ईमान रखे,

 

(१). हर मुस्लमान के लिए आवश्यक है कि वोह ईस बात पर ईमान रखे कि क़ुरआन मजीद अल्लाह सुब्हानहु तआला का कलाम है जिसे अल्लाह सुब्हानहु तआला ने जिब्राईल अलैहिस्सलाम द्वारा मुहमम्द सललेल्लाहु अलैही वसल्लम पर अराबी भाषा में उतारा, अल्लाह सुब्हानहु तआला कहते हैं "इसको रुहुल अमीन(Trustworthy Spirit) जैसा अज़ीमुश-शान(बहुत बड़ी शान वाला) फ़रिश्ता(angel) लेकर उतरा है, आपके दिल पर अए पैग़म्बर ताकि अप सचेत करने वालों में से होजाए फ़साहत एवं बलाग़त से सम्पूर्ण स्पष्ट एवं रौशन(प्रकाश) अराबी भाषा में" (अश-शुअरा: १९३-१९५)

 

(२). क़ुरआन मजीद प्रत्येक(all) मनुषयके प्रति अल्लाह सुब्हानहु तआला का अंतिम संदेश हैं जो कि पिछली उतारी गई सभी किताबों की सत्यापन करती है तौहीद के संदेश तथा अल्लाह सुब्हानहु तआला की विशुद्ध इबादत(आराधना) के विषय में, और वोह सभी पिछली किताबों को मन्सूख़(पिछली किताबों के नियमों का अंत करके उसकी स्थान लेना) करने वाली है,अल्लाह सुब्हानहु तआला कहते हैं " उसने (अए मुहमम्द सललेल्लाहु अलैही वसल्लम!) आप पर सच्ची किताब उतारी जो अपने से पहली किताबों की सत्यापन करती है तथा इंजील और तौरात(भी) उतारी(इससे) पहले के लोगों के मार्गदर्शन के लिए एवं(अब) येह फ़ुरक़ान(सत्य तथा असत्य में अंतर करने वाला) उतारा-(तो अब) जो लोक अल्लाह सुब्हानहु तआला की आयतों को नकारते हैं निसंदेह उनके लिए कठौर यातना(पाप दंड,अज़ाब) है एवं अल्लाह सुब्हानहु तआला ज़बरदस्त(और) बदला लेने वाला है" (आले इमरान :३,४)

 

(३). येह वह किताब है जिसके भीतर सभी धार्मिक नियम बता दिये गए हैं, अल्लाह सुब्हानहु तआला कहते हैं "(और) आज हमे ने तुम्हारे लिये तुम्हारा धर्म पूर्ण करदिया एवं अपनी तुष्टि(सुखद वस्तुएं,delight) तुम पर पूरी करदी और तुम्हारे लिये इस्लाम को धर्म(के रूप मे) पसंद किया,हाँ जो व्यक्ति भूक में विवश(मजबुर) होजाए (ईस शर्त के साथ कि) गुनाह की ओर आकृष्ट ना हो तो अल्लाह सुब्हानहुतआला क्षमा करने वाला दयावान है"। (अल माएदा :३)

 

(४).अल्लाह सुब्हानहु तआला ने ईस किताब को पूरी मनुष्यत्व(humanity) के लिये उतारा ना कि किसी विशेष जाति ,पीढ़ी एवं विशेष रंगत(काले,गोरे) के लिये बल्की यह सामान्य रूप से पूरी मानवता के लिये उतरी, अल्लाह सुब्हानहु तआला कहते हैं: "रमज़ान का वह महीना जिसमें क़ुरआन उतारा गया लोगों के लिये मार्गदर्शन है तथा मार्गदर्शन की रौशन(प्रज्वलित) प्रमाणों तथा सत्य एवं असत्य में अंतर करने वाला है"।(अल बखंरा : १८५)

 

(५.).यह वह मार्गदर्शन करने वाली किताब है जिसकी सुरक्षा का उत्तरदाता स्वयं अल्लाह सुब्हानहु तआला है इसी लिये यह किसी भी प्रकार के बदलाव एवं उलट-फेर से सुरक्षीत है, अल्लाह सुब्हानहु तआला कहते हैं : "हम ने ही इस क़ुरआन को उतारा है तथा हम ही इसके रक्षक हैं"। (अलहजर :९)

 

अल्लाह सुब्हानहु द्वारा उतारी गईं किताबें पर ईमान लाने के लाभ

(१): अल्लाह सुब्हानहु तआला ने अपने मार्गदर्शन का सारा सामान एवं धर्म से संबंधित सभी सर्व वस्तुएं जैसे नियम विनियम, उचित अनुचित, सत्य असत्य,वैध अवैध सभी को एकत्रित करके किताब के रूप में हमारी ओर उतारा तथा हमें शैतान के बहकावे से बचा लिया ,इस से हम समझ सकते हैं कि अल्लाह सुब्हानहु तआला अपने बन्दों(भक्तों) के प्रति कितना कृपाशील एवं दयावान है।

 

(२): अल्लाह सुब्हानहु तआला ने हर युग में उसकी परिस्थितियों तथा अवस्थाको ध्यान में रखते हुए उपयुक्त एवं योग्य नियम बनाए इससे हमें अल्लाह सुब्हानहु तआला की उत्तम बुद्धिमत्ताओं का परिचय मिलता है।

 

(३):  इसका एक लाभ येह भी है कि मोमिन(believer) और काफ़िर(disbeliever) में अंतर पता चलता है कि कौन अल्लाह सुब्हानहु तआला की किताबों पर ईमान लाता हैऔर कौन नहीं।

 

(४): क़ुरआन पर ईमान लाने से ईमान की बढ़ोतरी होती है एवं दुगना पुण्य मिलता है, अल्लाह सुब्हानहु तआला कहते हैं "जिसको हम ने इस से पहले किताब प्रदान की वे तो उसपर ईमान रखते हैं"। (अल खंसस:५२ )

 

और देखये

अल्लाह सुब्हानहु तआला पर ईमान, क़ुरआन, ईमान, तौरात, इंजील, वही(Revelation) और अनेक

 

संदर्भ:

शरह उसूलुल ईमान:शेख़ मुहम्मद बिन सालेह अलउस्मैन

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