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  العربية              हिंदी  

1.सूरह अल फातिहा
2.सूरह अल बखरा
3.सूरह आले इमरान
4.सूरह अन निसा
5.सूरह अल माइदा
6.सूरह अल अनआम
7.सूरह अल आराफ
8.सूरह अल अनफाल
9.सूरह अत तौबा
10.सूरह यूनुस
11.सूरह हूद
12.सूरह यूसुफ
13.सूरह अर राद
14.सूरह इब्राहीम
15.सूरह अल हिज्र
16.सूरह अन नहल
17.सूरह बनी इस्राईल
18.सूरह अल कहफ़
19.सूरह मरयम
20.सूरह ताहा
21.सूरह अल अंबिया
22.सूरह अल हज
23.सूरह अल मोमिनून
24.सूरह अन नूर
25.सूरह अल फुरखान
26.सूरह अश शुअरा
27.सूरह अन नम्ल
28.सूरह अल खसस
29.सूरह अल अनकबूत
30.सूरह अर रूम
31.सूरह लुखमान
32.सूरह अस सज्दह
33.सूरह अल अहज़ाब
34.सूरह सबा
35.सूरह फातिर
36.सूरह यासीन
37.सूरह अस साफ्फात
38.सूरह साद
39.सूरह अज़ ज़ुमर
40.सूरह अल मोमिन
41.सूरह हा मीम अस सज्दह
42.सूरह अश शूरा
43.सूरह अज़ ज़ुखरुफ
44.सूरह अद दुखान
45.सूरह अल जासियह
46.सूरह अल अहखाफ
47.सूरह मुहम्मद
48.सूरह अल फतह
49.सूरह अल हुजुरात
50.सूरह खाफ
51.सूरहअज़ ज़ारियात
52.सूरह अत तूर
53.सूरह अन नज्म
54.सूरह अल खमर
55.सूरह अर रहमान
56.सूरह अल वाखियह
57.सूरह अल हदीद
58.सूरह अल मुजादलह
59.सूरह अल हश्र
60.सूरह अल मुमतहिनह
61.सूरह अस सफ
62.सूरह अल जुमुअह
63.सूरह अल मुनाफिखून
64.सूरह अत तागाबुन
65.सूरह अत तलाख
66.सूरह अत तह्रीम
67.सूरह अल मुल्क
68.सूरह अल खलम
69.सूरह अल हाख्खह
70.सूरह अल मआरिज
71.सूरह नूह
72.सूरह अल जिन्न
73.सूरह अल मुज्ज़म्मिल
74.सूरह अल मुद्दस्सिर
75.सूरह अल खियामह
76.सूरह अद दह्र
77.सूरह अल मूर्सलात
78.सूरह अन नबा
79.सूरह अन नाज़िआत
80.सूरह अबस
81.सूरह अत तक्वीर
82.सूरह अल इन्फितार
83.सूरह अल मुतफ्फिफीन
84.सूरह अल इन्शिखाक
85.सूरह अल बुरूज
86.सूरह अत तारीख
87.सूरह अल आला
88.सूरह अल गाशियह
89.सूरह अल फज्र
90.सूरह अल बलद
91.सूरह अश शम्स
92.सूरह अल लैल
93.सूरह अज़ ज़ुहा
94.सूरह अलम नश्रह
95.सूरह अत तीन
96.सूरह अल अलख
97.सूरह अल खद्र
98.सूरह अल बय्यिनह
99.सूरह अज़ ज़िल ज़ाल
100.सूरह अल आदियात
101.सूरह अल खारिअह
102.सूरह अत तकासुर
103.सूरह अल अस्र
104.सूरह अल हुमजह
105.सूरह अल फील
106.सूरह खुरैश
107.सूरह अल माऊन
108.सूरह अल कौसर
109.सूरह अल काफिरून
110.सूरह अन नस्र
111.सूरह अल लहब
112.सूरह अल इख्लास
113.सूरह अल फलख
114.सूरह अन नास

57.सूरह अल हदीद

57:1  سَبَّحَ لِلَّهِ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۖ وَهُوَ الْعَزِيزُ الْحَكِيمُ
अल्लाह की तसबीह की हर उस चीज़ ने जो आकाशों और धरती में है। वही प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है।
57:2  لَهُ مُلْكُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۖ يُحْيِي وَيُمِيتُ ۖ وَهُوَ عَلَىٰ كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ
आकाशों और धरती की बादशाही उसी की है। वही जीवन प्रदान करता है और मृत्यु देता है, और उसे हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है।
57:3  هُوَ الْأَوَّلُ وَالْآخِرُ وَالظَّاهِرُ وَالْبَاطِنُ ۖ وَهُوَ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيمٌ
वही आदि है और अन्त भी और वही व्यक्त है और अव्यक्त भी। और वह हर चीज़ को जानता है।
57:4  هُوَ الَّذِي خَلَقَ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ فِي سِتَّةِ أَيَّامٍ ثُمَّ اسْتَوَىٰ عَلَى الْعَرْشِ ۚ يَعْلَمُ مَا يَلِجُ فِي الْأَرْضِ وَمَا يَخْرُجُ مِنْهَا وَمَا يَنزِلُ مِنَ السَّمَاءِ وَمَا يَعْرُجُ فِيهَا ۖ وَهُوَ مَعَكُمْ أَيْنَ مَا كُنتُمْ ۚ وَاللَّهُ بِمَا تَعْمَلُونَ بَصِيرٌ
वही है जिसने आकाशों और धरती को छह दिनों में पैदा किया; फिर सिंहासन पर विराजमान हुआ। वह जानता है जो कुछ धरती में प्रवेश करता है और जो कुछ उससे निकलता है और जो कुछ आकाश से उतरता है और जो कुछ उसमें चढ़ता है। और तुम जहाँ कहीं भी हो, वह तुम्हारे साथ है। और अल्लाह देखता है जो कुछ तुम करते हो।
57:5  لَّهُ مُلْكُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۚ وَإِلَى اللَّهِ تُرْجَعُ الْأُمُورُ
आकाशों और धरती की बादशाही उसी की है और अल्लाह ही की ओर सारे मामले पलटते हैं।
57:6  يُولِجُ اللَّيْلَ فِي النَّهَارِ وَيُولِجُ النَّهَارَ فِي اللَّيْلِ ۚ وَهُوَ عَلِيمٌ بِذَاتِ الصُّدُورِ
वह रात को दिन में प्रविष्ट कराता है और दिन को रात में प्रविष्ट कराता है। वह सीनों में छिपी बात तक को जानता है।
57:7  آمِنُوا بِاللَّهِ وَرَسُولِهِ وَأَنفِقُوا مِمَّا جَعَلَكُم مُّسْتَخْلَفِينَ فِيهِ ۖ فَالَّذِينَ آمَنُوا مِنكُمْ وَأَنفَقُوا لَهُمْ أَجْرٌ كَبِيرٌ
ईमान लाओ अल्लाह और उसके रसूल पर और उसमें से ख़र्च करो जिसका उसने तु्म्हें अधिकारी बनाया है। तो तुममें से जो लोग ईमान लाए और उन्होंने ख़र्च किया, उनके लिए बड़ा प्रतिदान है।
57:8  وَمَا لَكُمْ لَا تُؤْمِنُونَ بِاللَّهِ ۙ وَالرَّسُولُ يَدْعُوكُمْ لِتُؤْمِنُوا بِرَبِّكُمْ وَقَدْ أَخَذَ مِيثَاقَكُمْ إِن كُنتُم مُّؤْمِنِينَ
तुम्हें क्या हो गया है कि तुम अल्लाह पर ईमान नहीं लाते; जबकि रसूल तुम्हें निमंत्रण दे रहा है कि तुम अपने रब पर ईमान लाओ और वह तुमसे दृढ़ वचन भी ले चुका है, यदि तुम मोमिन हो।
57:9  هُوَ الَّذِي يُنَزِّلُ عَلَىٰ عَبْدِهِ آيَاتٍ بَيِّنَاتٍ لِّيُخْرِجَكُم مِّنَ الظُّلُمَاتِ إِلَى النُّورِ ۚ وَإِنَّ اللَّهَ بِكُمْ لَرَءُوفٌ رَّحِيمٌ
वही है जो अपने बन्दों पर स्पष्ट आयतें उतार रहा है, ताकि वह तुम्हें अंधकारों से प्रकाश की ओर ले आए। और वास्तविकता यह है कि अल्लाह तुमपर अत्यन्त करुणामय, दयावान है।
57:10  وَمَا لَكُمْ أَلَّا تُنفِقُوا فِي سَبِيلِ اللَّهِ وَلِلَّهِ مِيرَاثُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۚ لَا يَسْتَوِي مِنكُم مَّنْ أَنفَقَ مِن قَبْلِ الْفَتْحِ وَقَاتَلَ ۚ أُولَٰئِكَ أَعْظَمُ دَرَجَةً مِّنَ الَّذِينَ أَنفَقُوا مِن بَعْدُ وَقَاتَلُوا ۚ وَكُلًّا وَعَدَ اللَّهُ الْحُسْنَىٰ ۚ وَاللَّهُ بِمَا تَعْمَلُونَ خَبِيرٌ
और तुम्हें क्या हुआ है कि तुम अल्लाह के मार्ग में ख़र्च न करो, हालाँकि आकाशों और धरती की विरासत अल्लाह ही के लिए है? तुममें से जिन लोगों ने विजय से पूर्व ख़र्च किया और लड़े वे परस्पर एक-दूसरे के समान नहीं हैं। वे तो दरजे में उनसे बढ़कर हैं जिन्होंने बाद में ख़र्च किया और लड़े। यद्यपि अल्लाह ने प्रत्येक से अच्छा वादा किया है। अल्लाह उसकी ख़बर रखता है, जो कुछ तुम करते हो।
57:11  مَّن ذَا الَّذِي يُقْرِضُ اللَّهَ قَرْضًا حَسَنًا فَيُضَاعِفَهُ لَهُ وَلَهُ أَجْرٌ كَرِيمٌ
कौन है जो अल्लाह को ऋण दे, अच्छा ऋण कि वह उसे उसके लिए कई गुना कर दे। और उसके लिए सम्मानित प्रतिदान है।
57:12  يَوْمَ تَرَى الْمُؤْمِنِينَ وَالْمُؤْمِنَاتِ يَسْعَىٰ نُورُهُم بَيْنَ أَيْدِيهِمْ وَبِأَيْمَانِهِم بُشْرَاكُمُ الْيَوْمَ جَنَّاتٌ تَجْرِي مِن تَحْتِهَا الْأَنْهَارُ خَالِدِينَ فِيهَا ۚ ذَٰلِكَ هُوَ الْفَوْزُ الْعَظِيمُ
जिस दिन तुम मोमिन पुरुषों और मोमिन स्त्रियों को देखोगे कि उनका प्रकाश उनके आगे-आगे दौड़ रहा है और उनके दाएँ हाथ में है। (कहा जाएगा,) "आज शुभ सूचना है तुम्हारे लिए ऐसी जन्नतों की जिनके नीचे नहरें बह रही हैं, जिनमें सदैव रहना है। वही बड़ी सफलता है।"
57:13  يَوْمَ يَقُولُ الْمُنَافِقُونَ وَالْمُنَافِقَاتُ لِلَّذِينَ آمَنُوا انظُرُونَا نَقْتَبِسْ مِن نُّورِكُمْ قِيلَ ارْجِعُوا وَرَاءَكُمْ فَالْتَمِسُوا نُورًا فَضُرِبَ بَيْنَهُم بِسُورٍ لَّهُ بَابٌ بَاطِنُهُ فِيهِ الرَّحْمَةُ وَظَاهِرُهُ مِن قِبَلِهِ الْعَذَابُ
जिस दिन कपटाचारी पुरुष और कपटाचारी स्त्रियाँ मोमिनों से कहेंगी, "तनिक हमारी प्रतीक्षा करो। हम भी तुम्हारे प्रकाश में से कुछ प्रकाश ले लें!" कहा जाएगा, "अपने पीछे लौट जाओ। फिर प्रकाश तलाश करो!" इतने में उनके बीच एक दीवार खड़ी कर दी जाएगी, जिसमें एक द्वार होगा। उसके भीतर का हाल यह होगा कि उसमें दयालुता होगी और उसके बाहर का यह कि उस ओर से यातना होगी(13)
57:14  يُنَادُونَهُمْ أَلَمْ نَكُن مَّعَكُمْ ۖ قَالُوا بَلَىٰ وَلَٰكِنَّكُمْ فَتَنتُمْ أَنفُسَكُمْ وَتَرَبَّصْتُمْ وَارْتَبْتُمْ وَغَرَّتْكُمُ الْأَمَانِيُّ حَتَّىٰ جَاءَ أَمْرُ اللَّهِ وَغَرَّكُم بِاللَّهِ الْغَرُورُ
वे उन्हें पुकारकर कहेंगे, "क्या हम तुम्हारे साथी नहीं थे?" वे कहेंगे, "क्यों नहीं? किन्तु तुमने तो अपने आपको फ़ितने (गुमराही) में डाला और प्रतीक्षा करते रहे और सन्देह में पड़े रहे और कामनाओं ने तुम्हें धोखे में डाले रखा यहाँ तक कि अल्लाह का फ़ैसला आ गया ओर धोखेबाज़ (शैतान) ने तुम्हें अल्लाह के बारे में धोखे में डाले रखा है।
57:15  فَالْيَوْمَ لَا يُؤْخَذُ مِنكُمْ فِدْيَةٌ وَلَا مِنَ الَّذِينَ كَفَرُوا ۚ مَأْوَاكُمُ النَّارُ ۖ هِيَ مَوْلَاكُمْ ۖ وَبِئْسَ الْمَصِيرُ
"अब आज न तुमसे कोई फ़िदया (मुक्ति-प्रतिदान) लिया जाएगा और न उन लोगों से जिन्होंने इनकार किया। तुम्हारा ठिकाना आग है, और वही तुम्हारी संरक्षिका है। और बहुत ही बुरी जगह है अन्त में पहुँचने की!"
57:16  أَلَمْ يَأْنِ لِلَّذِينَ آمَنُوا أَن تَخْشَعَ قُلُوبُهُمْ لِذِكْرِ اللَّهِ وَمَا نَزَلَ مِنَ الْحَقِّ وَلَا يَكُونُوا كَالَّذِينَ أُوتُوا الْكِتَابَ مِن قَبْلُ فَطَالَ عَلَيْهِمُ الْأَمَدُ فَقَسَتْ قُلُوبُهُمْ ۖ وَكَثِيرٌ مِّنْهُمْ فَاسِقُونَ
क्या उन लोगों के लिए, जो ईमान लाए, अभी वह समय नहीं आया कि उनके दिल अल्लाह की याद के लिए और जो सत्य अवतरित हुआ है उसके आगे झुक जाएँ? और वे उन लोगों की तरह न हो जाएँ, जिन्हें किताब दी गई थी, फिर उनपर दीर्घ समय बीत गया। अन्ततः उनके दिल कठोर हो गए और उनमें से अधिकांश अवज्ञाकारी ही रहे।
57:17  اعْلَمُوا أَنَّ اللَّهَ يُحْيِي الْأَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَا ۚ قَدْ بَيَّنَّا لَكُمُ الْآيَاتِ لَعَلَّكُمْ تَعْقِلُونَ
जान लो, अल्लाह धरती को उसकी मृत्यु के पश्चात जीवन प्रदान करता है। हमने तुम्हारे लिए आयतें खोल-खोलकर बयान कर दी हैं, ताकि तुम बुद्धि से काम लो।
57:18  إِنَّ الْمُصَّدِّقِينَ وَالْمُصَّدِّقَاتِ وَأَقْرَضُوا اللَّهَ قَرْضًا حَسَنًا يُضَاعَفُ لَهُمْ وَلَهُمْ أَجْرٌ كَرِيمٌ
निश्चय ही जो सदक़ा देनेवाले पुरुष और सदक़ा देनेवाली स्त्रियाँ हैं और उन्होंने अल्लाह को अच्छा ऋण दिया, उसे उनके लिए कई गुना कर दिया जाएगा। और उनके लिए सम्मानित प्रतिदान है।
57:19  وَالَّذِينَ آمَنُوا بِاللَّهِ وَرُسُلِهِ أُولَٰئِكَ هُمُ الصِّدِّيقُونَ ۖ وَالشُّهَدَاءُ عِندَ رَبِّهِمْ لَهُمْ أَجْرُهُمْ وَنُورُهُمْ ۖ وَالَّذِينَ كَفَرُوا وَكَذَّبُوا بِآيَاتِنَا أُولَٰئِكَ أَصْحَابُ الْجَحِيمِ
जो लोग अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाए, वही अपने रब के यहाँ सिद्दीक़ और शहीद हैं। उनके लिए उनका प्रतिदान और उनका प्रकाश है। किन्तु जिन लोगों ने इनकार किया और हमारी आयतों को झुठलाया, वही भड़कती आगवाले हैं।
57:20  اعْلَمُوا أَنَّمَا الْحَيَاةُ الدُّنْيَا لَعِبٌ وَلَهْوٌ وَزِينَةٌ وَتَفَاخُرٌ بَيْنَكُمْ وَتَكَاثُرٌ فِي الْأَمْوَالِ وَالْأَوْلَادِ ۖ كَمَثَلِ غَيْثٍ أَعْجَبَ الْكُفَّارَ نَبَاتُهُ ثُمَّ يَهِيجُ فَتَرَاهُ مُصْفَرًّا ثُمَّ يَكُونُ حُطَامًا ۖ وَفِي الْآخِرَةِ عَذَابٌ شَدِيدٌ وَمَغْفِرَةٌ مِّنَ اللَّهِ وَرِضْوَانٌ ۚ وَمَا الْحَيَاةُ الدُّنْيَا إِلَّا مَتَاعُ الْغُرُورِ
जान लो, सांसारिक जीवन तो बस एक खेल और तमाशा है और एक साज-सज्जा, और तुम्हारा आपस में एक-दूसरे पर बड़ाई जताना, और धन और सन्तान में परस्पर एक-दूसरे से बढ़ा हुआ प्रदर्शित करना। वर्षा की मिसाल की तरह जिसकी वनस्पति ने किसान का दिल मोह लिया। फिर वह पक जाती है; फिर तुम उसे देखते हो कि वह पीली हो गई। फिर वह चूर्ण-विचूर्ण होकर रह जाती है, जबकि आख़िरत में कठोर यातना भी है और अल्लाह की क्षमा और प्रसन्नता भी। सांसारिक जीवन तो केवल धोखे की सुख-सामग्री है।
57:21  سَابِقُوا إِلَىٰ مَغْفِرَةٍ مِّن رَّبِّكُمْ وَجَنَّةٍ عَرْضُهَا كَعَرْضِ السَّمَاءِ وَالْأَرْضِ أُعِدَّتْ لِلَّذِينَ آمَنُوا بِاللَّهِ وَرُسُلِهِ ۚ ذَٰلِكَ فَضْلُ اللَّهِ يُؤْتِيهِ مَن يَشَاءُ ۚ وَاللَّهُ ذُو الْفَضْلِ الْعَظِيمِ
अपने रब की क्षमा और उस जन्नत की ओर अग्रसर होने में एक-दूसरे से बाज़ी ले जाओ, जिसका विस्तार आकाश और धरती के विस्तार जैसा है, जो उन लोगों के लिए तैयार की गई है जो अल्लाह और उसके रसूलों पर ईमान लाए हों। यह अल्लाह का उदार अनुग्रह है, जिसे चाहता है प्रदान करता है। अल्लाह बड़े उदार अनुग्रह का मालिक है।
57:22  مَا أَصَابَ مِن مُّصِيبَةٍ فِي الْأَرْضِ وَلَا فِي أَنفُسِكُمْ إِلَّا فِي كِتَابٍ مِّن قَبْلِ أَن نَّبْرَأَهَا ۚ إِنَّ ذَٰلِكَ عَلَى اللَّهِ يَسِيرٌ
जो मुसीबत भी धरती में आती है और तुम्हारे अपने ऊपर, वह अनिवार्यतः एक किताब में अंकित है, इससे पहले कि हम उसे अस्तित्व में लाएँ - निश्चय ही यह अल्लाह के लिए आसान है
57:23  لِّكَيْلَا تَأْسَوْا عَلَىٰ مَا فَاتَكُمْ وَلَا تَفْرَحُوا بِمَا آتَاكُمْ ۗ وَاللَّهُ لَا يُحِبُّ كُلَّ مُخْتَالٍ فَخُورٍ
(यह बात तुम्हें इसलिए बता दी गई) ताकि तुम उस चीज़ का अफ़सोस न करो जो तुम से जाती रहे और न उसपर फूल जाओ जो उसने तुम्हें प्रदान की हो। अल्लाह किसी इतरानेवाले, बड़ाई जतानेवाले को पसन्द नहीं करता।
57:24  الَّذِينَ يَبْخَلُونَ وَيَأْمُرُونَ النَّاسَ بِالْبُخْلِ ۗ وَمَن يَتَوَلَّ فَإِنَّ اللَّهَ هُوَ الْغَنِيُّ الْحَمِيدُ
जो स्वयं कंजूसी करते हैं और लोगों को भी कंजूसी करने पर उकसाते हैं, और जो कोई मुँह मोड़े तो अल्लाह तो निस्पृह प्रशंसनीय है।
57:25  لَقَدْ أَرْسَلْنَا رُسُلَنَا بِالْبَيِّنَاتِ وَأَنزَلْنَا مَعَهُمُ الْكِتَابَ وَالْمِيزَانَ لِيَقُومَ النَّاسُ بِالْقِسْطِ ۖ وَأَنزَلْنَا الْحَدِيدَ فِيهِ بَأْسٌ شَدِيدٌ وَمَنَافِعُ لِلنَّاسِ وَلِيَعْلَمَ اللَّهُ مَن يَنصُرُهُ وَرُسُلَهُ بِالْغَيْبِ ۚ إِنَّ اللَّهَ قَوِيٌّ عَزِيزٌ
निश्चय ही हमने अपने रसूलों को स्पष्ट प्रमाणों के साथ भेजा और उनके साथ किताब और तुला उतारी, ताकि लोग इनसाफ़ पर क़ायम हों। और लोहा भी उतारा, जिसमें बड़ी दहशत है और लोगों के लिए कितने ही लाभ हैं., और (किताब एवं तुला इसलिए भी उतारी) ताकि अल्लाह जान ले कि कौन परोक्ष में रहते हुए उसकी और उसके रसूलों की सहायता करता है। निश्चय ही अल्लाह शक्तिशाली, प्रभुत्वशाली है।
57:26  وَلَقَدْ أَرْسَلْنَا نُوحًا وَإِبْرَاهِيمَ وَجَعَلْنَا فِي ذُرِّيَّتِهِمَا النُّبُوَّةَ وَالْكِتَابَ ۖ فَمِنْهُم مُّهْتَدٍ ۖ وَكَثِيرٌ مِّنْهُمْ فَاسِقُونَ
हमने नूह और इबराहीम को भेजा और उन दोनों की सन्तान में पैग़म्बरी और क़िताब रख दी। फिर उनमें से किसी ने तो संमार्ग अपनाया; किन्तु उनमें से अधिकतर अवज्ञाकारी हैं।
57:27  ثُمَّ قَفَّيْنَا عَلَىٰ آثَارِهِم بِرُسُلِنَا وَقَفَّيْنَا بِعِيسَى ابْنِ مَرْيَمَ وَآتَيْنَاهُ الْإِنجِيلَ وَجَعَلْنَا فِي قُلُوبِ الَّذِينَ اتَّبَعُوهُ رَأْفَةً وَرَحْمَةً وَرَهْبَانِيَّةً ابْتَدَعُوهَا مَا كَتَبْنَاهَا عَلَيْهِمْ إِلَّا ابْتِغَاءَ رِضْوَانِ اللَّهِ فَمَا رَعَوْهَا حَقَّ رِعَايَتِهَا ۖ فَآتَيْنَا الَّذِينَ آمَنُوا مِنْهُمْ أَجْرَهُمْ ۖ وَكَثِيرٌ مِّنْهُمْ فَاسِقُونَ
फिर उनके पीछ उन्हीं के पद-चिन्हों पर हमने अपने दूसरे रसूलों को भेजा और हमने उनके पीछे मरयम के बेटे ईसा को भेजा और उसे इंजील प्रदान की। और जिन लोगों ने उसका अनुसरण किया, उनके दिलों में हमने करुणा और दया रख दी। रहा संन्यास, तो उसे उन्होंने स्वयं घड़ा था। हमने उसे उनके लिए अनिवार्य नहीं किया था, यदि अनिवार्य किया था तो केवल अल्लाह की प्रसन्नता की चाहत। फिर वे उसका निर्वाह न कर सके, जैसा कि उनका निर्वाह करना चाहिए था। अतः उन लोगों को, जो उनमें से वास्तव में ईमान लाए थे, उनका बदला हमने (उन्हें) प्रदान किया। किन्तु उनमें से अधिकतर अवज्ञाकारी ही हैं।
57:28  يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا اتَّقُوا اللَّهَ وَآمِنُوا بِرَسُولِهِ يُؤْتِكُمْ كِفْلَيْنِ مِن رَّحْمَتِهِ وَيَجْعَل لَّكُمْ نُورًا تَمْشُونَ بِهِ وَيَغْفِرْ لَكُمْ ۚ وَاللَّهُ غَفُورٌ رَّحِيمٌ
ऐ लोगो, जो ईमान लाए हो! अल्लाह का डर रखो और उसके रसूल पर ईमान लाओ। वह तुम्हें अपनी दयालुता का दोहरा हिस्सा प्रदान करेगा और तुम्हारे लिए एक प्रकाश कर देगा, जिसमें तुम चलोगे और तुम्हें क्षमा कर देगा। अल्लाह बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है।
57:29  لِّئَلَّا يَعْلَمَ أَهْلُ الْكِتَابِ أَلَّا يَقْدِرُونَ عَلَىٰ شَيْءٍ مِّن فَضْلِ اللَّهِ ۙ وَأَنَّ الْفَضْلَ بِيَدِ اللَّهِ يُؤْتِيهِ مَن يَشَاءُ ۚ وَاللَّهُ ذُو الْفَضْلِ الْعَظِيمِ
ताकि किताबवाले यह न समझें कि अल्लाह के अनुग्रह में से वे किसी चीज़ पर अधिकार न प्राप्त कर सकेंगे और यह कि अनुग्रह अल्लाह के हाथ में है, जिसे चाहता है प्रदान करता है। अल्लाह बड़े अनुग्रह का मालिक है।