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1.सूरह अल फातिहा
2.सूरह अल बखरा
3.सूरह आले इमरान
4.सूरह अन निसा
5.सूरह अल माइदा
6.सूरह अल अनआम
7.सूरह अल आराफ
8.सूरह अल अनफाल
9.सूरह अत तौबा
10.सूरह यूनुस
11.सूरह हूद
12.सूरह यूसुफ
13.सूरह अर राद
14.सूरह इब्राहीम
15.सूरह अल हिज्र
16.सूरह अन नहल
17.सूरह बनी इस्राईल
18.सूरह अल कहफ़
19.सूरह मरयम
20.सूरह ताहा
21.सूरह अल अंबिया
22.सूरह अल हज
23.सूरह अल मोमिनून
24.सूरह अन नूर
25.सूरह अल फुरखान
26.सूरह अश शुअरा
27.सूरह अन नम्ल
28.सूरह अल खसस
29.सूरह अल अनकबूत
30.सूरह अर रूम
31.सूरह लुखमान
32.सूरह अस सज्दह
33.सूरह अल अहज़ाब
34.सूरह सबा
35.सूरह फातिर
36.सूरह यासीन
37.सूरह अस साफ्फात
38.सूरह साद
39.सूरह अज़ ज़ुमर
40.सूरह अल मोमिन
41.सूरह हा मीम अस सज्दह
42.सूरह अश शूरा
43.सूरह अज़ ज़ुखरुफ
44.सूरह अद दुखान
45.सूरह अल जासियह
46.सूरह अल अहखाफ
47.सूरह मुहम्मद
48.सूरह अल फतह
49.सूरह अल हुजुरात
50.सूरह खाफ
51.सूरहअज़ ज़ारियात
52.सूरह अत तूर
53.सूरह अन नज्म
54.सूरह अल खमर
55.सूरह अर रहमान
56.सूरह अल वाखियह
57.सूरह अल हदीद
58.सूरह अल मुजादलह
59.सूरह अल हश्र
60.सूरह अल मुमतहिनह
61.सूरह अस सफ
62.सूरह अल जुमुअह
63.सूरह अल मुनाफिखून
64.सूरह अत तागाबुन
65.सूरह अत तलाख
66.सूरह अत तह्रीम
67.सूरह अल मुल्क
68.सूरह अल खलम
69.सूरह अल हाख्खह
70.सूरह अल मआरिज
71.सूरह नूह
72.सूरह अल जिन्न
73.सूरह अल मुज्ज़म्मिल
74.सूरह अल मुद्दस्सिर
75.सूरह अल खियामह
76.सूरह अद दह्र
77.सूरह अल मूर्सलात
78.सूरह अन नबा
79.सूरह अन नाज़िआत
80.सूरह अबस
81.सूरह अत तक्वीर
82.सूरह अल इन्फितार
83.सूरह अल मुतफ्फिफीन
84.सूरह अल इन्शिखाक
85.सूरह अल बुरूज
86.सूरह अत तारीख
87.सूरह अल आला
88.सूरह अल गाशियह
89.सूरह अल फज्र
90.सूरह अल बलद
91.सूरह अश शम्स
92.सूरह अल लैल
93.सूरह अज़ ज़ुहा
94.सूरह अलम नश्रह
95.सूरह अत तीन
96.सूरह अल अलख
97.सूरह अल खद्र
98.सूरह अल बय्यिनह
99.सूरह अज़ ज़िल ज़ाल
100.सूरह अल आदियात
101.सूरह अल खारिअह
102.सूरह अत तकासुर
103.सूरह अल अस्र
104.सूरह अल हुमजह
105.सूरह अल फील
106.सूरह खुरैश
107.सूरह अल माऊन
108.सूरह अल कौसर
109.सूरह अल काफिरून
110.सूरह अन नस्र
111.सूरह अल लहब
112.सूरह अल इख्लास
113.सूरह अल फलख
114.सूरह अन नास

26.सूरह अश शुअरा

26:1  طسم
ता॰ सीन॰ मीम॰
26:2  تِلْكَ آيَاتُ الْكِتَابِ الْمُبِينِ
ये स्पष्ट किताब की आयतें हैं।
26:3  لَعَلَّكَ بَاخِعٌ نَّفْسَكَ أَلَّا يَكُونُوا مُؤْمِنِينَ
शायद इसपर कि वे ईमान नहीं लाते, तुम अपने प्राण ही खो बैठोगे।
26:4  إِن نَّشَأْ نُنَزِّلْ عَلَيْهِم مِّنَ السَّمَاءِ آيَةً فَظَلَّتْ أَعْنَاقُهُمْ لَهَا خَاضِعِينَ
यदि हम चाहें तो उनपर आकाश से एक निशानी उतार दें। फिर उनकी गर्दनें उसके आगे झुकी रह जाएँ।
26:5  وَمَا يَأْتِيهِم مِّن ذِكْرٍ مِّنَ الرَّحْمَٰنِ مُحْدَثٍ إِلَّا كَانُوا عَنْهُ مُعْرِضِينَ
उनके पास रहमान की ओर से जो नवीन अनुस्मृति भी आती है, वे उससे मुँह फेर ही लेते हैं।
26:6  فَقَدْ كَذَّبُوا فَسَيَأْتِيهِمْ أَنبَاءُ مَا كَانُوا بِهِ يَسْتَهْزِئُونَ
अब जबकि वे झुठला चुके हैं, तो शीघ्र ही उन्हें उसकी हक़ीकत मालूम हो जाएगी, जिसका वे मज़ाक़ उड़ाते रहे हैं।
26:7  أَوَلَمْ يَرَوْا إِلَى الْأَرْضِ كَمْ أَنبَتْنَا فِيهَا مِن كُلِّ زَوْجٍ كَرِيمٍ
क्या उन्होंने धरती को नहीं देखा कि हमने उसमें कितने ही प्रकार की उमदा चीज़ें पैदा की हैं?
26:8  إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ
निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है, इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं।
26:9  وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ
और निश्चय ही तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है।
26:10  وَإِذْ نَادَىٰ رَبُّكَ مُوسَىٰ أَنِ ائْتِ الْقَوْمَ الظَّالِمِينَ
और जबकि तुम्हारे रब ने मूसा को पुकारा कि "ज़ालिम लोगों के पास जा
26:11  قَوْمَ فِرْعَوْنَ ۚ أَلَا يَتَّقُونَ
फ़िरऔन की क़ौम के पास - क्या वे डर नहीं रखते?"
26:12  قَالَ رَبِّ إِنِّي أَخَافُ أَن يُكَذِّبُونِ
उसने कहा, "ऐ मेरे रब! मुझे डर है कि वे मुझे झुठला देंगे,
26:13  وَيَضِيقُ صَدْرِي وَلَا يَنطَلِقُ لِسَانِي فَأَرْسِلْ إِلَىٰ هَارُونَ
और मेरा सीना घुटता है और मेरी ज़बान नहीं चलती। इसलिए हारून की ओर भी संदेश भेज दे।
26:14  وَلَهُمْ عَلَيَّ ذَنبٌ فَأَخَافُ أَن يَقْتُلُونِ
और मुझपर उनके यहाँ के एक गुनाह का बोझ भी है। इसलिए मैं डरता हूँ कि वे मुझे मार डालेंगे।"
26:15  قَالَ كَلَّا ۖ فَاذْهَبَا بِآيَاتِنَا ۖ إِنَّا مَعَكُم مُّسْتَمِعُونَ
कहा, "कदापि नहीं, तुम दोनों हमारी निशानियाँ लेकर जाओ। हम तुम्हारे साथ हैं, सुनने को मौजूद हैं।
26:16  فَأْتِيَا فِرْعَوْنَ فَقُولَا إِنَّا رَسُولُ رَبِّ الْعَالَمِينَ
अतः तुम दोनो फ़िरऔन को पास जाओ और कहो कि ‘हम सारे संसार के रब के भेजे हुए हैं।
26:17  أَنْ أَرْسِلْ مَعَنَا بَنِي إِسْرَائِيلَ
कि तू इसराईल की सन्तान को हमारे साथ जाने दे’।"
26:18  قَالَ أَلَمْ نُرَبِّكَ فِينَا وَلِيدًا وَلَبِثْتَ فِينَا مِنْ عُمُرِكَ سِنِينَ
(फ़िरऔन ने) कहा, "क्या हमने तुझे जबकि तू बच्चा था, अपने यहाँ पाला नहीं था? और तू अपनी अवस्था के कई वर्षों तक हमारे साथ रहा,
26:19  وَفَعَلْتَ فَعْلَتَكَ الَّتِي فَعَلْتَ وَأَنتَ مِنَ الْكَافِرِينَ
और तूने अपना वह काम किया, जो किया। तू बड़ा ही कृतघ्न है।"
26:20  قَالَ فَعَلْتُهَا إِذًا وَأَنَا مِنَ الضَّالِّينَ
कहा, “ऐसा तो मुझसे उस समय हुआ जबकि मैं चूक गया था।
26:21  فَفَرَرْتُ مِنكُمْ لَمَّا خِفْتُكُمْ فَوَهَبَ لِي رَبِّي حُكْمًا وَجَعَلَنِي مِنَ الْمُرْسَلِينَ
फिर जब मुझे तुम्हारा भय हुआ तो मैं तुम्हारे यहाँ से भाग गया। फिर मेरे रब ने मुझे निर्णय-शक्ति प्रदान की और मुझे रसूलों में सम्मिलित किया।
26:22  وَتِلْكَ نِعْمَةٌ تَمُنُّهَا عَلَيَّ أَنْ عَبَّدتَّ بَنِي إِسْرَائِيلَ
यही वह उदार अनुग्रह है जिसका एहसान तू मुझपर जताता है कि तूने इसराईल की सन्तान को ग़ुलाम बना रखा है।"
26:23  قَالَ فِرْعَوْنُ وَمَا رَبُّ الْعَالَمِينَ
फ़िरऔन ने कहा, "और यह सारे संसार का रब क्या होता है?"
26:24  قَالَ رَبُّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا ۖ إِن كُنتُم مُّوقِنِينَ
उसने कहा, "आकाशों और धरती का रब और जो कुछ इन दोनों के मध्य है उसका भी, यदि तुम्हें यक़ीन हो।
26:25  قَالَ لِمَنْ حَوْلَهُ أَلَا تَسْتَمِعُونَ
उसने अपने आस-पासवालों से कहा, "क्या तुम सुनते नहीं हो?"
26:26  قَالَ رَبُّكُمْ وَرَبُّ آبَائِكُمُ الْأَوَّلِينَ
कहा, "तुम्हारा रब और तुम्हारे अगले बाप-दादा का रब।"
26:27  قَالَ إِنَّ رَسُولَكُمُ الَّذِي أُرْسِلَ إِلَيْكُمْ لَمَجْنُونٌ
बोला, "निश्चय ही तुम्हारा यह रसूल, जो तुम्हारी ओर भेजा गया है, बिलकुल ही पागल है।"
26:28  قَالَ رَبُّ الْمَشْرِقِ وَالْمَغْرِبِ وَمَا بَيْنَهُمَا ۖ إِن كُنتُمْ تَعْقِلُونَ
उसने कहा, "पूर्व और पश्चिम का रब और जो कुछ उनके बीच है उसका भी, यदि तुम कुछ बुद्धि रखते हो।"
26:29  قَالَ لَئِنِ اتَّخَذْتَ إِلَٰهًا غَيْرِي لَأَجْعَلَنَّكَ مِنَ الْمَسْجُونِينَ
बोला, "यदि तूने मेरे सिवा किसी और को पूज्य एवं प्रभु बनाया, तो मैं तुझे बन्दी बनाकर रहूँगा।"
26:30  قَالَ أَوَلَوْ جِئْتُكَ بِشَيْءٍ مُّبِينٍ
उसने कहा, "क्या यदि मैं तेरे पास एक स्पष्ट चीज़ ले आऊँ तब भी?"
26:31  قَالَ فَأْتِ بِهِ إِن كُنتَ مِنَ الصَّادِقِينَ
बोलाः “अच्छा वह ले आ; यदि तू सच्चा है” ।
26:32  فَأَلْقَىٰ عَصَاهُ فَإِذَا هِيَ ثُعْبَانٌ مُّبِينٌ
फिर उसने अपनी लाठी डाल दी, तो अचानक क्या देखते हैं कि वह एक प्रत्यक्ष अजगर है।
26:33  وَنَزَعَ يَدَهُ فَإِذَا هِيَ بَيْضَاءُ لِلنَّاظِرِينَ
और उसने अपना हाथ बाहर खींचा तो फिर क्या देखते हैं कि वह देखनेवालों के सामने चमक रहा है।
26:34  قَالَ لِلْمَلَإِ حَوْلَهُ إِنَّ هَٰذَا لَسَاحِرٌ عَلِيمٌ
उसने अपने आस-पास के सरदारों से कहा, "निश्चय ही यह एक बड़ा ही प्रवीण जादूगर है।
26:35  يُرِيدُ أَن يُخْرِجَكُم مِّنْ أَرْضِكُم بِسِحْرِهِ فَمَاذَا تَأْمُرُونَ
चाहता है कि अपने जादू से तुम्हें तुम्हारी अपनी भूमि से निकाल बाहर करे; तो अब तुम क्या कहते हो?"(
26:36  قَالُوا أَرْجِهْ وَأَخَاهُ وَابْعَثْ فِي الْمَدَائِنِ حَاشِرِينَ
उन्होंने कहा, "इसे और इसके भाई को अभी टाले रखिए और एकत्र करनेवालों को नगरों में भेज दीजिए।
26:37  يَأْتُوكَ بِكُلِّ سَحَّارٍ عَلِيمٍ
कि वे प्रत्येक प्रवीण जादूगर को आपके पास ले आएँ।"
26:38  فَجُمِعَ السَّحَرَةُ لِمِيقَاتِ يَوْمٍ مَّعْلُومٍ
अतएव एक निश्चित दिन के नियत समय पर जादूगर एकत्र कर लिए गए।
26:39  وَقِيلَ لِلنَّاسِ هَلْ أَنتُم مُّجْتَمِعُونَ
और लोगों से कहा गया, "क्या तुम भी एकत्र होते हो?"
26:40  لَعَلَّنَا نَتَّبِعُ السَّحَرَةَ إِن كَانُوا هُمُ الْغَالِبِينَ
कदाचित हम जादूगरों ही के अनुयायी रह जाएँ, यदि वे विजयी हुए।
26:41  فَلَمَّا جَاءَ السَّحَرَةُ قَالُوا لِفِرْعَوْنَ أَئِنَّ لَنَا لَأَجْرًا إِن كُنَّا نَحْنُ الْغَالِبِينَ
फिर जब जादूगर आए तो उन्होंने फ़िरऔन से कहा, "क्या हमारे लिए कोई प्रतिदान भी है, यदि हम प्रभावी रहे?"
26:42  قَالَ نَعَمْ وَإِنَّكُمْ إِذًا لَّمِنَ الْمُقَرَّبِينَ
उसने कहा, "हाँ, और निश्चित ही तुम तो उस समय निकटतम लोगों में से हो जाओगे।"
26:43  قَالَ لَهُم مُّوسَىٰ أَلْقُوا مَا أَنتُم مُّلْقُونَ
मूसा ने उनसे कहा, "डालो, जो कुछ तुम्हें डालना है।"
26:44  فَأَلْقَوْا حِبَالَهُمْ وَعِصِيَّهُمْ وَقَالُوا بِعِزَّةِ فِرْعَوْنَ إِنَّا لَنَحْنُ الْغَالِبُونَ
तब उन्होंने अपनी रस्सियाँ और लाठियाँ डाल दीं और बोले, "फ़िरऔन के प्रताप से हम ही विजयी रहेंगे।
26:45  فَأَلْقَىٰ مُوسَىٰ عَصَاهُ فَإِذَا هِيَ تَلْقَفُ مَا يَأْفِكُونَ
फिर मूसा ने अपनी लाठी फेंकी तो क्या देखते हैं कि वह उस स्वाँग को, जो वे रचा करते हैं, निगलती जा रही है।
26:46  فَأُلْقِيَ السَّحَرَةُ سَاجِدِينَ
इसपर जादूगर सजदे में गिर पड़े।
26:47  قَالُوا آمَنَّا بِرَبِّ الْعَالَمِينَ
वे बोल उठे, "हम सारे संसार के रब पर ईमान ले आए -
26:48  رَبِّ مُوسَىٰ وَهَارُونَ
मूसा और हारून के रब पर!"
26:49  قَالَ آمَنتُمْ لَهُ قَبْلَ أَنْ آذَنَ لَكُمْ ۖ إِنَّهُ لَكَبِيرُكُمُ الَّذِي عَلَّمَكُمُ السِّحْرَ فَلَسَوْفَ تَعْلَمُونَ ۚ لَأُقَطِّعَنَّ أَيْدِيَكُمْ وَأَرْجُلَكُم مِّنْ خِلَافٍ وَلَأُصَلِّبَنَّكُمْ أَجْمَعِينَ
उसने कहा, "तुमने उसको मान लिया, इससे पहले कि मैं तुम्हें अनुमति देता। निश्चय ही वह तुम सबका प्रमुख है, जिसने तुमको जादू सिखाया है। अच्छा, शीघ्र ही तुम्हें मालूम हुआ जाता है! मैं तुम्हारे हाथ और पाँव विपरीत दिशाओं से कटवा दूँगा और तुम सभी को सूली पर चढ़ा दूँगा।"
26:50  قَالُوا لَا ضَيْرَ ۖ إِنَّا إِلَىٰ رَبِّنَا مُنقَلِبُونَ
उन्होंने कहा, "कुछ हरज नहीं; हम तो अपने रब ही की ओर पलटकर जानेवाले हैं।
26:51  إِنَّا نَطْمَعُ أَن يَغْفِرَ لَنَا رَبُّنَا خَطَايَانَا أَن كُنَّا أَوَّلَ الْمُؤْمِنِينَ
हमें तो इसी की लालसा है कि हमारा रब हमारी ख़ताओं को क्षमा कर दे, क्योंकि हम सबसे पहले ईमान लाए।
26:52  وَأَوْحَيْنَا إِلَىٰ مُوسَىٰ أَنْ أَسْرِ بِعِبَادِي إِنَّكُم مُّتَّبَعُونَ
हमने मूसा की ओर प्रकाशना की, "मेरे बन्दों को लेकर रातों-रात निकल जा। निश्चय ही तुम्हारा पीछा किया जाएगा।"
26:53  فَأَرْسَلَ فِرْعَوْنُ فِي الْمَدَائِنِ حَاشِرِينَ
इसपर फ़िरऔन ने एकत्र करनेवालों को नगर में भेजा।
26:54  إِنَّ هَٰؤُلَاءِ لَشِرْذِمَةٌ قَلِيلُونَ
कि "यह गिरे-पड़े थोड़े लोगों का एक गिरोह है,
26:55  وَإِنَّهُمْ لَنَا لَغَائِظُونَ
और ये हमें क्रुद्ध कर रहे हैं।
26:56  وَإِنَّا لَجَمِيعٌ حَاذِرُونَ
और हम चौकन्ना रहनेवाले लोग हैं।"
26:57  فَأَخْرَجْنَاهُم مِّن جَنَّاتٍ وَعُيُونٍ
इस प्रकार हम उन्हें बाग़ों और स्रोतों
26:58  وَكُنُوزٍ وَمَقَامٍ كَرِيمٍ
और ख़जानों और अच्छे स्थान से निकाल लाए।
26:59  كَذَٰلِكَ وَأَوْرَثْنَاهَا بَنِي إِسْرَائِيلَ
ऐसा ही हम करते हैं और इनका वारिस हमने इसराईल की सन्तान को बना दिया।
26:60  فَأَتْبَعُوهُم مُّشْرِقِينَ
सुबह-तड़के उन्होंने उनका पीछा किया।
26:61  فَلَمَّا تَرَاءَى الْجَمْعَانِ قَالَ أَصْحَابُ مُوسَىٰ إِنَّا لَمُدْرَكُونَ
फिर जब दोनों गिरोहों ने एक-दूसरे को देख लिया तो मूसा के साथियों ने कहा, "हम तो पकड़े गए!"
26:62  قَالَ كَلَّا ۖ إِنَّ مَعِيَ رَبِّي سَيَهْدِينِ
उसने कहा, "कदापि नहीं, मेरे साथ मेरा रब है। वह अवश्य मेरा मार्गदर्शन करेगा।"
26:63  فَأَوْحَيْنَا إِلَىٰ مُوسَىٰ أَنِ اضْرِب بِّعَصَاكَ الْبَحْرَ ۖ فَانفَلَقَ فَكَانَ كُلُّ فِرْقٍ كَالطَّوْدِ الْعَظِيمِ
तब हमने मूसा की ओर प्रकाशना की, "अपनी लाठी सागर पर मार।" तो वह फट गया और (उसका) प्रत्येक टुकड़ा एक बड़े पहाड़ की भाँति हो गया।
26:64  وَأَزْلَفْنَا ثَمَّ الْآخَرِينَ
और हम दूसरों को भी निकट ले आए।
26:65  وَأَنجَيْنَا مُوسَىٰ وَمَن مَّعَهُ أَجْمَعِينَ
हमने मूसा को और उन सबको जो उसके साथ थे, बचा लिया।
26:66  ثُمَّ أَغْرَقْنَا الْآخَرِينَ
और दूसरों को डूबो दिया।
26:67  إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ
निस्संदेह इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं।
26:68  وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ
और निश्चय ही तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है।
26:69  وَاتْلُ عَلَيْهِمْ نَبَأَ إِبْرَاهِيمَ
और उन्हें इबराहीम का वृत्तान्त सुनाओ,
26:70  إِذْ قَالَ لِأَبِيهِ وَقَوْمِهِ مَا تَعْبُدُونَ
जबकि उसने अपने बाप और अपनी क़ौम के लोगों से कहा, "तुम क्या पूजते हो?"
26:71  قَالُوا نَعْبُدُ أَصْنَامًا فَنَظَلُّ لَهَا عَاكِفِينَ
उन्होंने कहा, "हम बुतों की पूजा करते हैं, हम तो उन्हीं की सेवा में लगे रहेंगे।"
26:72  قَالَ هَلْ يَسْمَعُونَكُمْ إِذْ تَدْعُونَ
उसने कहा, "क्या ये तुम्हारी सुनते हैं, जब तुम पुकारते हो,
26:73  أَوْ يَنفَعُونَكُمْ أَوْ يَضُرُّونَ
या ये तुम्हें कुछ लाभ या हानि पहुँचाते हैं?"
26:74  قَالُوا بَلْ وَجَدْنَا آبَاءَنَا كَذَٰلِكَ يَفْعَلُونَ
उन्होंने कहा, "नहीं, बल्कि हमने तो अपने बाप-दादा को ऐसा ही करते पाया है।"
26:75  قَالَ أَفَرَأَيْتُم مَّا كُنتُمْ تَعْبُدُونَ
उसने कहा, "क्या तुमने उनपर विचार भी किया कि जिन्हें तुम पूजते हो,
26:76  أَنتُمْ وَآبَاؤُكُمُ الْأَقْدَمُونَ
तुम और तुम्हारे पहले के बाप-दादा?
26:77  فَإِنَّهُمْ عَدُوٌّ لِّي إِلَّا رَبَّ الْعَالَمِينَ
वे सब तो मेरे शत्रु हैं, सिवाय सारे संसार के रब के,
26:78  الَّذِي خَلَقَنِي فَهُوَ يَهْدِينِ
जिसने मुझे पैदा किया और फिर वही मेरा मार्गदर्शन करता है।
26:79  وَالَّذِي هُوَ يُطْعِمُنِي وَيَسْقِينِ
और वही है जो मुझे खिलाता और पिलाता है।
26:80  وَإِذَا مَرِضْتُ فَهُوَ يَشْفِينِ
और जब मैं बीमार होता हूँ, तो वही मुझे अच्छा करता है।
26:81  وَالَّذِي يُمِيتُنِي ثُمَّ يُحْيِينِ
और वही है जो मुझे मारेगा, फिर मुझे जीवित करेगा।
26:82  وَالَّذِي أَطْمَعُ أَن يَغْفِرَ لِي خَطِيئَتِي يَوْمَ الدِّينِ
और वही है जिससे मुझे इसकी आशा है कि बदला दिए जाने के दिन वह मेरी ख़ता माफ़ कर देगा।
26:83  رَبِّ هَبْ لِي حُكْمًا وَأَلْحِقْنِي بِالصَّالِحِينَ
ऐ मेरे रब! मुझे निर्णय-शक्ति प्रदान कर और मुझे योग्य लोगों के साथ मिला।
26:84  وَاجْعَل لِّي لِسَانَ صِدْقٍ فِي الْآخِرِينَ
और बाद के आनेवालों में मुझे सच्ची ख्याति प्रदान कर।
26:85  وَاجْعَلْنِي مِن وَرَثَةِ جَنَّةِ النَّعِيمِ
और मुझे नेमत भरी जन्नत के वारिसों में सम्मिलित कर।
26:86  وَاغْفِرْ لِأَبِي إِنَّهُ كَانَ مِنَ الضَّالِّينَ
और मेरे बाप को क्षमा कर दे। निश्चय ही वह पथभ्रष्ट लोगों में से है।
26:87  وَلَا تُخْزِنِي يَوْمَ يُبْعَثُونَ
और मुझे उस दिन रुसवा न कर, जब लोग जीवित करके उठाए जाएँगे।
26:88  يَوْمَ لَا يَنفَعُ مَالٌ وَلَا بَنُونَ
जिस दिन न माल काम आएगा और न औलाद,
26:89  إِلَّا مَنْ أَتَى اللَّهَ بِقَلْبٍ سَلِيمٍ
सिवाय इसके कि कोई भला-चंगा दिल लिए हुए अल्लाह के पास आया हो।"
26:90  وَأُزْلِفَتِ الْجَنَّةُ لِلْمُتَّقِينَ
और डर रखनेवालों के लिए जन्नत निकट लाई जाएगी।
26:91  وَبُرِّزَتِ الْجَحِيمُ لِلْغَاوِينَ
और भड़कती आग पथभ्रष्ट लोगों के लिए प्रकट कर दी जाएगी।
26:92  وَقِيلَ لَهُمْ أَيْنَ مَا كُنتُمْ تَعْبُدُونَ
और उनसे कहा जाएगा, "कहाँ हैं वे जिन्हें तुम अल्लाह को छोड़कर पूजते रहे हो?
26:93  مِن دُونِ اللَّهِ هَلْ يَنصُرُونَكُمْ أَوْ يَنتَصِرُونَ
क्या वे तुम्हारी कुछ सहायता कर रहे हैं या अपना ही बचाव कर सकते हैं?"
26:94  فَكُبْكِبُوا فِيهَا هُمْ وَالْغَاوُونَ
फिर वे उसमें औंधे झोक दिए जाएँगे, वे और बहके हुए लोग
26:95  وَجُنُودُ إِبْلِيسَ أَجْمَعُونَ
और इबलीस की सेनाएँ, सबके सब।
26:96  قَالُوا وَهُمْ فِيهَا يَخْتَصِمُونَ
वे वहाँ आपस में झगड़ते हुए कहेंगे,
26:97  تَاللَّهِ إِن كُنَّا لَفِي ضَلَالٍ مُّبِينٍ
"अल्लाह की क़सम! निश्चय ही हम खुली गुमराही में थे।
26:98  إِذْ نُسَوِّيكُم بِرَبِّ الْعَالَمِينَ
जबकि हम तुम्हें सारे संसार के रब के बराबर ठहरा रहे थे।
26:99  وَمَا أَضَلَّنَا إِلَّا الْمُجْرِمُونَ
और हमें तो बस उन अपराधियों ने ही पथभ्रष्ट किया।
26:100  فَمَا لَنَا مِن شَافِعِينَ
अब न हमारा कोई सिफ़ारिशी है,
26:101  وَلَا صَدِيقٍ حَمِيمٍ
और न घनिष्ट मित्र।
26:102  فَلَوْ أَنَّ لَنَا كَرَّةً فَنَكُونَ مِنَ الْمُؤْمِنِينَ
क्या ही अच्छा होता कि हमें एक बार फिर पलटना होता, तो हम मोमिनों में से हो जाते!"
26:103  إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ
निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं।
26:104  وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ
और निस्संदेह तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है।
26:105  كَذَّبَتْ قَوْمُ نُوحٍ الْمُرْسَلِينَ
नूह की क़ौम ने रसूलों को झुठलाया;
26:106  إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ نُوحٌ أَلَا تَتَّقُونَ
जबकि उनसे उनके भाई नूह ने कहा, "क्या तुम डर नहीं रखते?
26:107  إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ
निस्संदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ।
26:108  فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ
अतः अल्लाह का डर रखो और मेरा कहा मानो।
26:109  وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ الْعَالَمِينَ
मैं इस काम के बदले तुमसे कोई बदला नहीं माँगता। मेरा बदला तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है।
26:110  فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ
अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो।
26:111  قَالُوا أَنُؤْمِنُ لَكَ وَاتَّبَعَكَ الْأَرْذَلُونَ
उन्होंने कहा, "क्या हम तेरी बात मान लें, जबकि तेरे पीछे तो अत्यन्त नीच लोग चल रहे हैं?"
26:112  قَالَ وَمَا عِلْمِي بِمَا كَانُوا يَعْمَلُونَ
उसने कहा, "मुझे क्या मालूम कि वे क्या करते रहे हैं?
26:113  إِنْ حِسَابُهُمْ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّي ۖ لَوْ تَشْعُرُونَ
उनका हिसाब तो बस मेरे रब के ज़िम्मे है। क्या ही अच्छा होता कि तुममें चेतना होती।
26:114  وَمَا أَنَا بِطَارِدِ الْمُؤْمِنِينَ
और मैं ईमानवालों को धुत्कारनेवाला नहीं हूँ।
26:115  إِنْ أَنَا إِلَّا نَذِيرٌ مُّبِينٌ
मैं तो बस स्पष्ट रूप से एक सावधान करनेवाला हूँ।"
26:116  قَالُوا لَئِن لَّمْ تَنتَهِ يَا نُوحُ لَتَكُونَنَّ مِنَ الْمَرْجُومِينَ
उन्होंने कहा, "यदि तू बाज़ न आया ऐ नूह, तो तू संगसार होकर रहेगा।"
26:117  قَالَ رَبِّ إِنَّ قَوْمِي كَذَّبُونِ
उसने कहा, "ऐ मेरे रब! मेरी क़ौम के लोगों ने तो मुझे झुठला दिया।
26:118  فَافْتَحْ بَيْنِي وَبَيْنَهُمْ فَتْحًا وَنَجِّنِي وَمَن مَّعِيَ مِنَ الْمُؤْمِنِينَ
अब मेरे और उनके बीच दो टूक फ़ैसला कर दे और मुझे और जो ईमानवाले मेरे साथ हैं, उन्हें बचा ले!"
26:119  فَأَنجَيْنَاهُ وَمَن مَّعَهُ فِي الْفُلْكِ الْمَشْحُونِ
अतः हमने उसे और जो उसके साथ भरी हुई नौका में थे बचा लिया।
26:120  ثُمَّ أَغْرَقْنَا بَعْدُ الْبَاقِينَ
और उसके पश्चात शेष लोगों को डुबो दिया।
26:121  إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ
निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं।
26:122  وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ
और निस्संदेह तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है।
26:123  كَذَّبَتْ عَادٌ الْمُرْسَلِينَ
आद ने रसूलों को झूठलाया।
26:124  إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ هُودٌ أَلَا تَتَّقُونَ
जबकि उनके भाई हूद ने उनसे कहा, "क्या तुम डर नहीं रखते?
26:125  إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ
मैं तो तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ।
26:126  فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ
अतः तुम अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा मानो।
26:127  وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ الْعَالَمِينَ
मैं इस काम पर तुमसे कोई प्रतिदान नहीं माँगता। मेरा प्रतिदान तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है।
26:128  أَتَبْنُونَ بِكُلِّ رِيعٍ آيَةً تَعْبَثُونَ
क्या तुम प्रत्येक उच्च स्थान पर व्यर्थ एक स्मारक का निर्माण करते रहोगे?
26:129  وَتَتَّخِذُونَ مَصَانِعَ لَعَلَّكُمْ تَخْلُدُونَ
और भव्य महल बनाते रहोगे, मानो तुम्हें सदैव रहना है?
26:130  وَإِذَا بَطَشْتُم بَطَشْتُمْ جَبَّارِينَ
और जब किसी पर हाथ डालते हो तो बिलकुल निर्दय अत्याचारी बनकर हाथ डालते हो!
26:131  فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ
अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो।
26:132  وَاتَّقُوا الَّذِي أَمَدَّكُم بِمَا تَعْلَمُونَ
उसका डर रखो जिसने तुम्हें वे चीज़ें पहुँचाईं जिनको तुम जानते हो।
26:133  أَمَدَّكُم بِأَنْعَامٍ وَبَنِينَ
उसने तुम्हारी सहायता की चौपायों और बेटों से,
26:134  وَجَنَّاتٍ وَعُيُونٍ
और बाग़ों और स्रोतों से।
26:135  إِنِّي أَخَافُ عَلَيْكُمْ عَذَابَ يَوْمٍ عَظِيمٍ
निश्चय ही मुझे तुम्हारे बारे में एक बड़े दिन की यातना का भय है।"
26:136  قَالُوا سَوَاءٌ عَلَيْنَا أَوَعَظْتَ أَمْ لَمْ تَكُن مِّنَ الْوَاعِظِينَ
उन्होंने कहा, "हमारे लिए बराबर है चाहे तुम नसीहत करो या नसीहत करने वाले न बनो।
26:137  إِنْ هَٰذَا إِلَّا خُلُقُ الْأَوَّلِينَ
यह तो बस पहले लोगों की पुरानी आदत है।
26:138  وَمَا نَحْنُ بِمُعَذَّبِينَ
और हमें कदापि यातना न दी जाएगी।"
26:139  فَكَذَّبُوهُ فَأَهْلَكْنَاهُمْ ۗ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ
अन्ततः उन्होंने उन्हें झुठला दिया तो हमने उनको विनष्ट कर दिया। बेशक इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं।
26:140  وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ
और बेशक तुम्हारा रब ही है, जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है।
26:141  كَذَّبَتْ ثَمُودُ الْمُرْسَلِينَ
समूद ने रसूलों को झुठलाया,
26:142  إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ صَالِحٌ أَلَا تَتَّقُونَ
जबकि उसके भाई सालेह ने उनसे कहा, "क्या तुम डर नहीं रखते?(
26:143  إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ
निस्संदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ।
26:144  فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ
अतः तुम अल्लाह का डर रखो और मेरी बात मानो।
26:145  وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ الْعَالَمِينَ
मैं इस काम पर तुमसे कोई बदला नहीं माँगता। मेरा बदला तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है।
26:146  أَتُتْرَكُونَ فِي مَا هَاهُنَا آمِنِينَ
क्या तुम यहाँ जो कुछ है उसके बीच, निश्चिन्त छोड़ दिए जाओगे,
26:147  فِي جَنَّاتٍ وَعُيُونٍ
बाग़ों और स्रोतों
26:148  وَزُرُوعٍ وَنَخْلٍ طَلْعُهَا هَضِيمٌ
और खेतों और उन खजूरों में जिनके गुच्छे तरो ताज़ा और गुँथे हुए हैं?
26:149  وَتَنْحِتُونَ مِنَ الْجِبَالِ بُيُوتًا فَارِهِينَ
तुम पहाड़ों को काट-काटकर इतराते हुए घर बनाते हो?
26:150  فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ
अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो।
26:151  وَلَا تُطِيعُوا أَمْرَ الْمُسْرِفِينَ
और उन हद से गुज़र जानेवालों की आज्ञा का पालन न करो,
26:152  الَّذِينَ يُفْسِدُونَ فِي الْأَرْضِ وَلَا يُصْلِحُونَ
जो धरती में बिगाड़ पैदा करते हैं, और सुधार का काम नहीं करते।"
26:153  قَالُوا إِنَّمَا أَنتَ مِنَ الْمُسَحَّرِينَ
उन्होंने कहा, "तू तो बस जादू का मारा हुआ है।
26:154  مَا أَنتَ إِلَّا بَشَرٌ مِّثْلُنَا فَأْتِ بِآيَةٍ إِن كُنتَ مِنَ الصَّادِقِينَ
तू बस हमारे ही जैसा एक आदमी है। यदि तू सच्चा है, तो कोई निशानी ले आ।"
26:155  قَالَ هَٰذِهِ نَاقَةٌ لَّهَا شِرْبٌ وَلَكُمْ شِرْبُ يَوْمٍ مَّعْلُومٍ
उसने कहा, "यह ऊँटनी है। एक दिन पानी पीने की बारी इसकी है और एक नियत दिन की बारी पानी लेने की तुम्हारी है।
26:156  وَلَا تَمَسُّوهَا بِسُوءٍ فَيَأْخُذَكُمْ عَذَابُ يَوْمٍ عَظِيمٍ
तकलीफ़ पहुँचाने के लिए इसे हाथ न लगाना, अन्यथा एक बड़े दिन की यातना तुम्हें आ लेगी।"
26:157  فَعَقَرُوهَا فَأَصْبَحُوا نَادِمِينَ
किन्तु उन्होंने उसकी कूचें काट दीं। फिर पछताते रह गए।
26:158  فَأَخَذَهُمُ الْعَذَابُ ۗ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ
अन्ततः यातना ने उन्हें आ दबोचा। निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं।
26:159  وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ
और निस्संदेह तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयाशील है।
26:160  كَذَّبَتْ قَوْمُ لُوطٍ الْمُرْسَلِينَ
लूत की क़ौम के लोगों ने रसूलों को झुठलाया;
26:161  إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ لُوطٌ أَلَا تَتَّقُونَ
जबकि उनके भाई लूत ने उनसे कहा, "क्या तुम डर नहीं रखते?
26:162  إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ
मैं तो तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ।
26:163  فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ
अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो
26:164  وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ الْعَالَمِينَ
मैं इस काम पर तुमसे कोई प्रतिदान नहीं माँगता, मेरा प्रतिदान तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है
26:165  أَتَأْتُونَ الذُّكْرَانَ مِنَ الْعَالَمِينَ
क्या सारे संसारवालों में से तुम ही ऐसे हो जो पुरुषों के पास जाते हो,
26:166  وَتَذَرُونَ مَا خَلَقَ لَكُمْ رَبُّكُم مِّنْ أَزْوَاجِكُم ۚ بَلْ أَنتُمْ قَوْمٌ عَادُونَ
और अपनी पत्नियों को, जिन्हें तुम्हारे रब ने तुम्हारे लिए पैदा किया, छोड़ देते हो? इतना ही नहीं, बल्कि तुम हद से आगे बढ़े हुए लोग हो।"
26:167  قَالُوا لَئِن لَّمْ تَنتَهِ يَا لُوطُ لَتَكُونَنَّ مِنَ الْمُخْرَجِينَ
उन्होंने कहा, "यदि तू बाज़ न आया, ऐ लूत! तो तू अवश्य ही निकाल बाहर किया जाएगा।
26:168  قَالَ إِنِّي لِعَمَلِكُم مِّنَ الْقَالِينَ
उसने कहा, "मैं तुम्हारे कर्म से अत्यन्त विरक्त हूँ।
26:169  رَبِّ نَجِّنِي وَأَهْلِي مِمَّا يَعْمَلُونَ
ऐ मेरे रब! मुझे और मेरे लोगों को, जो कुछ ये करते हैं उसके परिणाम से, बचा ले।"
26:170  فَنَجَّيْنَاهُ وَأَهْلَهُ أَجْمَعِينَ
अन्ततः हमने उसे और उसके सारे लोगों को बचा लिया;
26:171  إِلَّا عَجُوزًا فِي الْغَابِرِينَ
सिवाय एक बुढ़िया के जो पीछे रह जानेवालों में थी।
26:172  ثُمَّ دَمَّرْنَا الْآخَرِينَ
फिर शेष दूसरे लोगों को हमने विनष्ट कर दिया।
26:173  وَأَمْطَرْنَا عَلَيْهِم مَّطَرًا ۖ فَسَاءَ مَطَرُ الْمُنذَرِينَ
और हमने उनपर एक बरसात बरसाई। और यह चेताए हुए लोगों की बहुत ही बुरी वर्षा थी।
26:174  إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ
निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं।
26:175  وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ
और निश्चय ही तुम्हारा रब बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है।
26:176  كَذَّبَ أَصْحَابُ الْأَيْكَةِ الْمُرْسَلِينَ
अल-ऐकावालों ने रसूलों को झुठलाया।
26:177  إِذْ قَالَ لَهُمْ شُعَيْبٌ أَلَا تَتَّقُونَ
जबकि शुऐब ने उनसे कहा, "क्या तुम डर नहीं रखते?
26:178  إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ
मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ।
26:179  فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ
अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो।
26:180  وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ الْعَالَمِينَ
मैं इस काम पर तुमसे कोई प्रतिदान नहीं माँगता। मेरा प्रतिदान तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है।
26:181  أَوْفُوا الْكَيْلَ وَلَا تَكُونُوا مِنَ الْمُخْسِرِينَ
तुम पूरा-पूरा पैमाना भरो और घाटा न दो।
26:182  وَزِنُوا بِالْقِسْطَاسِ الْمُسْتَقِيمِ
और ठीक तराज़ू से तौलो।
26:183  وَلَا تَبْخَسُوا النَّاسَ أَشْيَاءَهُمْ وَلَا تَعْثَوْا فِي الْأَرْضِ مُفْسِدِينَ
और लोगों को उनकी चीज़ों में घाटा न दो और धरती में बिगाड़ और फ़साद मचाते मत फिरो।
26:184  وَاتَّقُوا الَّذِي خَلَقَكُمْ وَالْجِبِلَّةَ الْأَوَّلِينَ
उसका डर रखो जिसने तुम्हें और पिछली नस्लों को पैदा किया है।"
26:185  قَالُوا إِنَّمَا أَنتَ مِنَ الْمُسَحَّرِينَ
उन्होंने कहा, "तू तो बस जादू का मारा हुआ है।
26:186  وَمَا أَنتَ إِلَّا بَشَرٌ مِّثْلُنَا وَإِن نَّظُنُّكَ لَمِنَ الْكَاذِبِينَ
और तू बस हमारे ही जैसा एक आदमी है और हम तो तुझे झूठा समझते हैं।
26:187  فَأَسْقِطْ عَلَيْنَا كِسَفًا مِّنَ السَّمَاءِ إِن كُنتَ مِنَ الصَّادِقِينَ
फिर तू हमपर आकाश का कोई टुकड़ा गिरा दे, यदि तू सच्चा है।"
26:188  قَالَ رَبِّي أَعْلَمُ بِمَا تَعْمَلُونَ
उसने कहा, " मेरा रब भली-भाँति जानता है जो कुछ तुम कर रहे हो।"
26:189  فَكَذَّبُوهُ فَأَخَذَهُمْ عَذَابُ يَوْمِ الظُّلَّةِ ۚ إِنَّهُ كَانَ عَذَابَ يَوْمٍ عَظِيمٍ
किन्तु उन्होंने उसे झुठला दिया। फिर छायावाले दिन की यातना ने आ लिया। निश्चय ही वह एक बड़े दिन की यातना थी।
26:190  إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ
निस्संदेह इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं।
26:191  وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ
और निश्चय ही तुम्हारा रब ही है, जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है।
26:192  وَإِنَّهُ لَتَنزِيلُ رَبِّ الْعَالَمِينَ
निश्चय ही यह (क़ुरआन) सारे संसार के रब की अवतरित की हुई चीज़ है।
26:193  نَزَلَ بِهِ الرُّوحُ الْأَمِينُ
इसको स्पष्ट अरबी भाषा में लेकर तुम्हारे हृदय पर
26:194  عَلَىٰ قَلْبِكَ لِتَكُونَ مِنَ الْمُنذِرِينَ
एक विश्वसनीय आत्मा उतरी है
26:195  بِلِسَانٍ عَرَبِيٍّ مُّبِينٍ
ताकि तुम सावधान करनेवाले हो।
26:196  وَإِنَّهُ لَفِي زُبُرِ الْأَوَّلِينَ
और निस्संदेह यह पिछले लोगों की किताबों में भी मौजूद है।
26:197  أَوَلَمْ يَكُن لَّهُمْ آيَةً أَن يَعْلَمَهُ عُلَمَاءُ بَنِي إِسْرَائِيلَ
क्या यह उनके लिए कोई निशानी नहीं है कि इसे बनी इसराईल के विद्वान जानते हैं?
26:198  وَلَوْ نَزَّلْنَاهُ عَلَىٰ بَعْضِ الْأَعْجَمِينَ
यदि हम इसे ग़ैर-अरबी भाषी पर भी उतारते,
26:199  فَقَرَأَهُ عَلَيْهِم مَّا كَانُوا بِهِ مُؤْمِنِينَ
और वह इसे उन्हें पढ़कर सुनाता तब भी वे इसे माननेवाले न होते।
26:200  كَذَٰلِكَ سَلَكْنَاهُ فِي قُلُوبِ الْمُجْرِمِينَ
इसी प्रकार हमने इसे अपराधियों के दिलों में पैठाया है।
26:201  لَا يُؤْمِنُونَ بِهِ حَتَّىٰ يَرَوُا الْعَذَابَ الْأَلِيمَ
वे इसपर ईमान लाने को नहीं, जब तक कि दुखद यातना न देख लें।
26:202  فَيَأْتِيَهُم بَغْتَةً وَهُمْ لَا يَشْعُرُونَ
फिर जब वह अचानक उनपर आ जाएगी और उन्हें ख़बर भी न होगी,
26:203  فَيَقُولُوا هَلْ نَحْنُ مُنظَرُونَ
तब वे कहेंगे, "क्या हमें कुछ मुहलत मिल सकती है?"
26:204  أَفَبِعَذَابِنَا يَسْتَعْجِلُونَ
तो क्या वे लोग हमारी यातना के लिए जल्दी मचा रहे हैं?
26:205  أَفَرَأَيْتَ إِن مَّتَّعْنَاهُمْ سِنِينَ
क्या तुमने कुछ विचार किया? यदि हम उन्हें कुछ वर्षों तक सुख भोगने दें;
26:206  ثُمَّ جَاءَهُم مَّا كَانُوا يُوعَدُونَ
फिर उनपर वह चीज़ आ जाए, जिससे उन्हें डराया जाता रहा है;
26:207  مَا أَغْنَىٰ عَنْهُم مَّا كَانُوا يُمَتَّعُونَ
तो जो सुख उन्हें मिला होगा वह उनके कुछ काम न आएगा।
26:208  وَمَا أَهْلَكْنَا مِن قَرْيَةٍ إِلَّا لَهَا مُنذِرُونَ
हमने किसी बस्ती को भी इसके बिना विनष्ट नहीं किया कि उसके लिए सचेत करनेवाले याददिहानी के लिए मौजूद रहे हैं।
26:209  ذِكْرَىٰ وَمَا كُنَّا ظَالِمِينَ
हम कोई ज़ालिम नहीं हैं।
26:210  وَمَا تَنَزَّلَتْ بِهِ الشَّيَاطِينُ
इसे शैतान लेकर नहीं उतरे हैं।
26:211  وَمَا يَنبَغِي لَهُمْ وَمَا يَسْتَطِيعُونَ
न यह उन्हें फबता ही है और न ये उनके बस का ही है।
26:212  إِنَّهُمْ عَنِ السَّمْعِ لَمَعْزُولُونَ
वे तो इसके सुनने से भी दूर रखे गए हैं ।
26:213  فَلَا تَدْعُ مَعَ اللَّهِ إِلَٰهًا آخَرَ فَتَكُونَ مِنَ الْمُعَذَّبِينَ
अतः अल्लाह के साथ दूसरे इष्ट-पूज्य को न पुकारना, अन्यथा तुम्हें भी यातना दी जाएगी।
26:214  وَأَنذِرْ عَشِيرَتَكَ الْأَقْرَبِينَ
और अपने निकटतम नातेदारों को सचेत करो।
26:215  وَاخْفِضْ جَنَاحَكَ لِمَنِ اتَّبَعَكَ مِنَ الْمُؤْمِنِينَ
और जो ईमानवाले तुम्हारे अनुयायी हो गए हैं, उनके लिए अपनी भुजाएँ बिछाए रखो।
26:216  فَإِنْ عَصَوْكَ فَقُلْ إِنِّي بَرِيءٌ مِّمَّا تَعْمَلُونَ
किन्तु यदि वे तुम्हारी अवज्ञा करें तो कह दो, "जो कुछ तुम करते हो, उसकी ज़िम्मेदारी से में बरी हूँ।
26:217  وَتَوَكَّلْ عَلَى الْعَزِيزِ الرَّحِيمِ
और उस प्रभुत्वशाली और दया करनेवाले पर भरोसा रखो
26:218  الَّذِي يَرَاكَ حِينَ تَقُومُ
जो तुम्हें देख रहा होता है, जब तुम खड़े होते हो।
26:219  وَتَقَلُّبَكَ فِي السَّاجِدِينَ
और सजदा करनेवालों में तुम्हारी चलत-फिरत को भी वह देखता है।
26:220  إِنَّهُ هُوَ السَّمِيعُ الْعَلِيمُ
निस्संदेह वह भली-भाँति सुनता-जानता है।
26:221  هَلْ أُنَبِّئُكُمْ عَلَىٰ مَن تَنَزَّلُ الشَّيَاطِينُ
क्या मैं तुम्हें बताऊँ कि शैतान किसपर उतरते हैं?
26:222  تَنَزَّلُ عَلَىٰ كُلِّ أَفَّاكٍ أَثِيمٍ
वे प्रत्येक ढोंग रचनेवाले गुनाहगार पर उतरते हैं।
26:223  يُلْقُونَ السَّمْعَ وَأَكْثَرُهُمْ كَاذِبُونَ
वे कान लगाते हैं और उनमें से अधिकतर झूठे होते हैं।
26:224  وَالشُّعَرَاءُ يَتَّبِعُهُمُ الْغَاوُونَ
रहे कवि, तो उनके पीछे बहके हुए लोग ही चला करते हैं।-
26:225  أَلَمْ تَرَ أَنَّهُمْ فِي كُلِّ وَادٍ يَهِيمُونَ
क्या तुमने देखा नहीं कि वे हर घाटी में बहके फिरते हैं,
26:226  وَأَنَّهُمْ يَقُولُونَ مَا لَا يَفْعَلُونَ
और कहते वह हैं जो करते नहीं? -
26:227  إِلَّا الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ وَذَكَرُوا اللَّهَ كَثِيرًا وَانتَصَرُوا مِن بَعْدِ مَا ظُلِمُوا ۗ وَسَيَعْلَمُ الَّذِينَ ظَلَمُوا أَيَّ مُنقَلَبٍ يَنقَلِبُونَ
वे नहीं जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए और अल्लाह को अधिक याद किया। औऱ इसके बाद कि उनपर ज़ुल्म किया गया तो उन्होंने उसका प्रतिकार किया और जिन लोगों ने ज़ुल्म किया, उन्हें जल्द ही मालूम हो जाएगा कि वे किस जगह पलटते हैं।